October 24, 2025 10:22 PM

गैरपरंपरागत फसलों से सिक्किम की बागवानी को मिली नई दिशा: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान

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गैरपरंपरागत फसलों से सिक्किम की बागवानी को मिली नई पहचान: शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली, 25 सितंबर। सिक्किम की खेती और बागवानी को लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य ने गैरपरंपरागत फसलों को अपनाकर कृषि क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं। उन्होंने गुरुवार को सिक्किम के बर्मीओक स्थित बागवानी महाविद्यालय के प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन तथा वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, सिक्किम के कृषि मंत्री पूरन कुमार गुरुंग, कुलपति डॉ. अनुपम मिश्रा सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।


सिक्किम की खेती में आई विविधता

शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि मधुमक्खीपालन, मशरूम की खेती, बांस उत्पादन और औषधीय पौधों की रोपण जैसी गतिविधियों ने सिक्किम की बागवानी को नई दिशा दी है। यह राज्य देश का पूर्णत: जैविक राज्य है, जहाँ के किसान बिना रासायनिक उर्वरकों के शुद्ध उत्पाद तैयार कर देशभर में उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सिक्किम की कृषि और बागवानी को और आगे बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत में जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और यह आज की आवश्यकता भी है। सिक्किम का मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणा है कि किस प्रकार पारंपरिक रसायनों से अलग हटकर खेती को टिकाऊ और सुरक्षित बनाया जा सकता है।


रसायनिक खेती से खतरे

शिवराज सिंह चौहान ने खेती में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग पर चिंता जताई। उन्होंने कहा,
“अगर हम इसी तरह रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करते रहे तो धरती पर अगली पीढ़ियों का भविष्य संकट में पड़ सकता है। आज अनेक रोग इसी कारण बढ़ रहे हैं। हमें जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना होगा, क्योंकि यह धरती सिर्फ हमारी नहीं है, आने वाली पीढ़ियों की भी है।”

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे जैविक पद्धतियों को अपनाकर न केवल अपनी आय बढ़ाएं बल्कि समाज को सुरक्षित भोजन भी उपलब्ध कराएं।


फूलों और बांस की खेती से आय में वृद्धि

कार्यक्रम में चौहान ने विशेष रूप से फूलों और बांस की खेती का उल्लेख करते हुए कहा कि इन क्षेत्रों में सिक्किम के किसानों की आय बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं। सिक्किम की अनुकूल जलवायु और प्राकृतिक सौंदर्य इस दिशा में बड़ा आधार प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य में एवोकाडो, कीवी, बड़ी इलायची और आर्किड जैसी फसलों के साथ अदरक, हल्दी, टमाटर और गोभी जैसी सब्जियों की पैदावार को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और निर्यात की भी संभावना बढ़ेगी।


नई शैक्षणिक सुविधाओं का लाभ

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि नवनिर्मित भवन 52 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है। इसके माध्यम से सिक्किम के युवाओं को बेहतर शैक्षणिक और शोध संबंधी सुविधाएँ मिलेंगी। उन्होंने कहा कि इस भवन से कृषि विज्ञान के विद्यार्थी आधुनिक तकनीकों को सीख सकेंगे और कृषि के नए आयामों को समझ पाएंगे।


युवाओं से जुड़ा संदेश

शिवराज सिंह चौहान ने कृषि के छात्रों से अपील की कि वे शिक्षा पूरी करने के बाद कृषि क्षेत्र को न छोड़ें। उन्होंने कहा –
“आप या तो खेती करें या खेती से जुड़े स्टार्टअप्स शुरू करें। नए इनोवेशन लाएँ, नई तकनीकों का उपयोग करें और भारतीय कृषि को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाएँ। खेती में अपार संभावनाएँ हैं और आज भी यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि देश की लगभग 46 प्रतिशत आबादी खेती पर ही निर्भर है और किसानों को ही भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा कहा जा सकता है।


सिक्किम: प्राकृतिक सौंदर्य और संभावनाओं का संगम

केंद्रीय कृषि मंत्री ने सिक्किम को अद्भुत प्रदेश बताते हुए कहा कि यहाँ की जलवायु और प्राकृतिक संसाधन बागवानी और जैविक खेती के लिए विशेष रूप से उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि सिक्किम की धरती पर खेती की संभावनाएँ असीमित हैं और केंद्र सरकार राज्य के किसानों को हर संभव सहयोग देगी।


शिवराज सिंह चौहान के इस संदेश ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार न केवल सिक्किम बल्कि पूरे देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सिक्किम को एक आदर्श राज्य मानकर कृषि सुधारों और गैरपरंपरागत फसलों की दिशा में आगे बढ़ना ही भविष्य की खेती का रास्ता होगा।



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