राज्य सरकार 21 और 22 अक्टूबर को करेगी भव्य आयोजन, सभी जिलों में गो-पूजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियां तेज़
मध्यप्रदेश में हर जिले की गोशालाओं में होगी गोवर्धन पूजा, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिए निर्देश
भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करते हुए एक बड़ा निर्णय लिया — इस बार गोवर्धन पूजा प्रदेशभर में सरकारी स्तर पर आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और कृषि-आधारित जीवन से जुड़ी हमारी परंपराओं का प्रतीक है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी जिलों में सार्वजनिक स्थानों और गोशालाओं में गोवर्धन पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाए, ताकि समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
सभी जिलों में सरकारी स्तर पर गोवर्धन पूजा
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि 21 और 22 अक्टूबर को सभी जिलों के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों और गोशालाओं में गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि इन आयोजनों में मंत्री, सांसद, विधायक, नगरीय निकायों के प्रतिनिधि और पंचायतों के निर्वाचित सदस्य सक्रिय भागीदारी निभाएं। स्थानीय सांस्कृतिक मंडल, लोक कलाकार और जनप्रतिनिधि इस आयोजन को उत्सव के रूप में मनाएं ताकि प्रदेश में एक भव्य सांस्कृतिक वातावरण निर्मित हो।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि “गो-माता और गो-पालन हमारी सनातन संस्कृति की आत्मा हैं। जो गोपालन करता है, वह स्वयं गोपाल है और जहां गोपालन होता है, वह घर गोकुल बन जाता है।” उन्होंने कहा कि गो-संरक्षण और संवर्धन सरकार की उच्च प्राथमिकता है। समाज के सहयोग से इस दिशा में अनेक योजनाएं लागू की जा रही हैं।

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य — किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश देश के कुल दुग्ध उत्पादन का लगभग 9 प्रतिशत योगदान देता है, लेकिन सरकार का लक्ष्य इसे 20 प्रतिशत तक पहुंचाने का है। इसके लिए “दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान” चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पशु चिकित्सक गांव-गांव जाकर पशुपालकों को आधुनिक दुग्ध उत्पादन तकनीकों, नस्ल सुधार, पशु स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जानकारियां दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य न केवल गो-संरक्षण करना है बल्कि पशुपालक किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना भी है। गोवंश आधारित अर्थव्यवस्था ग्रामीण आजीविका का मजबूत आधार बन सकती है, इसलिए सरकार इस दिशा में अनेक नई पहल कर रही है।
प्रदेश में वर्ष 2024-25 को ‘गो-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें जैविक खेती, गोबर आधारित उत्पाद निर्माण और ग्रामीण उद्योगों का संवर्धन शामिल है।
21 और 22 अक्टूबर को जिलों में होंगे भव्य आयोजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा पारंपरिक लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप मनाई जाएगी। जिन जिलों में किसी कारण आयोजन 21 तारीख को नहीं हो पाएगा, वहां 22 अक्टूबर को आयोजन होगा। इन आयोजनों में गोशालाओं के संचालकों और पशुपालकों को विशेष रूप से सहभागी बनाया जाएगा।
इसके साथ ही पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और नवाचार करने वाले व्यक्तियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। इस आयोजन के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण अर्थतंत्र को नई दिशा देने का प्रयास किया जाएगा।
रवींद्र भवन में होगा राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन भोपाल के रवींद्र भवन में होगा। यहां गोवर्धन पूजन, परिक्रमा, अन्नकूट भोग, तथा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की जाएंगी।
इस अवसर पर बरेदी और ठाट्या नृत्य, पशुचारक समुदायों की कला प्रदर्शनी, जैविक उत्पाद और गोबर आधारित शिल्प के स्टॉल आकर्षण का केंद्र होंगे। साथ ही, पशुपालन, कृषि, और सहकारिता विभाग की योजनाओं की जानकारी देने के लिए विशेष प्रदर्शनी लगाई जाएगी।
ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए दुग्ध उत्पादन और ‘वृंदावन ग्राम योजना’ के विस्तार पर भी गतिविधियां संचालित की जाएंगी। गोवर्धन पर्व के अवसर पर सभी जिलों के आंगनवाड़ी केंद्रों में पंचगव्य उत्पाद — घी, दूध, पनीर, दही आदि से बनी सामग्री का वितरण किया जाएगा।
गो-आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि गोवर्धन पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि “गो-आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का अवसर” है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गोबर से जैविक खाद, बायोगैस और अन्य उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे किसानों को वैकल्पिक आय के साधन मिलेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
सरकार की योजनाओं में “गोबर से कमाई” की दिशा में अनेक पहलें शामिल हैं, जैसे जैविक उत्पाद निर्माण केंद्र, प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण, और ग्रामीण उत्पादक समूहों का गठन। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में जनता की भागीदारी सबसे अहम है।
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