पंजाब के आप विधायक हरमीत सिंह पुलिस हिरासत से फरार, समर्थकों की गोलीबारी में पुलिसकर्मी घायल

पटियाला। पंजाब की राजनीति मंगलवार सुबह उस समय गरमा गई जब आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा पुलिस हिरासत से फरार हो गए। यह घटना हरियाणा के करनाल में उस वक्त हुई, जब पुलिस टीम उन्हें थाने लेकर आ रही थी। फरार होने के दौरान न केवल पुलिस पर हमला किया गया, बल्कि गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी भी घायल हो गया। इस घटनाक्रम ने पूरे प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सरकार की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

करनाल से गिरफ्तार किए गए थे विधायक

पठानमाजरा, जो पटियाला जिले के सनौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, को मंगलवार सुबह हरियाणा के करनाल के गांव डबरी से गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी धारा 376 (बलात्कार) के एक पुराने मामले से जुड़ी बताई जा रही है। जैसे ही पुलिस उन्हें थाने ले जाने लगी, तभी उनके समर्थक सक्रिय हो गए और एक सुनियोजित ढंग से पुलिस टीम पर हमला कर दिया।

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गोलीबारी और गाड़ी चढ़ाने की कोशिश

सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही पुलिस का काफिला आगे बढ़ा, हरमीत सिंह के समर्थक वहां पहुंचे और अचानक फायरिंग शुरू कर दी। इस गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। आरोप है कि समर्थकों ने पुलिस वाहन पर गाड़ी चढ़ाने की भी कोशिश की, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई। अफरातफरी के बीच विधायक पठानमाजरा और उनके साथी मौके से भाग निकले।

स्कॉर्पियो और फॉर्च्यूनर में फरार

बताया जा रहा है कि पठानमाजरा और उनके सहयोगी दो गाड़ियों में फरार हुए — एक स्कॉर्पियो और दूसरी फॉर्च्यूनर। पुलिस ने पीछा करते हुए फॉर्च्यूनर को कब्जे में ले लिया है, लेकिन स्कॉर्पियो जिसमें खुद विधायक सवार थे, अभी भी फरार है। पुलिस की टीमें लगातार उनकी तलाश में जुटी हैं और आसपास के जिलों में नाकेबंदी कर दी गई है।

सुरक्षा कल ही वापस ली गई थी

इस पूरी घटना का एक और अहम पहलू यह है कि विधायक पठानमाजरा की सुरक्षा कल ही पंजाब सरकार द्वारा वापस ले ली गई थी। इस फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या विधायक पहले से ही गिरफ्तारी की आशंका में थे और उन्होंने इसकी तैयारी कर रखी थी। उनकी गिरफ्तारी और फरारी दोनों ही घटनाओं ने सरकार की कार्यप्रणाली और इंटेलिजेंस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे विधायक

हरमीत सिंह पठानमाजरा पिछले कुछ दिनों से अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर थे। उन्होंने हालिया बाढ़ की तबाही के लिए सिंचाई विभाग के मुख्य अफसर कृष्ण कुमार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया था। उनकी यह बयानबाजी पार्टी नेतृत्व को रास नहीं आई थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार के खिलाफ ऐसे तीखे बयानों और फिर अचानक गिरफ्तारी से यह मामला और पेचीदा हो गया है।

गिरफ्तारी और फरारी के राजनीतिक मायने

विधायक की गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस हिरासत से फरार हो जाना केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी गहरे हैं। विपक्षी दलों ने तुरंत ही सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं ने सवाल उठाए हैं कि क्या सरकार अपने ही विधायकों से निपटने में असमर्थ है और क्या यह सब एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत हो रहा है।

कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल

इस घटना ने पंजाब की कानून-व्यवस्था पर गहरी चिंता खड़ी कर दी है। एक ओर राज्य में नशे और गैंगस्टर गतिविधियों को लेकर सरकार पहले से ही घिरी हुई है, वहीं अब एक सत्तारूढ़ दल का विधायक पुलिस हिरासत से फरार हो जाना सरकार की साख को गहरा झटका है। पुलिसकर्मी पर गोलीबारी और हमले ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।

पुलिस की सर्च ऑपरेशन तेज

पुलिस ने फरार विधायक की तलाश के लिए विशेष सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। आसपास के इलाकों में चेकिंग बढ़ा दी गई है और हरियाणा-पंजाब की सीमाओं पर नाकेबंदी कर दी गई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि विधायक की लोकेशन का पता लगाने के लिए तकनीकी साधनों का भी सहारा लिया जा रहा है।

आगे क्या?

अब सवाल यह है कि विधायक पठानमाजरा की फरारी कितनी देर तक जारी रह पाएगी। क्या पुलिस उन्हें जल्दी पकड़ पाएगी या यह मामला और लंबा खिंचेगा? साथ ही, क्या यह घटना आप सरकार के भीतर की अंतर्कलह का संकेत है? आने वाले दिनों में यह मामला निश्चित तौर पर पंजाब की राजनीति और सरकार की साख पर भारी असर डालेगा।