October 26, 2025 11:06 PM

पलामू में नक्सली मुठभेड़ : दो पुलिसकर्मी शहीद, एक जवान गंभीर घायल, सर्च ऑपरेशन तेज

  • नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ ने पूरे राज्य को झकझोर दिया

पलामू । झारखंड के पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र स्थित केदल जंगल में बुधवार देर रात पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। इस मुठभेड़ में झारखंड पुलिस के दो बहादुर जवान—संतन मेहता और सुनील राम—ने शहादत दी, जबकि एक अन्य जवान रोहित कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल जवान का इलाज पलामू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जारी है।

टीपीसी कमांडर की मौजूदगी की सूचना पर गई थी पुलिस

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह मुठभेड़ उस समय हुई जब सुरक्षा बलों को इनपुट मिला कि टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) का कुख्यात 10 लाख का इनामी नक्सली कमांडर शशिकांत गंझू अपने दस्ते के साथ इलाके में सक्रिय है। बताया जा रहा है कि गांव में करमा पर्व का आयोजन हो रहा था और इसी दौरान नक्सलियों की गतिविधि बढ़ने की आशंका जताई गई थी। इसी सूचना के आधार पर बुधवार शाम करीब 7 बजे पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया।

नक्सलियों ने अचानक शुरू की अंधाधुंध फायरिंग

जैसे ही पुलिस टीमें जंगल में आगे बढ़ीं, नक्सलियों ने घात लगाकर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी मोर्चा संभाला और दोनों ओर से देर रात तक गोलीबारी चलती रही। इस दौरान दो जवान गोली लगने से शहीद हो गए। दोनों जवान—संतन मेहता और सुनील राम—आरक्षी पद पर तैनात थे। संतन वर्ष 2012 में जबकि सुनील वर्ष 2011 में पुलिस बल से जुड़े थे।

घायल जवान की हालत गंभीर

मुठभेड़ के दौरान गंभीर रूप से घायल जवान रोहित कुमार को रात 2 बजे पलामू मेडिकल कॉलेज लाया गया। डॉक्टरों की टीम उनकी जान बचाने के प्रयास में जुटी है। पुलिस कप्तान रिष्मा रमेशन खुद अस्पताल पहुंचीं और इलाज की व्यवस्था का जायजा लिया। सूत्रों के मुताबिक मुठभेड़ में कुछ नक्सली भी ढेर हुए या घायल हुए हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।

50 जवानों का दल बनाम 12 नक्सली

डीआईजी नौशाद आलम ने जानकारी दी कि सर्च ऑपरेशन में जिला पुलिस, आईआरबी और एसटीएफ की कुल 50 जवानों की टीम शामिल थी। नक्सलियों की संख्या करीब 12 बताई जा रही है। वर्तमान में पूरे इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान जारी है। सुरक्षाबलों को आशंका है कि नक्सली किसी बड़े हमले की साजिश रच रहे थे।

शहीदों को अंतिम सलामी की तैयारी

घटना की गंभीरता को देखते हुए झारखंड पुलिस मुख्यालय से चार सदस्यीय टीम मेदिनीनगर पहुंची है। इसमें सीआरपीएफ, आईजी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी साकेत सिंह शामिल हैं। साथ ही आईजी अभियान माइकल राज, आईजी अनूप बिरथरे और एसपी अभियान अमित रेणु भी मौके पर पहुंचे हैं। अधिकारियों ने कहा है कि घटना से जुड़े हर पहलू की जांच होगी और नक्सलियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। शहीद जवानों को पुलिस लाइन ग्राउंड में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी जाएगी।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा—
“पलामू के मनातू क्षेत्र अंतर्गत केदल जंगल में विशेष ऑपरेशन अभियान के दौरान पुलिस के दो जवान संतन मेहता और सुनील राम का शहीद होना अत्यंत पीड़ादायक है। ईश्वर शहीदों की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को दुख सहने की शक्ति दें। घायल जवान के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं।”

राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा—
“पलामू में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में वीर जवान संतन कुमार मेहता व सुनील राम के शहीद होने का समाचार अत्यंत दुखद है। मैं दोनों वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। घायल जवान के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं और शोकाकुल परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”

नक्सल समस्या पर फिर उठे सवाल

इस घटना ने एक बार फिर झारखंड में नक्सल समस्या की गंभीरता को सामने ला दिया है। पिछले कुछ समय से सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई के चलते नक्सली संगठन कमजोर हुए हैं, लेकिन अब भी कई जिलों में उनकी पकड़ बनी हुई है। केदल जंगल और आसपास के इलाके लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहे हैं और यह इलाका टीपीसी जैसे संगठनों का गढ़ माना जाता है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि करमा जैसे सांस्कृतिक पर्व के दौरान नक्सलियों की मौजूदगी ने गांव के लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इलाके में स्थायी सुरक्षा चौकी बनाई जाए ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रशासन की चुनौती

मुठभेड़ के बाद से पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। सुरक्षा एजेंसियां अब इलाके में लगातार अभियान चलाने और नक्सलियों को खत्म करने की रणनीति बना रही हैं। जानकारों का मानना है कि जब तक ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधा नहीं बढ़ेगी, तब तक नक्सली विचारधारा को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल होगा।

झारखंड पुलिस ने स्पष्ट किया है कि शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और अपराधियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।

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