पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण नवंबर से, जनवरी तक चलेगी प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के लिए दी प्रक्रिया शुरू करने की हरी झंडी
कोलकाता। आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया नवंबर के पहले सप्ताह से शुरू होकर जनवरी के अंत तक चलेगी। पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को दिल्ली में हुई राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में इस प्रक्रिया की रूपरेखा तय की गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की, जबकि आयोग के अन्य सदस्य सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी भी मौजूद रहे।
पांच राज्यों की तैयारियों की समीक्षा, एसआईआर को मिली प्राथमिकता
चुनाव आयोग ने बैठक में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी और केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ अलग-अलग चर्चा की। इन सभी राज्यों में वर्ष 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। आयोग की फुल बेंच ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए स्पष्ट किया कि इन पांचों राज्यों को ‘एसआईआर’ प्रक्रिया में विशेष प्राथमिकता दी जाएगी ताकि जनवरी के अंत तक सभी कार्य पूरे कर लिए जाएं।
डिजिटल माध्यम से होगी पूरी प्रक्रिया, नई मोबाइल एप पर होगा काम
आयोग के सूत्रों ने बताया कि इस बार मतदाता सूची का पुनरीक्षण पूरी तरह डिजिटल प्रक्रिया पर आधारित होगा। इसके लिए विशेष मोबाइल एप्लीकेशन तैयार की जा रही हैं, जिनसे मतदाता सूची के अद्यतन और सत्यापन का कार्य अधिक पारदर्शी, त्वरित और सुविधाजनक बनाया जा सकेगा। इस कदम से न केवल मानव त्रुटियाँ कम होंगी, बल्कि फर्जी नामों को हटाने और नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी सरल होगी।
आयोग ने जिला चुनाव अधिकारियों, चुनाव पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ), सहायक ईआरओ और बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) के प्रशिक्षण व नियुक्ति पर विशेष जोर देने के निर्देश दिए हैं, ताकि प्रत्येक स्तर पर एसआईआर प्रक्रिया प्रभावी रूप से पूरी की जा सके।
बीएलओ की सुरक्षा पर उठे सवाल, आयोग ने दिए सख्त निर्देश
बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बीएलओ अधिकारियों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया। जानकारी के अनुसार, कई बीएलओ अधिकारियों — जो अधिकतर स्कूल शिक्षक होते हैं — ने राजनीतिक तनाव के कारण अपने कार्यक्षेत्र में असुरक्षा की भावना व्यक्त की है।
आयोग ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए कहा कि बीएलओ की भूमिका केवल मतदाता सूची से संबंधित फॉर्म वितरित करना, संग्रह करना और मतदाताओं की उपस्थिति की पुष्टि करना तक सीमित है। बीएलओ को राजनीतिक दबाव से दूर रखते हुए काम करने के लिए आवश्यक सुरक्षा दी जाएगी।
यदि किसी बीएलओ पर किसी राजनीतिक दल की ओर से दबाव डाला जाता है, तो उन्हें सीधे आयोग को सूचित करने के लिए कहा गया है। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस कार्रवाई की जाएगी और आवश्यकतानुसार कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाएगा।

ईआरओ को अंतिम अधिकार, पारदर्शिता पर जोर
आयोग ने यह भी दोहराया कि फर्जी नामों को हटाने या जोड़ने का अंतिम निर्णय केवल चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) ही लेंगे। ईआरओ को आवश्यकतानुसार स्थल निरीक्षण करने का अधिकार होगा ताकि मतदाता सूची पूरी तरह सत्य और निष्पक्ष रहे।
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार की प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता की दृष्टि से अब तक की सबसे सुदृढ़ होगी। मतदाता सूची का अद्यतन पूर्ण होने के बाद फरवरी के पहले सप्ताह में अंतिम सूची प्रकाशित किए जाने की संभावना है।
आयोग का लक्ष्य: पारदर्शी चुनाव और मजबूत मतदाता प्रणाली
आयोग का उद्देश्य इस प्रक्रिया के माध्यम से चुनावी प्रणाली को अधिक विश्वसनीय बनाना है। डिजिटल साधनों के प्रयोग से मतदाता पंजीकरण में पारदर्शिता बढ़ेगी, गलत प्रविष्टियों में कमी आएगी और मतदान प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को देखते हुए यह एसआईआर प्रक्रिया राज्य की राजनीतिक गतिविधियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
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