जेलेंस्की और ट्रंप की दूसरी वार्ता: यूक्रेन की हवाई सुरक्षा, रक्षा सहयोग और ऊर्जा रणनीति पर हुई चर्चा
कीव, 12 अक्टूबर।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच लगातार दूसरे दिन वार्ता हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने यूक्रेन की हवाई सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, रक्षा क्षमताओं के विस्तार, और ऊर्जा सहयोग पर विस्तृत चर्चा की। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब रूस के लगातार हवाई हमलों से यूक्रेन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर दबाव है।
यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर अमेरिका से बढ़ी उम्मीदें
जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा,
“हमारी राष्ट्रपति ट्रंप से सार्थक बातचीत हुई। हमने यूक्रेन की हवाई रक्षा को मजबूत करने और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। राष्ट्रपति ट्रंप मौजूदा हालात से पूरी तरह अवगत हैं। हमने आपसी संवाद जारी रखने का निर्णय लिया है और दोनों देशों की टीमें अब इसके लिए आगे की तैयारी कर रही हैं।”
इस बातचीत में यूक्रेन ने एक बार फिर अमेरिका से अपने वायु रक्षा तंत्र को सशक्त बनाने के लिए मदद मांगी। यूक्रेन का कहना है कि रूस की ओर से हो रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने के लिए उसे उन्नत लॉन्ग-रेंज डिफेंस सिस्टम की जरूरत है।

रूस की चेतावनी – “टॉमहॉक मिसाइल सौदे से बढ़ेगा तनाव”
इस बातचीत के तुरंत बाद क्रेमलिन ने प्रतिक्रिया दी और अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि यूक्रेन को टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दी जाती हैं, तो इससे युद्ध की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
रूस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी किसी भी आपूर्ति को “अग्नि में घी डालने जैसा कदम” माना जाएगा, जो पूरे यूरोपीय क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है।
रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मॉस्को का कहना है कि अगर अमेरिका ने यूक्रेन को ऐसी लंबी दूरी की मिसाइलें दीं, तो वह इसे सीधी सैन्य चुनौती के रूप में देखेगा।
ट्रंप का संतुलित रुख: “पहले जानना जरूरी कि मिसाइलों का इस्तेमाल कैसे होगा”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले 6 अक्टूबर को एक प्रेस वार्ता में कहा था कि वह यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें देने के पक्ष में तभी हैं, जब उन्हें इस बात का पूरा भरोसा हो कि इनका इस्तेमाल युद्ध को बढ़ाने के लिए नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा था,
“हम यूक्रेन का समर्थन करना चाहते हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी मदद से युद्ध और न फैले। मेरा उद्देश्य शांति बहाल करना है, न कि संघर्ष को और भड़काना।”
ट्रंप की यह टिप्पणी अमेरिकी नीति में एक संतुलन को दर्शाती है, जहां वह एक ओर यूक्रेन की सुरक्षा का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस के साथ सीधी भिड़ंत से बचने की कोशिश भी कर रहे हैं।
यूक्रेन का आग्रह: “हवाई हमलों से निपटने के लिए तत्काल सहायता जरूरी”
जेलेंस्की ने अपनी बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि रूस लगातार यूक्रेन के शहरों, बिजली संयंत्रों और जल संयंत्रों को निशाना बना रहा है।
उन्होंने कहा,
“हमारी प्राथमिकता अपने नागरिकों और बुनियादी ढांचे की रक्षा करना है। यूक्रेन को मजबूत वायु रक्षा प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है। हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका और उसके सहयोगी इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।”
पिछले कुछ हफ्तों में रूस ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए यूक्रेन के ऊर्जा संयंत्रों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है।
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी हुई बातचीत
दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में ऊर्जा सहयोग को लेकर भी महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
यूक्रेन लंबे समय से अपनी ऊर्जा स्वतंत्रता को लेकर काम कर रहा है और अमेरिका के साथ नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर साझेदारी बढ़ाने की योजना बना रहा है।
जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन आने वाले वर्षों में स्वच्छ और आत्मनिर्भर ऊर्जा तंत्र विकसित करना चाहता है, ताकि रूस पर उसकी निर्भरता खत्म हो सके।
अमेरिका पहले ही यूक्रेन को बिजली ग्रिड और ऊर्जा संयंत्रों की मरम्मत के लिए तकनीकी सहायता दे रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का बदलता परिदृश्य
जेलेंस्की और ट्रंप की यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेन लगातार रूसी हवाई हमलों और मोर्चों पर दबाव का सामना कर रहा है।
रूस ने हाल के दिनों में पूर्वी यूक्रेन के कई शहरों में नए हमले तेज कर दिए हैं, वहीं यूक्रेन ने अपने सहयोगी देशों से वायु रक्षा और लंबी दूरी की हथियार प्रणाली की मांग बढ़ा दी है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका-यूक्रेन संबंधों में एक नई संतुलित रणनीति उभर सकती है, जिसमें समर्थन तो रहेगा, लेकिन सशर्त और सीमित रूप में।
शांति की संभावना पर अब भी अनिश्चितता
हालांकि दोनों नेताओं ने संवाद जारी रखने की सहमति जताई है, लेकिन रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ता अविश्वास अब भी किसी बड़े समझौते की संभावना को कमजोर कर रहा है।
फिलहाल यूक्रेन की प्राथमिकता अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, जबकि अमेरिका कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की रणनीति अपना रहा है।
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