October 15, 2025 9:12 PM

बिहार विधानसभा चुनाव: सीट बंटवारे को लेकर इंडी गठबंधन में बढ़ी तनातनी, भाकपा-माले और वीआईपी ने जताई नाराज़गी

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बिहार चुनाव: सीट बंटवारे पर इंडी गठबंधन में मतभेद, भाकपा-माले और वीआईपी ने जताई नाराजगी

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इंडी (महागठबंधन) में सीट बंटवारे पर सहमति बनती नहीं दिख रही है। कांग्रेस, राजद और वाम दलों के बीच कई दौर की बैठकों के बावजूद अंतिम निर्णय पर मतभेद कायम हैं। सूत्रों के अनुसार आज (बुधवार) सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा हो सकती है, लेकिन उससे पहले ही गठबंधन के भीतर तनाव और असहमति के संकेत मिल रहे हैं।

वामपंथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन यानी भाकपा-माले को 19 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है, जिस पर पार्टी ने नाराज़गी जताई है। वहीं, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) उपमुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर अड़ी हुई है।


भाकपा-माले ने 19 सीटों के प्रस्ताव को बताया “अपमानजनक”

भाकपा-माले ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर लड़कर अच्छा प्रदर्शन किया था और 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब एक बार फिर उसे वही 19 सीटें देने का प्रस्ताव मिला है, लेकिन पार्टी इसे सम्मानजनक नहीं मान रही।

भाकपा-माले से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा,

“हम 30 सीटों पर लड़ने के लिए नया प्रस्ताव रखने जा रहे हैं। अगर हमारा प्रस्ताव नहीं माना गया, तो सभी विकल्प हमारे लिए खुले हैं।”

इस बयान से यह संकेत स्पष्ट है कि वामपंथी दल इस बार अपनी पुरानी स्थिति से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। पार्टी का मानना है कि उसकी जमीनी पकड़ और कार्यकर्ता आधार को देखते हुए उसे अधिक सीटों पर मौका मिलना चाहिए।


वीआईपी की मांग से बढ़ी मुश्किलें

दूसरी ओर, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने गठबंधन के भीतर उप मुख्यमंत्री पद की मांग रख दी है। पार्टी प्रमुख का कहना है कि नदी और मछुआरा समाज की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वीआईपी को न केवल पर्याप्त सीटें, बल्कि सत्ता में भी सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए।

सूत्रों के अनुसार, वीआईपी को 20 सीटें देने का प्रस्ताव है, लेकिन पार्टी इससे संतुष्ट नहीं है और पद की गारंटी चाहती है। इससे राजद और कांग्रेस दोनों के लिए समीकरण बनाना मुश्किल हो गया है।


कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक आज

इन्हीं असहमति के बीच कांग्रेस ने बुधवार को अपनी केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की पहली वर्चुअल बैठक बुलाई है। इस बैठक में बिहार चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर पहली सूची पर चर्चा होगी और संभावित नामों पर मुहर लगाई जा सकती है।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट काटे या बदले जा सकते हैं, क्योंकि पार्टी इस बार “युवा और सक्रिय चेहरों” को प्राथमिकता देना चाहती है।


संभावित सीट बंटवारे का फार्मूला

गठबंधन सूत्रों के अनुसार, बिहार महागठबंधन में राजद को सबसे बड़ा हिस्सा मिलेगा। संभावित सीट वितरण का फार्मूला इस प्रकार बताया जा रहा है:

  • राजद (RJD) – 125 सीटें
  • कांग्रेस (INC) – 55 से 57 सीटें
  • वाम दल (CPI, CPI-M, CPI-ML) – 35 सीटें
  • विकासशील इंसान पार्टी (VIP) – 20 सीटें
  • राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLJP) – 3 सीटें
  • झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) – 2 सीटें

हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय होने से पहले वाम दलों और वीआईपी की सहमति जरूरी है।


गठबंधन में बढ़ता अविश्वास

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंडी गठबंधन में इस बार एकजुटता की कमी साफ दिखाई दे रही है। राजद को गठबंधन की प्रमुख पार्टी माना जा रहा है, परंतु सहयोगी दलों को यह चिंता सताने लगी है कि कहीं वे “सिर्फ समर्थन देने वाली पार्टियां” बनकर न रह जाएं।

कांग्रेस भी अपने हिस्से की सीटों को लेकर असहज है। पार्टी चाहती है कि जिन क्षेत्रों में उसका पारंपरिक जनाधार है, वहां से उम्मीदवार तय करने का अधिकार उसे मिले।


एनडीए के लिए मौका, इंडी में फूट का डर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इंडी गठबंधन में यह विवाद जल्द नहीं सुलझा तो इसका सीधा फायदा एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को मिल सकता है।
भाकपा-माले और वीआईपी के असंतोष से गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ सूत्रों के अनुसार, यदि वाम दलों की मांगें नहीं मानी गईं, तो वे स्वतंत्र रूप से या सीमित गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का फैसला कर सकते हैं।


आज हो सकती है घोषणा, लेकिन मतभेद बने हुए

कांग्रेस और राजद नेतृत्व आज ही सीट बंटवारे की घोषणा करने की तैयारी में हैं, लेकिन अंतिम सहमति के संकेत नहीं मिले हैं।
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने बताया,

“हम चाहते हैं कि सभी साथी दलों के बीच सम्मानजनक समझौता हो। जल्दबाजी में कोई फैसला लेना नुकसानदायक हो सकता है।”

राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अगर आज सीट बंटवारे की घोषणा होती भी है, तो यह पूर्ण सहमति से नहीं बल्कि दबाव की स्थिति में होगी।



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