October 16, 2025 12:06 AM

इसरो प्रमुख वी. नारायणन का बड़ा ऐलान — 2040 तक भारतीयों को चंद्रमा पर उतारने का लक्ष्य, 2027 में मानव मिशन ‘गगनयान’ की उड़ान

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इसरो प्रमुख वी. नारायणन का ऐलान — 2040 तक भारतीय चंद्रमा पर उतरेंगे, 2027 में लॉन्च होगा मानव मिशन ‘गगनयान’

रांची / नई दिल्ली, 16 अक्टूबर।
भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में एक और मील का पत्थर तय कर लिया है। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बुधवार को कहा कि भारत ने 2040 तक अपने नागरिकों को चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित वापस लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ (Gaganyaan) वर्ष 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा।

नारायणन रांची स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT), मेसरा के 35वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने इसरो की आने वाली योजनाओं, भविष्य के मिशनों और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विस्तृत रोडमैप का खुलासा किया।


🌕 2040 तक भारत का लक्ष्य — “अपने नागरिक को चंद्रमा पर उतारना और वापस लाना”

इसरो प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वैज्ञानिकों को स्वदेशी मानवयुक्त चंद्र अभियान (Indian Human Moon Mission) के लिए 2040 की समय सीमा दी है।

“हमें न केवल अपने नागरिकों को चंद्रमा तक पहुंचाना है, बल्कि उन्हें सुरक्षित वापस भी लाना है। यह भारत के वैज्ञानिक कौशल, आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा।”

इसरो के अनुसार, यह मिशन पूरी तरह भारतीय रॉकेट, मॉड्यूल और तकनीकी विशेषज्ञता पर आधारित होगा।


🚀 गगनयान मिशन — भारत का पहला मानव स्पेस मिशन

वी. नारायणन ने बताया कि भारत का पहला मानव स्पेस मिशन ‘गगनयान’ 2027 में लॉन्च होगा।
इससे पहले इसरो तीन मानव रहित मिशन (Unmanned Missions) अंतरिक्ष में भेजेगा ताकि तकनीकी सुरक्षा और जीवन समर्थन प्रणाली की पूरी जांच की जा सके।

  • पहला मिशन दिसंबर 2025 में लॉन्च होगा, जिसमें अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्रा’ शामिल होगा।
  • दो अन्य मिशन 2026 में पूरे किए जाएंगे।
  • इसके बाद 2027 की शुरुआत में मानवयुक्त मिशन लॉन्च किया जाएगा।

गगनयान मिशन भारत को रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बना देगा जो मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखता है।


🛰️ 2035 तक बनेगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)

नारायणन ने कहा कि इसरो 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)’ स्थापित करेगा।
इसका उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान को स्थायी रूप से अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित करना है।

“हम 2027 से इसके शुरुआती मॉड्यूल्स को अंतरिक्ष में भेजना शुरू करेंगे। इससे भारत की स्पेस साइंस, माइक्रोग्रैविटी रिसर्च और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में नई क्रांति आएगी।”


🔭 आने वाले प्रमुख मिशन — चंद्रयान-4, मंगल मिशन और वीनस ऑर्बिटर

इसरो प्रमुख ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत कई महत्वाकांक्षी मिशनों को अंजाम देगा —

  • चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 — चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर और गहराई से अध्ययन।
  • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) — शुक्र ग्रह के वायुमंडल और जलवायु का अध्ययन।
  • नया मंगल मिशन (MOM-2) — मंगल ग्रह पर दीर्घकालिक रिसर्च और सतह विश्लेषण।
  • AXOM (Astrophysics Observatory Mission) — अंतरिक्ष से तारों और गैलेक्सियों की वेधशाला।

☀️ आदित्य-L1 से 15 टेराबाइट डेटा

नारायणन ने बताया कि इसरो का ‘आदित्य-L1 मिशन’, जो सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया था,
अब तक 15 टेराबाइट से अधिक सौर डेटा भेज चुका है।
इससे सौर ज्वालाओं, चुंबकीय तूफानों और अंतरिक्ष मौसम पर मूल्यवान जानकारियां मिली हैं।


🤝 अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आत्मनिर्भरता

इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ वैश्विक सहयोग के लिए भी तैयार है।

“हम जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष अनुसंधान और सौर अध्ययन जैसे क्षेत्रों में दुनिया के साथ मिलकर काम करेंगे।
परंतु हमारी प्राथमिकता भारतीय क्षमताओं का निर्माण और आत्मनिर्भर स्पेस ईकोसिस्टम बनाना है।”


💡 स्पेस सेक्टर में 300 से अधिक स्टार्टअप्स सक्रिय

वी. नारायणन ने बताया कि IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) की स्थापना के बाद
भारत के स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की भागीदारी में बड़ा इज़ाफा हुआ है।

“कुछ साल पहले जहां 1-2 स्टार्टअप्स थे, आज 300 से अधिक भारतीय स्टार्टअप्स सैटेलाइट निर्माण, लॉन्च सेवाओं, डेटा एनालिटिक्स और रिमोट सेंसिंग में काम कर रहे हैं।”

यह बदलाव कृषि, आपदा प्रबंधन, मछली पालन, परिवहन, दूरसंचार और मौसम पूर्वानुमान जैसे क्षेत्रों में मददगार साबित हो रहा है।


🧑‍🚀 गगनयान मिशन — भारत के लिए क्यों अहम

गगनयान मिशन सिर्फ अंतरिक्ष उड़ान नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक होगा।
इस मिशन से —

  • भारत स्पेस में इंसान भेजने वाला चौथा देश बनेगा,
  • देश को अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने में मदद मिलेगी,
  • अंतरिक्ष अनुसंधान में नए रोजगार और निवेश के अवसर बढ़ेंगे,
  • और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

🔧 इसरो की तैयारियां — कदम दर कदम प्रगति

1️⃣ लॉन्च व्हीकल तैयार:
मानव मिशन के लिए तैयार HLVM3 रॉकेट (पहले GSLV Mk III) का परीक्षण पूरा हो चुका है। यह इंसान को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष तक ले जाने में सक्षम है।

2️⃣ एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग:
भारतीय वायुसेना के 4 पायलटों को एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया है।
इनकी ट्रेनिंग रूस और भारत में पूरी हो चुकी है। अब इन्हें सिम्युलेटर और मेडिकल ट्रेनिंग दी जा रही है।

3️⃣ क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल:
अंतरिक्ष यात्रियों के रहने वाले क्रू मॉड्यूल और ऊर्जा-सपोर्ट वाले सर्विस मॉड्यूल अपने फाइनल स्टेज में हैं।

4️⃣ क्रू एस्केप सिस्टम (CES):
किसी आपात स्थिति में क्रू को रॉकेट से अलग करने के लिए एस्केप सिस्टम तैयार है और इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है।

5️⃣ रिकवरी टेस्टिंग:
इसरो और भारतीय नौसेना ने अरब सागर में स्प्लैशडाउन और रिकवरी मिशन का अभ्यास किया है।
ऑस्ट्रेलिया के साथ भी एक बैकअप समझौता किया गया है।

6️⃣ अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्रा’:
गगनयान के पहले बिना मानव मिशन में भेजा जाने वाला यह रोबोट
माइक्रोग्रैविटी परिस्थितियों में प्रयोग करेगा और सभी सिस्टम की टेस्टिंग करेगा।


🔬 एआई और रोबोटिक्स बदलेंगे अंतरिक्ष मिशन

नारायणन ने कहा कि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और बिग डेटा अंतरिक्ष अनुसंधान का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।

“जिस तरह 35 साल पहले कंप्यूटर क्रांति आई थी, उसी तरह एआई और रोबोटिक्स आने वाले दशक में स्पेस इंडस्ट्री में बड़ा परिवर्तन लाएंगे।”


🛰️ इसरो के उपलब्धियां और नए मील के पत्थर

  • चंद्रयान-1: चंद्रमा पर पानी की खोज कर भारत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।
  • चंद्रयान-3: दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश।
  • 100वां प्रक्षेपण पूरा: इसरो ने हाल ही में GSLV F15/NVS-02 मिशन के साथ 100 लॉन्च पूरे किए।
  • तीसरा लॉन्च पैड मंजूर: 4,000 करोड़ रुपये की लागत से नया लॉन्च पैड तैयार होगा जो NGLV (Next Generation Launch Vehicle) को समर्थन देगा।
  • स्पेस डॉकिंग तकनीक: भारत अब उन चार देशों में शामिल है जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक हासिल की है।

🔋 अंतरिक्ष से ऊर्जा तक — भारत की तकनीकी शक्ति

नारायणन ने बताया कि भारत में वर्तमान में 8 परमाणु संयंत्रों में 23 रिएक्टर सक्रिय हैं।
तारापुर और भाभा अनुसंधान केंद्र इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी भारत की आत्मनिर्भरता का आधार बन चुके हैं।


🔚 “भारत आज सिर्फ सपने नहीं देख रहा, उन्हें साकार कर रहा है”

इसरो प्रमुख ने कहा —

“भारत अब सिर्फ अंतरिक्ष को देख नहीं रहा, बल्कि उसे छू रहा है।
चंद्रयान से लेकर गगनयान तक की यात्रा यह साबित करती है कि
भारत 21वीं सदी में वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।”



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