आयकर रिटर्न 2025-26: सीबीडीटी ने समय सीमा बढ़ाई, करदाताओं को मिली 1 दिन की राहत
नई दिल्ली। आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा को लेकर आयकरदाताओं के लिए राहत की खबर आई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एसेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को एक दिन के लिए आगे बढ़ा दिया है। अब करदाता 15 सितंबर के बजाय 16 सितंबर तक अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल कर सकते हैं। इस फैसले से लाखों करदाताओं को अतिरिक्त 24 घंटे का समय मिल गया है, जिससे उन्हें बिना जल्दबाजी और तकनीकी दबाव के अपनी फाइलिंग पूरी करने का अवसर मिलेगा।
क्यों बढ़ाई गई समय सीमा?
सीबीडीटी के अनुसार, यह कदम आयकरदाताओं को राहत देने और उन्हें पर्याप्त समय उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है। हर साल समय सीमा नजदीक आते ही बड़ी संख्या में लोग अंतिम दिनों में रिटर्न दाखिल करने के लिए आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करते हैं। इससे अक्सर सर्वर पर दबाव बढ़ जाता है और तकनीकी दिक्कतें सामने आती हैं। इस बार भी 15 सितंबर की डेडलाइन के ठीक पहले लाखों करदाताओं ने फाइलिंग शुरू की, जिसके चलते विभाग को अतिरिक्त समय देने का निर्णय लेना पड़ा।यह रही आपकी छवि
करदाताओं के लिए अपील
विभाग ने सभी करदाताओं से अपील की है कि वे इस अतिरिक्त समय का पूरा लाभ उठाएं और अंतिम क्षण तक इंतजार न करें। समय सीमा के भीतर रिटर्न दाखिल करने से पेनाल्टी, ब्याज और नोटिस जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। साथ ही करदाताओं से यह भी कहा गया है कि वे केवल आयकर विभाग के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स और वेबसाइट @IncomeTaxIndia पर जारी होने वाले अपडेट्स पर ही भरोसा करें।

देर से रिटर्न भरने के नुकसान
अगर कोई करदाता तय सीमा तक रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ सकता है। आयकर अधिनियम के अनुसार, देर से रिटर्न दाखिल करने पर धारा 234एफ के तहत ₹5000 तक का लेट फीस लगाया जा सकता है। साथ ही रिटर्न में रिफंड मिलने की संभावना भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा टैक्स क्रेडिट की सुविधा और भविष्य में किसी प्रकार की वित्तीय पारदर्शिता पर भी असर पड़ सकता है।
कर सलाहकारों का कहना
कर विशेषज्ञों का मानना है कि एक दिन की यह मोहलत उन करदाताओं के लिए बहुत राहतभरी साबित होगी, जो अब तक रिटर्न फाइल नहीं कर पाए थे। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का कहना है कि अंतिम समय पर डाक्यूमेंट्स इकट्ठा करने और ऑनलाइन पोर्टल की तकनीकी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को अब एक अतिरिक्त मौका मिलेगा।
हर साल होती है डेडलाइन बढ़ाने की मांग
यह पहली बार नहीं है जब समय सीमा बढ़ाने की मांग उठी हो। पिछले कई वर्षों से करदाता और कर विशेषज्ञ अंतिम दिनों में आने वाली तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए डेडलाइन बढ़ाने की अपील करते रहे हैं। हालांकि, सीबीडीटी आमतौर पर करदाताओं को समय पर रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है और तभी डेडलाइन बढ़ाता है, जब यह बिल्कुल जरूरी हो।
करदाताओं के लिए संदेश
सरकार और सीबीडीटी लगातार डिजिटल फाइलिंग को प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि टैक्स सिस्टम अधिक पारदर्शी और सरल बन सके। ऐसे में समय पर रिटर्न दाखिल करना न केवल एक कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह देश की आर्थिक प्रणाली को भी मजबूत करता है। इसलिए करदाताओं से अपील है कि वे अतिरिक्त समय का सही उपयोग करें और अपनी जिम्मेदारी पूरी करें।
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