October 24, 2025 12:12 AM

भैरव बटालियन: दुश्मन के लिए काल बनेगी भारतीय सेना की नई सीमापार मारक इकाई

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— छह माह में तैयार होंगी 20 भैरव बटालियन, सीमा पार अभियानों में बढ़ेगा भारत का प्रभाव

भैरव बटालियन: छह महीने में तैयार होंगी 20 सीमापार कमांडो इकाइयाँ, दुश्मन के लिए काल बनेगी भारतीय सेना की नई ताकत


सीमा पार मिशनों के लिए नई ताकत — भैरव बटालियन की स्थापना

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर। भारतीय सेना ने अब एक नई और तेज़ मारक क्षमता वाली इकाई को जन्म दिया है — भैरव बटालियन। यह हल्की कमांडो बटालियन विशेष रूप से सीमा पार अभियानों और दुश्मन की गहराई तक कार्रवाई के लिए तैयार की गई है। इन बटालियनों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे पारंपरिक पैदल सेना और विशेष बलों के बीच मौजूद सामरिक अंतर को भर सकें।

सेना के डायरेक्टर जनरल इंफैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बताया कि फिलहाल पांच भैरव बटालियन पूरी तरह से कार्यरत हैं, चार निर्माणाधीन हैं और अगले छह महीनों में कुल 20 बटालियनों का गठन पूरा हो जाएगा। प्रत्येक बटालियन में लगभग 250 सैनिक होंगे, जो कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी ऑपरेशन करने में सक्षम होंगे।


तेज और घातक कार्रवाई के लिए विशेष प्रशिक्षण

भैरव बटालियन को तेज़, लचीली और घातक कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इन बटालियनों का मुख्य कार्य सीमापार ऑपरेशंस, दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी, संवेदनशील सूचनाओं का संकलन और आवश्यकता पड़ने पर लक्षित कार्रवाई करना होगा।

इन बटालियनों में केवल पैदल सेना ही नहीं बल्कि वायु रक्षा, तोपखाना और सिग्नल कोर के विशेषज्ञ सैनिक भी शामिल हैं। एक बटालियन में औसतन एयर डिफेंस के 5, तोपखाने के 4 और सिग्नल के 2 सैनिक शामिल किए गए हैं। इससे यह बटालियन एक मल्टी-डोमेन यूनिट के रूप में कार्य करेगी, जो युद्ध के सभी स्तरों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम होगी।


तैनाती: उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर रणनीतिक तैयारी

सेना ने भैरव बटालियन की तैनाती भी सोच-समझकर की है। तीन बटालियन उत्तरी कमांड के अंतर्गत सक्रिय हैं—एक लेह में (14 कोर), एक श्रीनगर में (15 कोर) और एक नगरोटा में (16 कोर)। ये इकाइयाँ ऊँचाई वाले कठिन इलाकों में त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम हैं।
बाकी दो बटालियन पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर तैनात की गई हैं ताकि रेगिस्तानी और पर्वतीय दोनों प्रकार के इलाकों में भारत की सैन्य प्रतिक्रिया हमेशा तैयार रहे।


‘घातक प्लाटून’ और ‘अश्नि प्लाटून’ — नई तकनीकी युद्ध प्रणाली

भैरव बटालियन के साथ-साथ सेना ने 380 अश्नि प्लाटून भी बनाई हैं। इन प्लाटून को आधुनिक ड्रोन तकनीक से लैस किया गया है, जिनके पास निगरानी, सूचना संग्रह, लक्ष्य पहचान और सटीक हमले की क्षमता है।

इन ड्रोन यूनिट्स के माध्यम से सेना दुश्मन के ठिकानों पर निगरानी रख सकेगी और लॉइटरिंग म्यूनिशन का प्रयोग कर लक्ष्य पर सटीक प्रहार कर सकेगी। डीजी इंफैंट्री के अनुसार, घातक प्लाटून पहले की तरह बनी रहेंगी, लेकिन अब वे भैरव बटालियन के साथ मिलकर अधिक समन्वित और तेज़ ऑपरेशन करेंगी।


पारंपरिक सेना से अलग है भैरव बटालियन की बनावट

भैरव बटालियन सामान्य पैदल सेना जैसी नहीं हैं। इनमें संयुक्त शाखाओं की सहभागिता और इंटर-ऑपरेशनल स्ट्रक्चर अपनाया गया है, जिससे यह किसी भी इलाके में स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। सेना का मानना है कि यह बटालियन सीमित समय में निर्णायक प्रहार करने की क्षमता रखती है, चाहे वह रेगिस्तान हो, ऊँचा पहाड़ या घनी बर्फ़बारी वाला क्षेत्र।

इन बटालियनों को ‘तेज प्रतिक्रिया बल’ के रूप में तैयार किया गया है, जो दुश्मन की सीमा में प्रवेश कर निर्णायक ऑपरेशन को अंजाम दे सकें।


भारतीय सेना के लिए रणनीतिक बदलाव का संकेत

विशेषज्ञों का मानना है कि भैरव बटालियन का गठन भारतीय सेना की रणनीतिक सोच में बड़ा बदलाव दर्शाता है। अब सेना केवल रक्षात्मक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सीमापार सक्रिय और तेज़ कार्रवाई की दिशा में भी तैयार रहेगी।

भैरव बटालियन के आने से भारत की सैन्य क्षमता केवल सीमा तक नहीं, बल्कि शत्रु के क्षेत्र तक प्रभाव डाल सकेगी। इससे न केवल सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा बल्कि क्षेत्रीय संतुलन भी भारत के पक्ष में झुकेगा।


ड्रोन तकनीक से जुड़े फायदे और भविष्य की दृष्टि

अश्नि प्लाटून के आधुनिक ड्रोन सिस्टम से भारतीय सेना को हवाई निगरानी, रात्रि अभियान और लक्ष्य निर्धारण में क्रांतिकारी बढ़त मिलेगी। इन ड्रोन से जुटाई गई जानकारी सेना के विशेष अभियानों में सीधा इस्तेमाल की जा सकेगी।

इन क्षमताओं के चलते भैरव बटालियन भविष्य के नेटवर्क-आधारित युद्ध में अग्रणी भूमिका निभाएंगी, जहाँ युद्ध केवल बंदूक या टैंक से नहीं, बल्कि सटीक सूचना और तकनीकी सटीकता से लड़ा जाएगा।


सीमाओं की सुरक्षा और भारत की नई सैन्य शक्ति का प्रतीक

भैरव बटालियन की तैनाती से न केवल भारत की सीमाएं और अधिक सुरक्षित होंगी, बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि भारत अब किसी भी प्रकार की सीमा उल्लंघन या चुनौती का जवाब देने में सक्षम है। ये बटालियन भारत की आधुनिक, आत्मनिर्भर और प्रगतिशील सेना की नई पहचान बनेंगी।



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