October 15, 2025 2:34 PM

उपेक्षा का दंश झेलकर भी अखंड निष्ठा का प्रतीक बना ‘कर्ण’

karant-smriti-samaroh-karn-gatha-bharat-bhavan

कारंत स्मृति समारोह: भारत भवन में ‘कर्ण गाथा’ का मंचन, कर्ण की निष्ठा और संघर्ष ने छुआ दिल

कारंत स्मृति समारोह में नाटक ‘कर्ण गाथा’ का प्रभावी मंचन

भोपाल। भारत भवन में आयोजित बव कारंत स्मृति समारोह की तीसरी शाम एक अद्वितीय और गहन भावनात्मक प्रस्तुति देखने को मिली। लखनऊ की भारतेन्दु नाट्य अकादमी के कलाकारों ने निर्देशक ओएसिस सउगाइजम के निर्देशन में नाटक ‘कर्ण गाथा’ का मंचन किया। यह नाटक केवल एक नाट्यकृति नहीं, बल्कि एक दार्शनिक यात्रा थी, जिसने दर्शकों को महाभारत के उस युगनायक के जीवन में झांकने का अवसर दिया, जिसे इतिहास ने उपेक्षा दी, किंतु जिसने अपने जीवन को निष्ठा और आत्मसम्मान से परिभाषित किया।


कर्ण की आत्मगाथा का मंचन

‘कर्ण गाथा’ दर्शकों को केवल मनोरंजन नहीं देती, बल्कि उन्हें आत्मावलोकन और चिंतन के लिए भी प्रेरित करती है। यह नाटक महाभारत के पात्र कर्ण की कहानी को सामने लाता है, जो जन्म से उपेक्षित रहा, जीवनभर संघर्ष करता रहा, किंतु अंत तक निष्ठा और गौरव का प्रतीक बना रहा।
नाटक की मूल प्रेरणा रवीन्द्रनाथ ठाकुर के ‘कर्ण-कुंती संवाद’ से ली गई है। इस संवाद की संवेदनशीलता और भावुकता पूरे नाटक में प्रवाहित होती रही। लगभग 90 मिनट की प्रस्तुति में कलाकारों ने मंच को जीवंत कर दिया।


साहित्यिक कृतियों से प्रेरणा

निर्देशक ने नाटक की संरचना को और गहन बनाने के लिए इसे शिवाजी सावंत की ‘मृत्युंजय’ और रामधारी सिंह दिनकर की ‘रश्मिरथी’ से जोड़ते हुए एक बहुआयामी रूप दिया। इन संदर्भों ने नाटक को न केवल ऐतिहासिक बल्कि दार्शनिक और साहित्यिक गहराई भी प्रदान की।
कर्ण का जीवन, जो भाग्य, कर्म, श्राप और दैवीय विधान के बीच फंसा हुआ है, उसमें भी आत्मसम्मान, निष्ठा और वीरता की नई परिभाषा सामने आती है।


अभिनय और भावभंगिमाएं बनीं आकर्षण का केंद्र

नाटक की सबसे बड़ी ताकत इसके संवाद, मौन और भाव-भंगिमाओं का मेल रहा।

  • कर्ण की भूमिका निभाने वाले अभिनेता ने केवल शब्दों से नहीं, बल्कि अपने चेहरे के हावभाव, आंखों की पीड़ा और आवाज़ की लय से भी चरित्र की आत्मिक पीड़ा को दर्शकों तक पहुंचाया।
  • उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को बार-बार कर्ण के अंतर्मन के संघर्ष से जोड़ने का काम किया।
  • कुंती और दुर्योधन जैसे पात्रों की भूमिकाएं भी बेहद सशक्त और प्रभावशाली रहीं।

दर्शकों ने हर दृश्य में कलाकारों की गहन तैयारी और संवेदनशील प्रस्तुति को महसूस किया।


समारोह का अगला कार्यक्रम

चार दिवसीय इस समारोह का यह तीसरा दिन था। सोमवार को ‘काकोरी एक्शन’ नाटक का मंचन किया जाएगा। यह प्रस्तुति भी शाम 7 बजे से भारत भवन में होगी, जिसके जरिए स्वतंत्रता संग्राम के ऐतिहासिक प्रसंग को रंगमंच पर जीवंत किया जाएगा।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram