September 17, 2025 5:34 AM

असम में 5.8 तीव्रता का भूकंप, झटके पश्चिम बंगाल और भूटान तक महसूस

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असम में 5.8 तीव्रता का भूकंप, झटके पश्चिम बंगाल और भूटान तक महसूस, लोगों में दहशत

असम, 14 सितम्बर 2025।
रविवार शाम 4 बजकर 41 मिनट पर असम और पूर्वोत्तर भारत के कई इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5.8 दर्ज की गई। इसका केंद्र असम के उदलगुरी जिले में ज़मीन से लगभग 5 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। झटके इतने तीव्र थे कि इनका असर पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और पड़ोसी देश भूटान तक महसूस किया गया।

गुवाहाटी में दहशत, लोग घरों से बाहर निकले

अचानक धरती हिलते ही राजधानी गुवाहाटी समेत कई शहरों में लोग दहशत में घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। बाजारों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, अब तक किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन कई मकानों और इमारतों में दरारें पड़ने की सूचना मिली है।

नॉर्थ ईस्ट का भूकंपों से जुड़ा जोखिम

विशेषज्ञों के अनुसार नॉर्थ ईस्ट का अधिकांश क्षेत्र उच्च भूकंपीय ज़ोन (Seismic Zone V) में आता है। इस वजह से यहां भूकंप आने की घटनाएं बार-बार होती रहती हैं। हाल ही में 2 सितंबर को भी असम के सोनितपुर जिले में 3.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। उससे पहले भी मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में हल्के झटके महसूस किए गए थे।

प्रशासन की सतर्कता और अपील

भूकंप के बाद असम प्रशासन ने राहत और आपदा प्रबंधन टीमों को सतर्क कर दिया है। जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सुरक्षित स्थानों पर रहें। साथ ही, पुराने और क्षतिग्रस्त भवनों में रहने से परहेज करने की चेतावनी भी दी गई है।

भूकंप के लगातार झटके चिंता का विषय

विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में भूकंप की आवृत्ति बढ़ना चिंता का विषय है। यहां भूगर्भीय प्लेटों की हलचल लगातार जारी रहती है, जिसके चलते कभी भी बड़े पैमाने पर भूकंप आ सकता है। यही कारण है कि वैज्ञानिक लगातार चेतावनी देते हैं कि इस क्षेत्र में भवन निर्माण में भूकंपीय मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए।

निष्कर्ष

रविवार का यह भूकंप भले ही जानलेवा साबित नहीं हुआ, लेकिन इससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया कि पूर्वोत्तर भारत के लोग प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम से हर समय जूझते रहते हैं। विशेषज्ञ और प्रशासन दोनों ही मानते हैं कि सतर्कता और तैयारी ही ऐसे हादसों से बचाव का सबसे बड़ा साधन है।


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