पदोन्नति आरक्षण पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण, सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति पर सवाल
पदोन्नति आरक्षण विवाद: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब, सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति पर उठे सवाल
स्वदेश ज्योति संवाददाता, जबलपुर।
मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। मंगलवार को जबलपुर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से स्पष्ट सवाल किया कि जब पुरानी पदोन्नति नीति पर मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, तो फिर नई नीति क्यों लाई जा रही है और यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है तो सरकार उसे कैसे लागू करेगी।
हाईकोर्ट के सवाल
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि पुरानी पदोन्नति नीति के तहत हुए प्रमोशन रद्द किए जा चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट ने उस नीति पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। ऐसे में नई नीति के तहत रद्द हुई पदोन्नतियों को कैसे हल किया जाएगा?
कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि अगर सुप्रीम कोर्ट भविष्य में पुरानी नीति पर कोई आदेश देता है, तो नई नीति लागू रहने की स्थिति में उसे कैसे लागू किया जाएगा।
सरकार का पक्ष
राज्य के महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वस्त किया कि सरकार अपने सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के जरिए इस पर जल्द ही स्पष्टीकरण जारी करेगी। हालांकि, सरकार ने हाईकोर्ट से यह राहत भी मांगी कि नई नीति के तहत पदोन्नतियां शुरू करने की अनुमति दी जाए। अदालत ने इस पर फिलहाल कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।
अगली सुनवाई 25 सितंबर को
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का स्पष्टीकरण आने के बाद ही इस मामले पर आगे की सुनवाई की जाएगी। अब यह मामला 25 सितंबर को फिर से सुना जाएगा।
पृष्ठभूमि
- 2016 में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार की पदोन्नति में आरक्षण नीति को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था।
- इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे।
- पिछले 9 वर्षों से प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण लागू नहीं हो पाया।
- इसी साल (2025) राज्य सरकार ने नई पदोन्नति नीति पेश की, जिसे सपाक्स और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
नई नीति पर रोक
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पुरानी नीति अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और नई नीति लाना सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी है। इसी कारण सरकार ने मौखिक रूप से यह स्वीकार किया कि फिलहाल नई नीति के तहत कोई पदोन्नति नहीं की जाएगी।
याचिकाकर्ता पक्ष के वकील अमोल श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार बहस के शुरुआती चरण में ही उलझी हुई है और अदालत अभी नियमों की संवैधानिकता पर चर्चा तक नहीं पहुंच पाई है।
पदोन्नति में आरक्षण का यह मामला लगातार उलझता जा रहा है। अब नजर इस पर है कि सरकार हाईकोर्ट को क्या स्पष्टीकरण देती है और सुप्रीम कोर्ट की लंबित सुनवाई का इस पर क्या असर पड़ता है।
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