October 15, 2025 6:20 PM

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर जारी किया विशेष सिक्का और डाक टिकट, बोले- “संघ राष्ट्र निर्माण की धारा”

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PM मोदी ने RSS शताब्दी वर्ष पर जारी किया सिक्का और डाक टिकट, बोले- संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को “राष्ट्र निर्माण की साधना” बताया और कहा कि चाहे संघ पर प्रतिबंध लगे हों या साजिशें रची गई हों, संगठन ने कभी कटुता नहीं दिखाई।


पहली बार सिक्के पर भारत माता की छवि

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ से जुड़ा यह सिक्का ऐतिहासिक है क्योंकि भारतीय मुद्रा पर पहली बार भारत माता की छवि अंकित की गई है

  • सिक्के के एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह है।
  • दूसरी ओर सिंह पर विराजमान भारत माता और संघ के स्वयंसेवकों की झलक दिखाई गई है।
  • सिक्के पर संघ का बोध वाक्य भी अंकित किया गया है।

मोदी ने कहा कि यह सिक्का सिर्फ एक धातु का टुकड़ा नहीं बल्कि “राष्ट्र साधना” और “सेवा भावना” का प्रतीक है।


डाक टिकट में संघ के योगदान की झलक

प्रधानमंत्री ने संघ के स्वयंसेवकों की सेवा भावना का उल्लेख करते हुए कहा कि नया डाक टिकट समाज को सशक्त बनाने में संघ के योगदान की झलक पेश करता है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों का समर्पण और निस्वार्थ सेवा राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है।


मोदी का भाषण: संघ पर हमले हुए, लेकिन राष्ट्र साधना जारी रही

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा—

  • “संघ की यात्रा यह दिखाती है कि जब-जब षड्यंत्र हुए, तब-तब संघ और मज़बूत होकर निकला।”
  • उन्होंने याद दिलाया कि आजादी के बाद संघ को मुख्यधारा से रोकने की कोशिशें हुईं और पूज्य गुरुजी (एम.एस. गोलवलकर) को जेल भेजा गया। लेकिन जब वे बाहर आए तो उन्होंने कहा— “जीभ दांतों के नीचे दब भी जाए तो हम दांत तोड़ नहीं देते, क्योंकि दोनों हमारे हैं।”

मोदी ने इसे संघ की “समन्वय और समरसता” की सोच का उदाहरण बताया।


“संघ की हर धारा राष्ट्र निर्माण में प्रवाहित”

प्रधानमंत्री ने संघ की भूमिका की तुलना एक नदी से की। उन्होंने कहा कि—
“जैसे नदी कई धाराओं में बंटकर आसपास के गांवों को पोषित करती है, वैसे ही संघ की हर धारा अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत है। उद्देश्य एक ही है—राष्ट्र प्रथम।”

उन्होंने यह भी कहा कि संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की राह चुनी और शाखा को साधन बनाया। हेडगेवार जी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा—
“जैसे कुम्हार मिट्टी को आकार देकर, खुद तपकर ईंट को पकाता है, वैसे ही संघ साधारण लोगों को चुनकर असाधारण कार्य करने योग्य बनाता है।”


“अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश”

मोदी ने संघ की स्थापना को भारतीय संस्कृति और परंपरा का पुनरुत्थान बताया। उन्होंने कहा कि 100 साल पहले RSS का गठन संयोग नहीं था, बल्कि यह अनादि राष्ट्र चेतना का अवतार था।
उन्होंने स्वयंसेवकों को संदेश देते हुए कहा कि उन्हें न्याय और प्रकाश की राह पर निरंतर आगे बढ़ना है।


“घुसपैठ बड़ी चुनौती, सरकार कर रही मुकाबला”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के सामने घुसपैठ और जनसांख्यिकी में बदलाव जैसी गंभीर चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा—
“हमारी सरकार इनसे सख्ती से निपट रही है। संघ ने इसके लिए ठोस रोडमैप बनाया है।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि विभाजन के समय और विभिन्न युद्धों तथा आपदाओं के दौरान संघ के स्वयंसेवक हमेशा राहत कार्यों में अग्रणी रहे।


होसबाले का संबोधन: “संघ किसी का विरोधी नहीं”

इस अवसर पर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ की सौ वर्षों की यात्रा संघर्ष और सेवा की रही है।

  • उन्होंने कहा, “संघ को किसी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। हम किसी का विरोध नहीं करते। स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से राष्ट्रहित में काम करता है।”
  • होसबाले ने यह भी बताया कि संघ के शताब्दी वर्ष में 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • संघ प्रमुख मोहन भागवत भी विदेश यात्राओं पर जाकर कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।

RSS का कार्य: “सामान्य लोग, असामान्य काम”

होसबाले ने कहा कि संघ की ताकत इसकी शाखाओं में है, जहां से व्यक्ति निर्माण होता है।
“संघ वह भूमि है जहां से ‘अहं’ से ‘वयं’ की यात्रा शुरू होती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आज देश के हर कोने में संघ के स्वयंसेवक सेवा कार्यों में लगे हैं और यही संघ की सबसे बड़ी पूंजी है।


सरकार और समाज की मान्यता

होसबाले ने कहा कि भारत सरकार द्वारा डाक टिकट और सिक्का जारी करना केवल औपचारिकता नहीं बल्कि संघ के स्वयंसेवकों के कार्यों की सामाजिक मान्यता है।



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