: गोवर्धन पूजा 2025: भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाने की विधि, सामग्री, लाभ और चमत्कारी उपाय
लेख विशेष | स्वदेश ज्योति
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला भक्ति, कृतज्ञता और प्रकृति-पूजन का अद्भुत पर्व है। यह पर्व न केवल भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य पराक्रम की स्मृति है, बल्कि यह प्रकृति और जीव जगत के संरक्षण का संदेश भी देता है। इस दिन भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं तथा छप्पन भोग (56 प्रकार के व्यंजन) अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि श्रद्धापूर्वक छप्पन भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होकर भक्तों के जीवन में धन, सुख, समृद्धि और शांति का वरदान देते हैं।

🌿 गोवर्धन पूजा का महत्व — प्रकृति और भक्ति का संगम
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्रदेव के अहंकार को समाप्त कर प्रकृति और गौसेवा के महत्त्व को स्थापित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को यह शिक्षा दी थी कि — “देवताओं से पहले प्रकृति की पूजा करो, क्योंकि वही हमें जीवन देती है।”
🕉️ गोवर्धन पूजा की कथा — जब श्रीकृष्ण ने उंगली पर उठाया था पर्वत
पुराणों के अनुसार, जब इंद्रदेव ने लगातार वर्षा कर ब्रजवासियों को दंडित करने की कोशिश की, तब बालक श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को बचाया।
सात दिन और सात रात तक भगवान ने पर्वत को थामे रखा और वर्षा समाप्त होने पर इंद्रदेव ने उनसे क्षमा मांगी।
तब से यह पर्व “गोवर्धन पूजा” के रूप में मनाया जाता है — जो विनम्रता, प्रकृति संरक्षण और कृतज्ञता का प्रतीक है।

🍛 छप्पन भोग का रहस्य — सात दिनों का उपवास और 8 पहरों का गणित
कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाए रखा, तब उन्होंने भोजन नहीं किया।
ब्रजवासियों ने सात दिन बाद भगवान के लिए 8 पहरों (दिन के 8 भाग) के अनुसार 8×7 = 56 व्यंजन तैयार किए।
इसी परंपरा से “छप्पन भोग” की शुरुआत हुई।

🍽️ छप्पन भोग में क्या-क्या शामिल होता है?
छप्पन भोग में भगवान श्रीकृष्ण को सात्विक, स्वादिष्ट और विविध व्यंजनों का भोग लगाया जाता है —
🪔 अनाज आधारित व्यंजन
पूरी, परांठा, खिचड़ी, पुलाव, दाल चावल, कचौड़ी, मिठा चावल, बेसन हलवा।
🍬 मिठाइयाँ
लड्डू, पेड़ा, गुलाब जामुन, बर्फी, जलेबी, मालपुआ, खीर, रबड़ी, सेवई, मूंग दाल हलवा, गाजर हलवा, गुजिया।
🥛 दुग्ध पदार्थ
दूध, दही, मक्खन, घी, लस्सी, छाछ, पनीर।
🍇 फलाहार
केला, सेव, अमरूद, अनार, अंगूर, नारियल, किशमिश, खजूर, मखाना।
🥗 सब्जियाँ और दालें
आलू टमाटर, लौकी चना दाल, कढ़ी, अरबी, मूंग दाल, तोरई की सब्जी।
🧉 पेय और विशेष भोग
ठंडाई, मिश्री जल, पंचामृत, चूरमा, नमकीन सेव, अचार, पापड़ आदि।
🔥 छप्पन भोग तैयार करने की विधि
- रसोई और मन की पवित्रता रखें – भोग तैयार करते समय स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और लहसुन-प्याज का उपयोग न करें।
- देशी घी और शुद्ध सामग्री का प्रयोग करें – भगवान श्रीकृष्ण को शुद्धता प्रिय है।
- छप्पन व्यंजन बनाना संभव न हो तो 11, 21 या 31 भोग प्रतीक रूप में अर्पित करें।
- भोग थाल सजाएं – सभी व्यंजनों को सुंदर क्रम में सजा कर थाल में रखें।
- मंत्रोच्चारण करें –
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करते हुए भगवान को भोग लगाएं। - दीपक और तुलसी दल अर्पित करें – भोग के साथ तुलसी पत्ती रखना अनिवार्य माना गया है।
- आरती और प्रसाद वितरण करें – भोग लगाने के बाद आरती करें और प्रसाद सबमें बांटें।

🌸 छप्पन भोग का फल — भगवान की कृपा और घर में समृद्धि
- भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- घर में धन, अन्न और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
- संतान की उन्नति और परिवार के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- व्यापार और नौकरी में स्थिरता आती है।
- घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
🔮 गोवर्धन पूजा के चमत्कारी उपाय
- गौमाता को गुड़ और चारा खिलाएं — इससे लक्ष्मी कृपा और अन्न-समृद्धि प्राप्त होती है।
- गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं — गोबर या मिट्टी से पर्वत बनाकर दीपक जलाएं।
- “श्रीकृष्ण गोवर्धन धारकाय नमः” मंत्र का जाप करें — यह मंत्र जीवन की कठिनाइयों से रक्षा करता है।
- तुलसी दल और मक्खन का भोग लगाएं — भगवान श्रीकृष्ण का यह प्रिय संयोजन है।
- गौशाला में दान करें — गाय के लिए अन्न, चारा या धन दान करने से पितृदोष और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- 56 भोग का प्रसाद गरीबों में बांटें — यह अन्नदान अक्षय पुण्य प्रदान करता है।
- गोवर्धन की सात परिक्रमा करें — यह जीवन में सात प्रकार की समृद्धि लाती है।
🌿 गोवर्धन पूजा का जीवन संदेश
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह मानव और प्रकृति के सामंजस्य का उत्सव है।
यह पर्व सिखाता है कि सच्चा ईश्वर-प्रेम पर्यावरण की रक्षा, गौसेवा और कृतज्ञता में निहित है।
जब हम धरती, जल, अन्न, वायु और जीवों का सम्मान करते हैं, तब ईश्वर स्वयं हमारी रक्षा करते हैं।
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