October 16, 2025 3:23 AM

भारत ने सऊदी-पाक डिफेंस डील पर जताई सतर्कता, विदेश मंत्रालय ने कहा – ‘हमें पहले से जानकारी थी’

नई दिल्ली। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए रणनीतिक रक्षा समझौते ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। यह समझौता दोनों देशों के पुराने सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों को औपचारिक रूप देता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक रणनीतिक समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है। भारत ने इस समझौते को राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों के दृष्टिकोण से गंभीरता से देखा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं को बताया कि भारत को इस समझौते की संभावना पहले से ही जानकारी थी। उन्होंने कहा कि यह समझौता केवल दो देशों के बीच पुराने रिश्तों को औपचारिक रूप देता है, लेकिन इसके क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर प्रभावों को भारत गंभीरता से देख रहा है।

जायसवाल ने कहा, “हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की खबरें देखी हैं। सरकार को पहले से पता था कि यह घटनाक्रम विचाराधीन था। भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत इस समझौते के हर पहलू का अध्ययन करेगा और आवश्यकता पड़ने पर अपनी रणनीतियों और कदमों को उसी के अनुसार तैयार करेगा।

विदेश मंत्रालय ने यह भी जोर देकर कहा कि भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता दक्षिण एशिया के सुरक्षा समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाओं और रणनीतिक नीति पर। भारत ने अपने सुरक्षा तंत्र को पूरी तरह सक्रिय कर रखा है और यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी रख रहा है कि किसी भी तरह की असामाजिक या अप्रत्याशित गतिविधि क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित न करे।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सैन्य और तकनीकी सहयोग बढ़ सकता है। ऐसे में भारत के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह अपनी कूटनीतिक और सुरक्षा तैयारियों को और अधिक मजबूत करे। भारत की विदेश नीति हमेशा क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक संतुलन बनाए रखने की दिशा में केंद्रित रही है।

भारत की नजर न केवल इस समझौते पर है, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर भी है कि इसका प्रभाव सीधे तौर पर दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा को बाधित न करे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की रणनीति सतर्क और सावधानीपूर्ण रहेगी और किसी भी अप्रत्याशित चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

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