उत्तरी बस्तर में लाल आतंक का अंत, केंद्र सरकार की रणनीति लाई ऐतिहासिक सफलता
छत्तीसगढ़ में 208 माओवादियों ने डाले हथियार, केंद्र सरकार की रणनीति से बस्तर में लाल आतंक का अंत
छत्तीसगढ़। देश में वर्षों से नक्सलवाद के नाम पर चल रहे रक्तरंजित अध्याय का एक बड़ा पन्ना अब बंद होता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्र सरकार की समन्वित रणनीति के तहत शुक्रवार को 208 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। इनमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है, जिसने उत्तरी बस्तर में दशकों से फैले लाल आतंक के सफाए का संकेत दे दिया है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कुल 153 हथियार भी पुलिस को सौंपे हैं।
#WATCH जगदलपुर, छत्तीसगढ़ | कुल 208 नक्सलियों को 153 हथियारों के साथ पुलिस लाइन में आत्मसमर्पण करने और पुनर्वास के लिए लाया गया है। इसके साथ ही अबूझमाड़ का अधिकांश हिस्सा नक्सली प्रभाव से मुक्त हो जाएगा और उत्तरी बस्तर में लाल आतंक का अंत हो जाएगा। pic.twitter.com/0bNr6ybXSn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 17, 2025
केंद्र की तय रणनीति का परिणाम
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशन में चल रहे “नक्सलमुक्त भारत मिशन” के तहत यह आत्मसमर्पण एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में यह सामूहिक आत्मसमर्पण एक निर्णायक कदम साबित हुआ है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के विभिन्न स्तरों से जुड़े थे। इनमें से कुछ शीर्ष नेता भी हैं, जो लंबे समय से जंगलों में सशस्त्र संघर्ष को दिशा दे रहे थे। अब वे संविधान और लोकतंत्र की राह पर लौटने को तैयार हुए हैं।

अबूझमाड़ में खत्म हुआ लाल प्रभाव
अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी बस्तर का सबसे कठिन इलाका अबूझमाड़, जो वर्षों से नक्सली गढ़ के रूप में जाना जाता था, अब लगभग माओवादी प्रभाव से मुक्त हो चुका है। यह क्षेत्र दशकों तक सुरक्षा बलों के लिए ‘नो-गो ज़ोन’ माना जाता था, लेकिन अब यहां विकास और शांति की बयार बहने लगी है। इसका अर्थ यह है कि अब नक्सलवाद की सक्रियता मुख्यतः दक्षिणी बस्तर तक सीमित रह गई है।
संगठन के प्रमुख नेता भी हुए शामिल
आत्मसमर्पण करने वालों में कई शीर्ष स्तर के नक्सली नेता शामिल हैं। इनमें —
- रूपेश उर्फ सतीश, केंद्रीय समिति सदस्य
- भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, डीकेएसजेडसी सदस्य
- रनिता, डीकेएसजेडसी सदस्य
- राजू सलाम, डीकेएसजेडसी सदस्य
- धन्नू वेट्टी उर्फ संटू, डीकेएसजेडसी सदस्य
- रतन एलम, क्षेत्रीय समिति सदस्य
इन नेताओं के आत्मसमर्पण से नक्सल संगठन की उत्तर बस्तर इकाई लगभग पूरी तरह बिखर गई है।
इतने हथियार किए जमा
आत्मसमर्पण के दौरान माओवादियों ने पुलिस के समक्ष जो हथियार जमा किए, उनमें शामिल हैं —
- 19 नग एके-47 राइफल
- 17 नग एसएलआर राइफल
- 23 नग इंसास राइफल
- 1 नग इंसास एमएमजी
- 36 नग 303 राइफल
- 4 नग कार्बाइन
- 11 नग बीजीएल लॉन्चर
- 41 नग 12 बोर / सिंगल शॉट गन
- 1 नग पिस्टल
इन हथियारों के साथ भारी मात्रा में गोला-बारूद और संचार उपकरण भी सुरक्षा बलों को सौंपे गए हैं।
आत्मसमर्पण की प्रक्रिया और सुरक्षा बलों की भूमिका
इस आत्मसमर्पण अभियान को छत्तीसगढ़ पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), और खुफिया एजेंसियों के संयुक्त प्रयास से अंजाम दिया गया। पिछले कई महीनों से नक्सलियों से लगातार संवाद और पुनर्वास की प्रक्रिया चलाई जा रही थी। सरकार द्वारा शुरू किए गए पुनर्वास पैकेज में आत्मसमर्पण करने वालों को आर्थिक सहायता, आवास, शिक्षा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक वर्ष में ही 600 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि कई अन्य ने हिंसा छोड़ने के संकेत दिए हैं।
मुख्यमंत्री का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक घटना पर कहा —
“यह दिन सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। आज बड़ी संख्या में नक्सली हमारे संविधान पर विश्वास जताते हुए विकास की मुख्यधारा से जुड़ने जा रहे हैं। यह लोकतंत्र की जीत है और हिंसा के अंत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर उस व्यक्ति का स्वागत करती है, जो बंदूक छोड़कर विकास की राह पर चलना चाहता है।
आगे की राह
सरकार का अगला लक्ष्य दक्षिणी बस्तर में नक्सल प्रभाव को समाप्त करना है। इसके लिए सुरक्षा बलों की तैनाती, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और पंचायतों को सक्रिय करने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि जैसे-जैसे विकास परियोजनाएं आगे बढ़ेंगी, नक्सल विचारधारा की पकड़ कमजोर होती जाएगी।
इस ऐतिहासिक आत्मसमर्पण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ अब “लाल आतंक” की छाया से निकलकर शांति और विकास की दिशा में बढ़ चुका है।
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