August 1, 2025 12:06 AM

‘आपका अपना ज़ी’: हर घर, हर दिल से जुड़ने की नई शुरुआत

  • ‘आपका अपना ज़ी’ नाम से शुरू किए गए इस बहुभाषी ब्रांड अभियान ने दर्शकों को न केवल टीवी स्क्रीन से, बल्कि उनके दिलों से भी जोड़ने की दिशा में एक सशक्त पहल की

भारत की भाषाओं, भावनाओं और परंपराओं को जोड़ने वाला ज़ी नेटवर्क अब एक नई सोच और पहचान के साथ सामने आया है। ‘आपका अपना ज़ी’ नाम से शुरू किए गए इस बहुभाषी ब्रांड अभियान ने दर्शकों को न केवल टीवी स्क्रीन से, बल्कि उनके दिलों से भी जोड़ने की दिशा में एक सशक्त पहल की है। 208 मिलियन घरों और 854 मिलियन दर्शकों तक पहुंच रखने वाला ज़ी अब अपने दर्शकों से सिर्फ संवाद नहीं, बल्कि आत्मीय रिश्ता कायम करना चाहता है। इस नए ब्रांड अभियान की थीम — ‘साथ आने से बात बनती है’ — को सात भाषाओं की सात अलग-अलग फिल्मों के ज़रिए जीवंत किया गया है।

ज़ी का नया ब्रांड विज़न: साथ, अपनापन और आत्मीयता

इस अभियान की केन्द्रीय फिल्म एक सैनिक पिता की कहानी कहती है, जो बेटी की शादी से ठीक पहले ड्यूटी पर बुला लिया जाता है। उसकी अनुपस्थिति में पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह साथ आता है, शादी की तैयारियों में दिल से जुटता है और जब वह पिता शादी के दिन लौटता है, तो यह देख कर भावुक हो जाता है कि उसके बिना भी सबकुछ इतना सुंदर और व्यवस्थित हुआ है। ज़ी के प्रसिद्ध धारावाहिकों के जाने-माने किरदार भी इस अभियान का हिस्सा बने — लेकिन इस बार अभिनेता नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य बनकर। ‘भाबीजी घर पर हैं’ के अंगूरी भाभी, ‘वसुधा’ की वसुधा और देवांश, ‘श्रावणी सुब्रह्मण्यम’ के श्रावणी और सुब्बू, ‘लक्ष्मी निवास’, ‘जयम’ और ‘जगद्धात्री’ जैसे लोकप्रिय शोज़ के पात्रों ने इस भावना को और गहरा कर दिया।

संस्कृति से जुड़ी कहानियों की झलक

  • केरल: पारंपरिक नालुकेट्टु घर और सामूहिक विवाह की पृष्ठभूमि में सजी कहानी।
  • बंगाल: शुक्तो, उलुध्वनि और बरोन-धोरा जैसी रस्मों से भरी आत्मीय फिल्म।
  • कर्नाटक: मंड्या के गांव में अरिषिन शास्त्र और चप्परा की सजावट से जुड़ी कहानी।
  • तेलंगाना: गोदावरी के एक गांव में थाटाकु पंडिराम और पेल्ली बुट्टा की जीवंतता।
  • महाराष्ट्र: नववारी साड़ी और हलद चढ़वणे की रस्म के साथ परंपरा और सशक्त स्त्री।
  • उत्तर भारत: फरीदाबाद के मोहल्ले में लोकगीत, ढोलक और सामूहिकता की भावना।
  • तमिलनाडु: गहराई से जुड़ी स्थानीय परंपराएं और विवाह की भावनात्मक यात्रा।
    हर फिल्म उस क्षेत्र की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी है और दर्शकों को उनकी भाषा में वही अपनापन महसूस कराती है।

‘आपका अपना ज़ी’ के पीछे की सोच

ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइसेस लिमिटेड के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर कार्तिक महादेव ने कहा — “यह सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को छू लेने वाला एक प्रयास है। इन फिल्मों के माध्यम से हम दर्शकों को यह एहसास कराना चाहते हैं कि ज़ी उनके जीवन में सिर्फ एक चैनल नहीं, एक परिवार है।” इस कैम्पेन की लॉन्चिंग 23वें ज़ी सिने अवार्ड्स 2025 के दौरान की गई, जहां सातों भाषाओं की फिल्में एक साथ टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित की गईं — एक साथ, एक सोच, और एक भावना के साथ।

अपनापन की नई परिभाषा

‘आपका अपना ज़ी’ आज सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक सेतु बन गया है — जो हर भाषा, हर त्योहार, और हर भाव से जुड़ता है। यह नेटवर्क अब सिर्फ टीवी स्क्रीन पर नहीं, बल्कि दर्शकों की ज़िंदगी के हर भावनात्मक मोड़ पर उनके साथ खड़ा है।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram