सोनम वांगचुक की पत्नी का आरोप: पुलिस और आईबी कर रहे हैं पीछा, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर। प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राजस्थान पुलिस और खुफिया ब्यूरो (आईबी) उनके हर कदम पर नज़र रख रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि दिल्ली में भी उन पर निगरानी रखी जा रही है। गीतांजलि के अनुसार, जब वह अपने पति से जोधपुर जेल में मिलने गईं, तब पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने उनका पीछा किया और मुलाकात के दौरान भी उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी गई।
गीतांजलि ने हलफनामे में कहा है कि जब वह 7 और 11 अक्टूबर को जोधपुर में अपने पति से मिलने पहुंचीं, तो एयरपोर्ट पर उतरते ही पुलिस के वाहन में उन्हें बैठा लिया गया और हर बार उनसे यात्रा से पहले अपनी यात्रा का पूरा विवरण साझा करने को कहा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह जेल में अपने पति से बातचीत कर रही थीं, तो एक अधिकारी मंगलेश, जो डीसीपी स्तर का बताया गया है, और एक महिला कांस्टेबल पास में बैठकर उनकी बातचीत को सुन रहे थे और नोट भी कर रहे थे।
गीतांजलि ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि जोधपुर में उन्हें किसी अन्य व्यक्ति से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। यह व्यवहार न केवल उनके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है, बल्कि संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है।

सरकार ने दी गिरफ्तारी की वजह, गीतांजलि पक्ष ने की चुनौती की तैयारी
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 15 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि सोनम वांगचुक को उनकी गिरफ्तारी की वजह स्पष्ट रूप से बता दी गई है। इसके बाद गीतांजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि सरकार द्वारा बताए गए कारणों को चुनौती देने के लिए याचिका में संशोधन की आवश्यकता है।
सिब्बल ने यह भी कहा था कि सोनम वांगचुक ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए कुछ नोट्स तैयार किए हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से उन नोट्स को उनकी पत्नी को सौंपने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए कहा था कि वांगचुक द्वारा तैयार किए गए नोट्स उनके वकील के माध्यम से उनकी पत्नी गीतांजलि को साझा किए जाएं।
सुरक्षा बनाम निजता पर उठे सवाल
गीतांजलि द्वारा लगाए गए इन आरोपों ने एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि पुलिस और आईबी वास्तव में निजी मुलाकातों पर निगरानी रख रहे हैं, तो यह नागरिकों की निजता और स्वतंत्रता के अधिकार के मूल स्वरूप को प्रभावित करता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, और इस पर कोई भी अनावश्यक हस्तक्षेप न्यायिक दृष्टि से गंभीर मामला माना जाता है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गीतांजलि के आरोप प्रमाणित होते हैं, तो यह मानवाधिकार और गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। वहीं, सरकार की ओर से इस पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

पृष्ठभूमि: सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर जारी विवाद
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय स्वशासन की मांग को लेकर सक्रिय रहे हैं, पिछले कुछ समय से सरकार के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद देशभर में समर्थकों ने विरोध दर्ज कराया। सरकार ने कहा था कि वांगचुक पर कानून व्यवस्था भंग करने और प्रशासनिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप हैं।
वहीं, वांगचुक और उनके समर्थक इसे मनमानी कार्रवाई बताते हुए कह रहे हैं कि यह उनकी पर्यावरणीय और सामाजिक गतिविधियों को दबाने की कोशिश है। अब उनकी पत्नी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामे ने इस विवाद को एक नई दिशा दे दी है।
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