टेकनपुर में बीएसएफ ने खोला देश का पहला ‘ड्रोन युद्ध विद्यालय’, ड्रोन गश्त की तैयारी
ग्वालियर, 26 सितंबर।
सीमा पर लगातार बढ़ते ड्रोन खतरों और तस्करी की चुनौतियों से निपटने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मध्यप्रदेश के टेकनपुर स्थित बीएसएफ अकादमी में देश का पहला ‘ड्रोन युद्ध विद्यालय’ (Drone Warfare School) स्थापित किया गया है। इस विद्यालय का उद्देश्य जवानों को आधुनिक तकनीक और ड्रोन आधारित युद्धक क्षमताओं में प्रशिक्षित करना है, ताकि सीमा पर दुश्मनों और तस्करों की नई रणनीतियों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया जा सके।
पहला बैच और नए कोर्स
बीते माह शुरू हुए इस विशेष प्रशिक्षण केंद्र में 40 अधिकारियों का पहला बैच एक सप्ताह का ‘ड्रोन ओरिएंटेशन कोर्स’ पूरा कर चुका है। इसमें बीएसएफ की विभिन्न सीमाओं और सहायक प्रशिक्षण केंद्रों से आए कमांडेंट और सेकेंड-इन-कमांड स्तर के अधिकारी शामिल रहे।
वर्तमान में 47 जवानों का दूसरा बैच छह सप्ताह लंबे ‘ड्रोन कमांडो कोर्स’ में प्रशिक्षण ले रहा है। इसमें अधीनस्थ अधिकारियों, सहायक उप-निरीक्षकों और कांस्टेबलों को शामिल किया गया है। इन प्रशिक्षुओं को ड्रोन उड़ाना, मरम्मत, हथियारीकरण, ड्रोन से तस्करी रोकना और रणनीतिक ऑपरेशन की बारीकियाँ सिखाई जा रही हैं।

एडीजी शमशेर सिंह की पहल
बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर के निदेशक और एडीजी शमशेर सिंह ने बताया कि बीते चार-पांच वर्षों में सीमा पर ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी बढ़ी है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह चुनौती और गंभीर हो गई। उन्होंने कहा कि जवानों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम बनाने हेतु बीएसएफ ने यह विद्यालय स्थापित किया है।

50 सेकेंड में ड्रोन असेंबल करने की ट्रेनिंग
इस ड्रोन युद्ध विद्यालय में दो प्रमुख पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं—ड्रोन कमांडो कोर्स और ड्रोन योद्धा कोर्स।
- ड्रोन कमांडो कोर्स उन जवानों के लिए है जो सीमा पर प्रत्यक्ष रूप से ड्रोन चलाएंगे और ऑपरेशन संभालेंगे। इसमें उड़ान, मरम्मत, हथियार जोड़ना और त्वरित असेंबली का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- एडीजी ने बताया कि जिस प्रकार कमांडो 50 सेकेंड में एक राइफल को असेंबल कर लेता है, उसी तरह अब उन्हें 50 सेकेंड में ड्रोन तैयार करने की क्षमता दी जा रही है।
सीमा पर ड्रोन गश्त की योजना
बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम को पिछले पाँच वर्षों में सीमा पर हुई घटनाओं और तस्करों द्वारा अपनाई गई तकनीकों के फॉरेंसिक अध्ययन के आधार पर तैयार किया गया है। भविष्य में बीएसएफ सीमा के संवेदनशील इलाकों में ड्रोन गश्त तैनात करने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही जवानों को साइबर युद्ध से निपटने की तकनीक और नए पाठ्यक्रमों के जरिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
रणनीतिक बदलाव और नई दिशा
इस पहल से साफ है कि बीएसएफ अब पारंपरिक सुरक्षा उपायों से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीक को अपनाने पर जोर दे रही है। ड्रोन युद्ध विद्यालय न केवल तस्करी और घुसपैठ से निपटने में मदद करेगा बल्कि आने वाले समय में सीमा सुरक्षा के पूरे ढांचे को नई दिशा देगा।
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