जेईई, नीट और सीयूईटी में आधार से तय होगा परीक्षा केंद्र, मनचाहा शहर चुनने की सुविधा खत्म
नई दिल्ली।
देश की प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं — जेईई मेन, नीट यूजी और सीयूईटी यूजी — की परीक्षा प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अब यह व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है कि परीक्षा केंद्र आवंटन उम्मीदवार के आधार कार्ड में दर्ज पते के आधार पर ही किया जाएगा।
इस निर्णय के साथ ही छात्रों के लिए मनचाहे शहर या राज्य में परीक्षा केंद्र चुनने की सुविधा समाप्त कर दी गई है। एनटीए ने छात्रों और अभिभावकों को इस संबंध में आधिकारिक नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें आवेदन से पहले आवश्यक सावधानियों की जानकारी दी गई है।

अब केंद्र आवंटन केवल आधार पते से
एनटीए के अनुसार, अब देशभर में आयोजित होने वाली इन तीनों राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं में परीक्षा केंद्र उम्मीदवार के स्थायी पते के आधार पर तय किया जाएगा, जो उसके आधार कार्ड में दर्ज है।
इसका अर्थ यह हुआ कि यदि किसी छात्र का पता भोपाल का है, तो उसे भोपाल या उसके नज़दीकी जिले में ही परीक्षा केंद्र मिलेगा। अब वह दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु या किसी अन्य शहर को अपनी इच्छा से परीक्षा केंद्र के रूप में नहीं चुन सकेगा।
यह नया नियम शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होगा और इसकी शुरुआत जेईई मेन 2026 के जनवरी सत्र की परीक्षा से होगी।
आवेदन से पहले आधार में करें आवश्यक सुधार
एनटीए ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही छात्र अपने आधार कार्ड में आवश्यक सुधार करा लें। आवेदन जमा करने के बाद आधार में दर्ज पते या जानकारी में कोई संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नोटिस में कहा गया है —
“परीक्षार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने आधार कार्ड में दिए गए पते, नाम, जन्मतिथि और अन्य व्यक्तिगत विवरणों को ध्यानपूर्वक जांच लें। यदि इनमें कोई गलती है, तो आवेदन करने से पहले ही सुधार करा लें, अन्यथा आवेदन पत्र निरस्त किया जा सकता है।”
इसके साथ ही एनटीए ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड और दसवीं कक्षा के प्रमाण पत्र में दी गई सूचनाएँ (जैसे नाम, जन्मतिथि और लिंग) बिल्कुल समान होनी चाहिए। किसी भी प्रकार की विसंगति होने पर आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाएगा।

परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा
एनटीए के इस कदम को परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले वर्षों में यह देखा गया था कि बड़ी संख्या में छात्र ऐसे शहरों में परीक्षा केंद्र चुन लेते थे, जहाँ उनका स्थायी निवास नहीं था।
इससे कई बार परीक्षा केंद्रों पर भीड़, अनुचित आवागमन और प्रशासनिक कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती थीं। अब नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित होगा कि विद्यार्थी अपने गृह नगर या नज़दीकी क्षेत्र में परीक्षा दें, जिससे समानता और व्यवस्थापन दोनों में सुधार होगा।
आरक्षित वर्ग और दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष निर्देश
एनटीए ने नोटिस में आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस) और दिव्यांग छात्रों के लिए भी विशेष निर्देश जारी किए हैं।
इन छात्रों को सलाह दी गई है कि वे अपने अपडेटेड प्रमाण पत्र तैयार रखें। इन प्रमाण पत्रों में दी गई सूचनाएँ आधार कार्ड और दसवीं के प्रमाण पत्र से पूरी तरह मेल खानी चाहिए। आवेदन भरने के बाद इन दस्तावेज़ों में कोई संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि प्रमाण पत्र में असमानता या त्रुटि पाई गई, तो उम्मीदवार की पात्रता प्रभावित हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय : प्रशासनिक पारदर्शिता का सकारात्मक कदम
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एनटीए का यह निर्णय छात्रों और परीक्षा आयोजकों दोनों के लिए लाभकारी होगा। इससे परीक्षा केंद्रों के आवंटन में होने वाली गड़बड़ियों और पक्षपात की संभावनाएँ समाप्त होंगी।
पूर्व शिक्षा सलाहकारों के अनुसार, “आधार आधारित केंद्र आवंटन से यह सुनिश्चित होगा कि किसी उम्मीदवार को भौगोलिक या प्रशासनिक सुविधा के आधार पर विशेष लाभ न मिले। इससे परीक्षा प्रणाली और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।”
छात्रों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
हालांकि इस नए नियम को लेकर छात्रों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। कुछ छात्रों ने इसे सुव्यवस्थित प्रणाली बताया, जबकि कुछ ने कहा कि यह उन विद्यार्थियों के लिए मुश्किल पैदा करेगा जो किसी अन्य राज्य में रहकर कोचिंग कर रहे हैं।
कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार को ऐसे छात्रों के लिए अस्थायी पते की मान्यता जैसी व्यवस्था भी करनी चाहिए, ताकि उन्हें बार-बार आधार में संशोधन न कराना पड़े।
नई नीति से जुड़े मुख्य बिंदु
- परीक्षा केंद्र आवंटन अब आधार कार्ड में दर्ज पते के आधार पर होगा।
- आवेदन से पहले आधार में सुधार करना अनिवार्य होगा।
- आधार और 10वीं की जानकारी में समानता जरूरी है।
- आरक्षित वर्गों के छात्रों को अद्यतन प्रमाण पत्र तैयार रखना होगा।
- नियम शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू होंगे, शुरुआत जेईई मेन 2026 से।
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