October 21, 2025 10:48 PM

जापान की साने ताकाइची बनीं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री, शिंजो आबे की करीबी और चीन विरोधी नीतियों के लिए जानी जाती हैं

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जापान की साने ताकाइची बनीं पहली महिला प्रधानमंत्री, शिंजो आबे की करीबी और चीन विरोधी नीतियों की समर्थक

टोक्यो, 21 अक्टूबर (हि.स.)। जापान के राजनीतिक इतिहास में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक बन गया जब साने ताकाइची देश की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। ताकाइची ने संसद के निचले सदन में हुए मतदान में शानदार जीत दर्ज करते हुए 149 के मुकाबले 237 वोट हासिल किए। इसके बाद ऊपरी सदन में भी उन्हें बहुमत मिला, जहां पहले दौर में बहुमत से एक वोट कम मिलने के बावजूद उन्होंने दूसरे चरण में 125-46 के अंतर से विजय प्राप्त की।

प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद ताकाइची को दुनियाभर से शुभकामनाएं मिलीं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें बधाई देते हुए जापान के उज्जवल भविष्य की कामना की।


शिंजो आबे की करीबी और चीन की नीतियों की आलोचक

साने ताकाइची को दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की सबसे करीबी सहयोगियों में गिना जाता है। वह उनके समान राष्ट्रवादी विचारधारा और सशक्त सैन्य नीति की समर्थक हैं। ताकाइची जापान की रक्षा नीति को मजबूत करने, शांतिवादी संविधान में संशोधन करने और विदेश नीति में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने की वकालत करती रही हैं।

उनका राजनीतिक दृष्टिकोण जापान की परंपरागत राजनीति से कहीं अधिक सख्त और स्पष्ट माना जाता है। ताकाइची का मानना है कि जापान को चीन की बढ़ती आक्रामकता का कड़ा जवाब देने के लिए अपनी रक्षा नीति और सैन्य तैयारियों को और मजबूत करना चाहिए।


कमजोर गठबंधन के बावजूद सत्ता में आईं ताकाइची

हालांकि ताकाइची एक कमजोर गठबंधन के साथ प्रधानमंत्री बनी हैं, लेकिन उनकी छवि एक दृढ़ और निर्णयक्षम नेता की है। वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की नेता हैं और इस महीने की शुरुआत में उन्हें पार्टी का प्रमुख चुना गया था।

इससे पहले उन्होंने 2021 और 2024 में भी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी की थी, लेकिन तब उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया था। इस बार पार्टी के भीतर गुटीय संघर्ष और मौजूदा नेतृत्व से नाराजगी ने उनके पक्ष में माहौल बनाया।


प्रधानमंत्री इशिबा की जगह ली, चुनावी हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन

ताकाइची ने पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की जगह ली है। जुलाई में हुए ऊपरी सदन के चुनाव में एलडीपी को हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद पार्टी में इशिबा के खिलाफ असंतोष बढ़ गया। जनता भी बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन के खर्चों को लेकर नाराज थी, जिससे ताकाइची को नए नेतृत्व के रूप में सामने लाया गया।

एलडीपी ने ताकाइची को ऐसे समय में प्रधानमंत्री चुना है जब जापान की जनता राजनीतिक बदलाव की मांग कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति से मतदाताओं का विश्वास फिर से हासिल किया जा सकेगा।


सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर सख्त रुख

ताकाइची सामाजिक और पारंपरिक मुद्दों पर अपने रूढ़िवादी विचारों के लिए भी जानी जाती हैं। वह समलैंगिक विवाह की खुलकर विरोधी हैं और उनका कहना है कि इससे पारिवारिक मूल्य कमजोर होते हैं। वह चाहती हैं कि जापानी समाज अपनी परंपरागत संरचना और मूल्यों को बरकरार रखे।

इसके अलावा, ताकाइची राजशाही व्यवस्था में केवल पुरुष उत्तराधिकार की समर्थक हैं। वह मानती हैं कि राज्य प्रमुख का पद पुरुष सम्राट के पास ही रहना चाहिए और रानी या महिला सम्राट की अवधारणा जापान की सांस्कृतिक विरासत के अनुरूप नहीं है।


आव्रजन नीति पर सख्ती की पक्षधर

ताकाइची का एक और विवादास्पद रुख जापान की आव्रजन नीति पर है। वह लंबे समय से यह मांग करती रही हैं कि देश में विदेशी नागरिकों के प्रवेश और निवास के नियम और सख्त किए जाएं। उनका कहना है कि अवैध रूप से जापान में आने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

उनका यह मानना है कि जापान को अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सीमित आव्रजन नीति अपनानी चाहिए। ताकाइची का कहना है कि देश को ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो जापान के कानूनों, संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करते हुए काम करें।


अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते पर असहमति

साने ताकाइची ने हाल ही में अमेरिका के साथ हुई ट्रेड डील पर भी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि यह समझौता जापान के हितों के अनुरूप नहीं है और इस पर फिर से बातचीत की जानी चाहिए। अगस्त में हुई इस डील के तहत जापान ने अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया था, जिस पर ताकाइची का कहना है कि “देश की आर्थिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखे बिना इतना बड़ा निवेश करना उचित नहीं था।”

उनका यह रुख बताता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे जापान-अमेरिका संबंधों को संतुलित दृष्टिकोण से आगे बढ़ाना चाहती हैं, जहाँ जापान अपनी आर्थिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता देगा।


नाम और पारिवारिक कानूनों पर भी सख्त विचार

ताकाइची विवाहित दंपतियों के लिए अलग-अलग उपनाम रखने के प्रस्ताव का विरोध करती हैं। उनका कहना है कि यह जापान की पारंपरिक पारिवारिक एकता के खिलाफ है। उनके अनुसार, “पति-पत्नी का एक ही उपनाम होना केवल कानून नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक है।”


ऐतिहासिक कदम और नया युग

साने ताकाइची का प्रधानमंत्री बनना जापान के लिए ऐतिहासिक क्षण है। वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और यह चुनाव जापान की राजनीति में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि उनके विचारों को लेकर समाज में मतभेद हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि ताकाइची अपनी राष्ट्रवादी नीतियों, अनुशासन और सख्त निर्णयों के लिए जानी जाएंगी।

आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ताकाइची अपने कमजोर गठबंधन के बावजूद स्थिर सरकार चला पाएंगी और क्या उनकी नीतियाँ जापान को नए युग में ले जा पाएंगी।


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