October 28, 2025 12:41 AM

छठ पूजा सूर्य उपासना के साथ परिवार के स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक: मुख्यमंत्री मोहन यादव

cm-mohan-yadav-chhath-puja-sun-worship-indore

मुख्यमंत्री मोहन यादव बोले – छठ पूजा सूर्य उपासना और परिवार के स्वास्थ्य-दीर्घायु का प्रतीक है

– इंदौर में मुख्यमंत्री ने जलाभिषेक कर किया छठ पूजन, कहा—मातृशक्ति के त्याग और आस्था को नमन

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सूर्य उपासना के माध्यम से परिवार के स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु की कामना का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन और अनुशासित परंपराओं में से एक है, जिसमें मातृशक्ति अपने परिवार के कल्याण के लिए तप, संयम और श्रद्धा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती है।

मुख्यमंत्री सोमवार शाम को इंदौर के मनकामनेश्वर महादेव उद्यान में आयोजित अखिल भारतीय छठ महोत्सव में शामिल हुए। पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान द्वारा आयोजित इस महोत्सव में मुख्यमंत्री ने जलकुंड में उतरकर सूर्य देव का जलाभिषेक किया और छठ पूजन में भाग लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में माताएं और बहनें पारंपरिक वेशभूषा में उपस्थित थीं और पूरे भक्ति भाव से छठ माई की आराधना कर रही थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “छठ पूजा त्रेता युग से भगवान श्रीराम की दीर्घायु की कामना से प्रारंभ हुई। यह पर्व मातृशक्ति की आस्था और त्याग का प्रतीक है। हमारी माताएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए कष्ट सहकर यह व्रत रखती हैं। मैं उन सभी माता-बहनों को नमन करता हूं।”

छठ महापर्व – सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव

डॉ. यादव ने कहा कि छठ पर्व आस्था, लोक परंपरा और सामाजिक एकता का संगम है। यह न केवल बिहार और पूर्वांचल की पहचान है, बल्कि अब पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केवल इंदौर में ही इस वर्ष लगभग 200 स्थानों पर छठ पूजा के आयोजन हो रहे हैं, जो इस पर्व की बढ़ती लोकप्रियता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “मालवांचल और बिहार का संबंध लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। यह पर्व उस भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करता है। छठ पूजा हमारी सांस्कृतिक विविधता और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और सशक्त बनाती है।”

उन्होंने कहा कि छठ पूजा सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति आभार का पर्व है। यह पर्व आत्मसंयम, अनुशासन और सामूहिकता का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार सभी धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के सम्मान और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

“माता-बहनों की आस्था के लिए प्रदेश में बनाए जाएंगे हजार कुण्ड”

नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस अवसर पर कहा कि “भारत की सनातन परंपरा में मातृशक्ति के व्रत, तप और श्रद्धा का स्थान सर्वोच्च है। हमारे देश में माताएं-बहनें अपने पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यही हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।”
उन्होंने घोषणा की कि “प्रदेश में माता-बहनों की आस्था और सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक नहीं, बल्कि हजार छठ कुण्ड बनाए जाएंगे।”

मुख्यमंत्री की घोषणा पर इंदौर में बन रहे हैं तीन जलकुण्ड

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पिछली घोषणा के अनुसार इंदौर में छठ पर्व के लिए तीन प्रमुख जलकुण्डों का निर्माण किया जा रहा है। ये कुण्ड अन्नपूर्णा, पिपल्याहाना और छोटा बांगड़दा क्षेत्रों में बनाए जा रहे हैं और जल्द ही श्रद्धालुओं के उपयोग के लिए तैयार हो जाएंगे।

“मातृशक्ति की उपासना, समाज की शक्ति का आधार”

मुख्यमंत्री ने कहा कि “छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह समाज में मातृशक्ति की भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। जब माता-बहनें सूर्य देव से अपने परिवार की कुशलता की प्रार्थना करती हैं, तो वह पूरे समाज की आध्यात्मिक उर्जा को जाग्रत करती हैं।”

उन्होंने कहा कि छठ पूजा भारतीय संस्कृति के उस भाव को जीवित रखती है जिसमें प्रकृति, परिवार और समाज एक सूत्र में बंधे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि “हमारी मातृशक्ति ने हमेशा समाज में त्याग और सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह पर्व उसी भावना का उत्सव है।”

इस अवसर पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, डॉ. निशांत खरे, सुमित मिश्रा, संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े, पुलिस आयुक्त संतोष सिंह, कलेक्टर शिवम वर्मा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और नागरिक उपस्थित थे। मंच पर पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह, छठ महोत्सव अध्यक्ष ठाकुर दीनानाथ सिंह और युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष अरविंद सिंह भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम के दौरान पूरा वातावरण “छठ मइया की जय” और “सूर्य देवता की जय” के नारों से गूंज उठा। इंदौर का यह आयोजन एकता, श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram