October 22, 2025 2:46 AM

दीपावली पर पहली बार 12 हजार दीपों से जगमगाया बदरीनाथ धाम, माता लक्ष्मी को अर्पित किए गए 56 भोग

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दीपावली पर पहली बार 12 हजार दीपों से जगमगाया बदरीनाथ धाम, माता लक्ष्मी को अर्पित हुए 56 भोग

देहरादून, 21 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बदरीनाथ धाम में इस वर्ष दीपावली का पर्व ऐतिहासिक और अविस्मरणीय रहा। पहली बार भगवान बदरीनाथ के धाम को 12 हजार दीपों की जगमग रोशनी से आलोकित किया गया। दीपों की इस अलौकिक छटा ने पूरी घाटी को दिव्य आभा से भर दिया। श्रद्धालु, पुजारी और स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर परिसर में दीपों की यह अनूठी सजावट की गई। इस अवसर पर माता लक्ष्मी को 56 भोग का प्रसाद अर्पित किया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिभाव और उल्लास से भर उठा।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि इस बार दीपावली पर्व को बदरीनाथ और केदारनाथ दोनों धामों में परंपरागत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। मंदिरों को सैकड़ों किलो फूलों से सजाया गया और चारों ओर दीपों की पंक्तियाँ बिछा दी गईं। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए यह एक अलौकिक अनुभव भी रहा।

द्विवेदी ने कहा कि बदरीनाथ धाम में दीपोत्सव कार्यक्रम बीकेटीसी के तत्वावधान में आयोजित किया गया। इसमें तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों और स्थानीय संगठनों का विशेष सहयोग रहा। बदरीनाथ होटल एसोसिएशन ने भी दीपोत्सव आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाई। यह दीपोत्सव 23 अक्टूबर तक जारी रहेगा, जिसमें प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना और आरती का आयोजन किया जा रहा है।

मंदिर परिसर में दीपों की ज्योति से उत्पन्न दृश्य इतना मनोहारी था कि हर आने वाला श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठा। डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत, मेहता, भंडारी कमदी और अन्य हक-हकूकधारियों ने संयुक्त रूप से 12 हजार दीप प्रज्ज्वलित किए। इस दौरान श्री लक्ष्मी माता मंदिर में 56 भोग चढ़ाकर समृद्धि और शांति की कामना की गई।

इसी क्रम में केदारनाथ धाम में भी दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन हुआ। तीर्थ पुरोहितों और बीकेटीसी के सदस्यों ने मिलकर मंदिर परिसर और मार्गों को दीपों से सजाया। दीपों की रोशनी से संपूर्ण क्षेत्र दिव्य प्रकाश में नहाया हुआ प्रतीत हुआ। केदारनाथ धाम में भी इस अवसर पर विशेष पूजा, आरती और भंडारा का आयोजन हुआ।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि दोनों धामों को भक्तों और दानीदाताओं के सहयोग से करीब 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। विशेष रूप से श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर का भव्य श्रृंगार किया गया। इस वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को विधिवत रूप से बंद होंगे, उससे पहले मंदिर परिसर को सुसज्जित करने का कार्य पूर्ण किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि दीपावली पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्व पर्वतीय संस्कृति और परंपराओं को भी जीवंत बनाए रखने का प्रतीक है। इस बार के दीपोत्सव ने साबित कर दिया कि श्रद्धा और सामूहिक भावना से किसी भी पर्व को भव्यता दी जा सकती है।

इस आयोजन को देखने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालु विशेष रूप से बदरीनाथ पहुंचे। भक्तों ने दीपों की इस अद्भुत सजावट को अपने कैमरों में कैद किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। मंदिर समिति का मानना है कि भविष्य में भी इस तरह का दीपोत्सव हर वर्ष आयोजित किया जाएगा, जिससे उत्तराखंड की धार्मिक विरासत को वैश्विक पहचान मिल सके।

इस वर्ष की दीपावली पर बदरीनाथ और केदारनाथ दोनों ही धामों में आस्था और भक्ति का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने यह संदेश दिया कि प्रकाश और भक्ति का यह पर्व मानवता और सद्भाव का भी पर्व है।

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