कलकत्ता हाईकोर्ट ने ‘द बंगाल फाइल्स’ पर रोक की याचिका खारिज की
कोलकाता। बहुचर्चित फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर उठे विवाद पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने गोपाल मुखर्जी उर्फ गोपाल पाठा के पोते शांतनु मुखर्जी द्वारा दायर वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की गई थी।
अदालत का रुख
न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह याचिका केवल सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की ओर से जवाब न मिलने के आधार पर दायर की गई थी, इसलिए यह विचारणीय नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा—
👉 “यह याचिका खारिज की जाती है।”

याचिकाकर्ता की आपत्ति
शांतनु मुखर्जी ने आरोप लगाया था कि फिल्म में उनके दादा गोपाल पाठा को गलत तरीके से दर्शाया गया है।
- उन्हें “पाठा” (बकरी) और “कसाई” जैसे शब्दों से संबोधित किया गया है।
- इससे उनकी छवि धूमिल होती है और उनकी ऐतिहासिक भूमिका का अपमान है।
गोपाल पाठा कौन थे?
गोपाल मुखर्जी, जिन्हें गोपाल पाठा के नाम से जाना जाता है, 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे के बाद हुए साम्प्रदायिक दंगों के समय मध्य कोलकाता के हिंदू इलाकों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध थे। स्थानीय लोगों की नज़र में वे सुरक्षा और प्रतिरोध का प्रतीक माने जाते हैं।

याचिकाकर्ता की मांग
- फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों को हटाया जाए या संशोधित किया जाए।
- पश्चिम बंगाल में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए।
- CBFC की भूमिका की स्वतंत्र जांच हो।
- यह भी कहा गया कि फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री स्वयं बोर्ड के सदस्य हैं, इसलिए उन्हें इससे जुड़े निर्णयों से अलग रहना चाहिए था।
अदालत का निर्णय
हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को अस्वीकार करते हुए साफ कर दिया कि—
👉 फिल्म की रिलीज़ पर कोई रोक नहीं लगेगी।
इस फैसले के बाद फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ की रिलीज़ का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
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