October 15, 2025 7:28 PM

संयुक्त राष्ट्र में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार — “जो देश अपने ही लोगों पर बम बरसाता है, वह हमें उपदेश न दे”

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संयुक्त राष्ट्र में भारत का पाकिस्तान पर हमला: “जो देश अपने लोगों पर बम बरसाता है, वह हमें उपदेश न दे”

न्यूयॉर्क, 7 अक्टूबर 2025।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक महत्वपूर्ण खुली बहस में भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला है। भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने पाकिस्तान को उसके मानवाधिकार उल्लंघनों और दुष्प्रचार की राजनीति पर घेरते हुए कहा कि “दुनिया अब पाकिस्तान के झूठे प्रचार को भलीभांति समझ चुकी है। यह वही देश है जो अपने ही नागरिकों पर बम बरसाता है, सुनियोजित नरसंहार करता है और अब भी आतंकवाद को संरक्षण देता है।”

यह बहस “महिला, शांति और सुरक्षा” विषय पर आयोजित की गई थी, लेकिन पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने राग — “कश्मीर” — का मुद्दा उठाकर ध्यान भटकाने की कोशिश की। इस पर भारत ने सख्त लहजे में जवाब दिया और पाकिस्तान के इतिहास के काले अध्यायों को याद दिलाया।


“अपने ही लोगों पर बम बरसाने वाला देश भारत पर झूठ न बोले”

राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार भारत की छवि खराब करने के लिए झूठ फैलाता है, जबकि उसका अपना रिकॉर्ड बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा —

“यह वही देश है जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया था, जिसमें अपनी ही जनता के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करते हुए लाखों लोगों की हत्या की गई थी। पाकिस्तान की सेना ने उस समय 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया था — यह मानवता के खिलाफ अपराध था, जिसे इतिहास कभी नहीं भूल सकता।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र में भारत को बदनाम करने की कोशिश करता है, जबकि दुनिया जानती है कि यह देश खुद अपने नागरिकों के अधिकारों का सबसे बड़ा हननकर्ता है।


भारत ने दोहराई अपनी प्रतिबद्धता : “हम शांति, समानता और नारी सशक्तिकरण के पक्षधर हैं”

राजदूत हरीश ने संयुक्त राष्ट्र मंच से यह स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से महिला सशक्तिकरण, शांति स्थापना और वैश्विक सहयोग के पक्ष में रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत न केवल संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में भी सबसे आगे है।

“भारत ने संयुक्त राष्ट्र में महिला, शांति और सुरक्षा एजेंडा के प्रति अपनी अटल प्रतिबद्धता दिखाई है। हमारा उद्देश्य है कि महिलाओं की भूमिका केवल पीड़ित के रूप में नहीं, बल्कि शांति निर्माता और नेतृत्वकर्ता के रूप में भी स्थापित हो।”


भारत की महिला शांति सैनिकों की सराहनीय भूमिका

हरीश ने अपने वक्तव्य में भारत की महिला शांति सैनिकों का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत वह पहला देश था जिसने संयुक्त राष्ट्र के किसी मिशन में महिला चिकित्सा अधिकारी और महिला पुलिस बल भेजे थे।

उन्होंने कहा —

“1960 के दशक में जब यह विचार भी नहीं किया गया था, तब भारत ने कांगो में महिला चिकित्सा अधिकारियों को तैनात किया था। यह संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महिलाओं की भूमिका की शुरुआत थी।”

साल 2007 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र इतिहास की पहली महिला पुलिस यूनिट लाइबेरिया में भेजी थी, जिसने वहाँ समाज में बड़ा परिवर्तन लाया। महिलाओं को यह अहसास हुआ कि वे सुरक्षा देने वाली और नेतृत्व करने वाली दोनों हो सकती हैं।

हरीश ने कहा कि भारत की यह पहल आज भी शांति अभियानों में महिला भागीदारी की प्रेरणा बनी हुई है।


डॉ. किरण बेदी का उदाहरण दिया

राजदूत ने भारतीय पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी डॉ. किरण बेदी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की महिलाएँ हमेशा से नेतृत्व और नयी राह दिखाने का प्रतीक रही हैं।
डॉ. बेदी को 2003 में संयुक्त राष्ट्र पुलिस डिवीजन की पहली महिला सलाहकार नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने कार्यकाल में महिला अधिकारियों की भूमिका और सहभागिता को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया।


भारत की 160 से अधिक महिला सैनिक संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सक्रिय

वर्तमान में 160 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के तहत सेवा दे रही हैं। इनमें कांगो, सूडान के अबेई क्षेत्र और दक्षिण सूडान जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्र शामिल हैं।
भारत न केवल सैनिक भेज रहा है, बल्कि महिला शांति रक्षकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

नई दिल्ली स्थित भारतीय सेना का संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (UN Peacekeeping Centre) अब वैश्विक स्तर पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बन चुका है, जहाँ हर वर्ष करीब 12,000 सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।


वैश्विक दक्षिण के लिए भारत की पहल

राजदूत हरीश ने यह भी बताया कि भारत ने फरवरी 2025 में वैश्विक दक्षिण की महिला शांति रक्षकों पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें 35 देशों की महिला शांति सैनिकों ने भाग लिया था।
इस सम्मेलन में शांति अभियानों में महिलाओं के सामने आने वाली नई चुनौतियों, विशेषकर यौन शोषण और दुर्व्यवहार जैसी समस्याओं से निपटने की रणनीतियों पर विचार किया गया।

हाल ही में अगस्त 2025 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महिला सैन्य अधिकारी पाठ्यक्रम की भी मेजबानी की, जिसमें 15 देशों की प्रतिभागी शामिल हुईं।


“भारत की नीतियाँ महिलाओं को सशक्त और समाज को सुरक्षित बनाती हैं”

हरीश ने कहा कि भारत यह मानता है कि शांति की स्थायी नींव तभी रखी जा सकती है जब महिलाएँ उसमें बराबर की भागीदार हों।
उन्होंने कहा —

“महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं बल्कि स्थायी शांति की आवश्यकता है। भारत इस विचार को अपनी नीतियों में लगातार सशक्त कर रहा है।”


पाकिस्तान को मिला स्पष्ट संदेश

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि वह भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिशों से बाज आए और पहले अपने घर को दुरुस्त करे।
हरीश ने कहा —

“पाकिस्तान की राजनीति झूठ, आतंक और अत्याचार पर आधारित है। वह शांति की बात करता है लेकिन अपने ही लोगों पर बम बरसाने से पीछे नहीं हटता। दुनिया उसकी इस दोहरी नीति को अच्छी तरह पहचान चुकी है।”


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