ऑनलाइन गेमिंग कानून: सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाओं के ट्रांसफर पर सुनवाई
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को एक साथ ट्रांसफर करने की मांग की गई है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस याचिका का मेंशन किया गया। न्यायालय ने इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालयों में दायर याचिकाएं
केंद्र सरकार ने यह अनुरोध किया है कि ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली, मध्यप्रदेश और कर्नाटक उच्च न्यायालयों से सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए।
- दिल्ली उच्च न्यायालय: याचिका ऑनलाइन कैरम कंपनी बघीरा कैरम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता के वकील हर्ष जायसवाल और आद्या मिश्रा ने कहा कि यह कानून मनमाना और भ्रमपूर्ण है।
- मध्यप्रदेश और कर्नाटक उच्च न्यायालय: अन्य याचिकाएं इन राज्यों में ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देते हुए दायर की गई हैं।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय में बताया कि ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने के लिए जल्द ही प्राधिकार का गठन किया जाएगा और इसके लिए नियम तैयार किए जा रहे हैं। सरकार ने यह भी कहा कि यह कानून गेमिंग क्षेत्र में नियम और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।

अदालत की टिप्पणियां
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून को लागू करने के लिए सरकार किसी प्राधिकार का गठन करेगी और इसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता और सरकार के तर्कों को सुना और मामले को गंभीरता से लिया।
सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए स्थानांतरित करने का कदम कानून के देशव्यापी प्रभाव और समान व्याख्या की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि ऑनलाइन गेमिंग कानून पर समान और संगठित न्यायिक निर्णय आए। साथ ही यह कंपनियों और खिलाड़ियों को स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करेगा और कानून के साथ compliance आसान बनेगी।
आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि सभी उच्च न्यायालयों में दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए या नहीं। इसके बाद मामले की पूर्ण सुनवाई का शेड्यूल तय होगा।
इससे ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में नियमन, नियम और पारदर्शिता की दिशा में सकारात्मक संकेत मिलने की उम्मीद है।
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