अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन समिट 2025: मुख्यमंत्री बोले बीस साल में बदला मध्यप्रदेश का नक्शा
भोपाल। मध्यप्रदेश के शहरी विकास और औद्योगिक प्रगति को नई दिशा देने के लिए भोपाल में आयोजित अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन समिट 2025 का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य में बीते दो दशकों में हुए बदलावों को रेखांकित करते हुए कहा कि “2004 के पहले का मध्यप्रदेश और आज का मध्यप्रदेश एकदम अलग है। हमारी सरकारों ने बीस साल में प्रदेश का नक्शा बदल दिया है।”
प्रति व्यक्ति आय में जबरदस्त बढ़ोतरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीस साल पहले प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय केवल 11 हजार रुपये थी, जो आज बढ़कर 1 लाख 52 हजार रुपये तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि किसानों की आमदनी को देखते हुए गेहूं की खरीद दरों में भी बड़ा सुधार किया गया है। वर्ष 1956 में जहां गेहूं 96 रुपये क्विंटल मिलता था, वहीं 2004 में यह 500 रुपये क्विंटल था। आज प्रदेश सरकार किसानों से 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रही है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव प्रदेश की आर्थिक मजबूती का प्रमाण है।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दी है। प्रदेश में पिछले वर्षों में सात नए मेडिकल कॉलेज खोले गए और चार और कॉलेज के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। कृषि शिक्षा को भी नई दिशा दी गई है। पहले केवल दो विश्वविद्यालयों में कृषि पाठ्यक्रम चलता था, अब 11 विश्वविद्यालयों में यह कोर्स उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि पहले कृषि विज्ञान में स्नातक (बीएससी एग्रीकल्चर) के लिए केवल 400 विद्यार्थी दाखिला लेते थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 6,000 हो गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में भी तेजी आई है। एक साल में आठ आयुर्वेदिक कॉलेज शुरू किए गए और चार और निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा 55 जिलों में उत्कृष्टता कॉलेज और सांदीपनी विद्यालय भी खोले गए हैं।

औद्योगिक विकास पर फोकस
डॉ. यादव ने कहा कि शहरीकरण की दिशा में हमने आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में उलझने के बजाय औद्योगिक क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है। इंदौर और भोपाल को मेट्रोपॉलिटन शहर बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मित्र पार्क योजना के अंतर्गत देशभर में सात पार्क बनने थे, लेकिन पहला भूमि पूजन मध्यप्रदेश में ही हुआ। 2,000 एकड़ में फैला यह औद्योगिक परिसर किसानों और युवाओं के लिए आय और रोजगार का बड़ा साधन बनेगा।
परिवहन और आधारभूत संरचना पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर और भोपाल को मेट्रो रेल से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही जबलपुर और ग्वालियर को भी मेट्रोपॉलिटन शहर का दर्जा देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों, सीवेज लाइन और जलापूर्ति की योजनाओं पर भी काम चल रहा है, जिससे प्रदेश के 60% शहरी निवासियों को सीधा लाभ मिलेगा।
स्वच्छता मिशन के अंतर्गत इंदौर लगातार सात बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना है। भोपाल भी शीर्ष शहरों में शामिल है। जबलपुर पांचवे स्थान पर और उज्जैन दस लाख आबादी वाले शहरों में अव्वल रहा है। इंदौर और जबलपुर ने स्वच्छ वायु के क्षेत्र में भी उदाहरण पेश किया है।
शहरी सुविधाओं का विस्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की नगर परिषदों में अब एयरपोर्ट, फाइव स्टार होटल और आधुनिक सड़कें जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। खजुराहो का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भले वहां आबादी कम है, लेकिन सुविधाएं बड़े शहरों जैसी उपलब्ध कराई गई हैं।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित जिला बालाघाट अब विकास की मुख्यधारा में लौट रहा है। सरकार की योजनाओं से वहां भी औद्योगिक और शैक्षणिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि 2026 तक मध्यप्रदेश पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा।
2047 तक विकसित भारत में मध्यप्रदेश की अहम भूमिका
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में राज्य का बजट दोगुना करना है। उन्होंने भरोसा जताया कि 2047 तक जब भारत विकसित राष्ट्र बनेगा, तब मध्यप्रदेश का योगदान महत्वपूर्ण होगा। आने वाला सिंहस्थ भी प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगा।
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