October 15, 2025 7:28 PM

पीएम मोदी ने लॉन्च किया BSNL का स्वदेशी 4G नेटवर्क, गांव-गांव तक पहुंचेगा तेज इंटरनेट

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पीएम मोदी ने लॉन्च किया BSNL का स्वदेशी 4G नेटवर्क, गांव-गांव तक पहुंचेगा इंटरनेट

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का बहुप्रतीक्षित स्वदेशी 4G नेटवर्क लॉन्च कर दिया। इस लॉन्च के साथ ही भारत अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी टेलिकॉम तकनीक पूरी तरह खुद विकसित करते हैं। अब तक यह उपलब्धि डेनमार्क, स्वीडन, साउथ कोरिया और चीन के पास थी, और भारत पांचवां देश बन गया है।


98 हजार साइटों पर रोलआउट, गांव-शहर को जोड़ेगा

BSNL का नया 4G नेटवर्क देशभर में 98,000 साइटों पर स्थापित किया गया है। कंपनी का दावा है कि यह सेवा जंगलों, पहाड़ी इलाकों और दूरस्थ गांवों तक भी पहुंचेगी, जहां अब तक तेज इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। इससे न सिर्फ शहर, बल्कि ग्रामीण भारत भी डिजिटल सेवाओं से जुड़ सकेगा।

डिजिटल भारत निधि‘ के तहत यह पहला ऐसा नेटवर्क है, जो देश के हर कोने तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर आया है। इसका सीधा असर शिक्षा, स्वास्थ्य, ऑनलाइन सेवाओं और ग्रामीण उद्यमिता पर पड़ने वाला है।


पूरी तरह स्वदेशी तकनीक, 5G में आसानी से अपग्रेड होगा

BSNL का यह नेटवर्क पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसे भारतीय इंजीनियरों और कंपनियों ने विकसित किया है। खास बात यह है कि यह नेटवर्क क्लाउड-बेस्ड और फ्यूचर-रेडी है। इसका डिजाइन ऐसा है कि केवल सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इसे 5G में बदला जा सकेगा।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि BSNL का यह नेटवर्क सीमलेसली 5G में अपग्रेडेबल है। यानी बड़े हार्डवेयर बदलाव की जरूरत नहीं होगी। इससे भारत की 5G क्षमता को और मजबूत करने का रास्ता साफ हो जाएगा।


प्रतिस्पर्धा में पिछड़ा BSNL, ग्राहक लगातार घटे

हालांकि तकनीकी उपलब्धि के बावजूद BSNL की मौजूदा स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की जुलाई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, BSNL और MTNL लगातार ग्राहक खो रही हैं।

  • जुलाई में BSNL के 1.01 लाख ग्राहक कम हुए
  • MTNL के सब्सक्राइबर भी घटे।
  • अब सरकारी टेलिकॉम कंपनियों का मार्केट शेयर 8% से भी नीचे आ गया है।

इसके उलट, प्राइवेट कंपनियां तेजी से ग्राहकों को जोड़ रही हैं।

  • जियो ने जुलाई में 4.83 लाख नए ग्राहक बनाए।
  • एयरटेल ने 4.64 लाख ग्राहक जोड़े।
  • वोडाफोन-आइडिया (Vi) के 3.59 लाख ग्राहक घटे

इससे साफ है कि BSNL बाजार की प्रतिस्पर्धा में जियो और एयरटेल से काफी पीछे है।


क्यों पिछड़ा BSNL?

BSNL की आज की स्थिति तक पहुंचने के पीछे कई वजहें हैं।

  1. अनुमतियों में देरी – 2000 में BSNL की स्थापना के बाद अधिकारी चाहते थे कि जल्द से जल्द मोबाइल सेवाएं शुरू की जाएं, लेकिन सरकारी मंजूरी समय पर नहीं मिली।
  2. धीमी क्षमता वृद्धि – 2006 से 2012 के बीच BSNL की नेटवर्क क्षमता मामूली बढ़ी, जबकि प्राइवेट कंपनियां तेजी से आगे निकल गईं।
  3. नेटवर्क की गुणवत्ता पर सवाल – नेटवर्क कंजेशन और धीमी स्पीड की वजह से ग्राहक धीरे-धीरे निजी कंपनियों की ओर चले गए।
  4. 3G स्पेक्ट्रम नीलामी से बाहर रहना – 2010 में जब 3G की नीलामी हुई, तो BSNL ने हिस्सा नहीं लिया।
  5. वायमैक्स की असफलता – कंपनी को वायमैक्स आधारित ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम पर भारी निवेश करना पड़ा, जिससे आर्थिक स्थिति बिगड़ गई।
  6. लैंडलाइन ग्राहकों में गिरावट – 2006-07 में 3.8 करोड़ लैंडलाइन यूजर्स थे, जो 2014-15 तक घटकर 1.6 करोड़ रह गए।
  7. 4G लॉन्च में देरी – जब निजी कंपनियां 4G और फिर 5G लेकर आ गईं, तब भी BSNL 4G नेटवर्क लाने के लिए संघर्ष करता रहा।

भविष्य की राह: 4G से 5G और 6G तक

BSNL अब इस स्वदेशी 4G नेटवर्क के जरिए नए सिरे से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि यह भी सच है कि जियो और एयरटेल पहले से 5G सेवाएं दे रहे हैं, जबकि BSNL अभी 4G पर ही अटका है।

प्रधानमंत्री मोदी पहले ही 6G नेटवर्क का रोडमैप जारी कर चुके हैं और 2030 तक भारत में 6G सेवाओं की उम्मीद जताई गई है। ऐसे में BSNL को न सिर्फ 4G बल्कि जल्द से जल्द 5G सेवाएं शुरू करनी होंगी, ताकि वह प्रतिस्पर्धा में टिक सके।


विशेषज्ञों की राय

टेलिकॉम विशेषज्ञों का मानना है कि BSNL का नया 4G नेटवर्क ग्रामीण भारत और पिछड़े इलाकों में डिजिटल क्रांति ला सकता है। अगर कंपनी अपनी सेवाओं को लगातार बेहतर बनाए और ग्राहक अनुभव पर ध्यान दे, तो वह प्राइवेट कंपनियों के दबदबे को चुनौती दे सकती है।


निष्कर्ष नहीं (अनुरोधानुसार)

BSNL के लिए यह लॉन्च एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे व्यावसायिक सफलता में बदलना आसान नहीं होगा। ग्रामीण कनेक्टिविटी और स्वदेशी तकनीक इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं, जबकि ग्राहक संतुष्टि और प्रतिस्पर्धा सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।



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