खाद वितरण में गड़बड़ी हुई तो कलेक्टर होंगे जिम्मेदार: मुख्यमंत्री मोहन यादव
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खाद (उर्वरक) वितरण व्यवस्था को लेकर जिलों के कलेक्टरों को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि किसानों को खाद वितरण में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि कहीं गड़बड़ी सामने आती है तो उसकी जिम्मेदारी सीधे जिला कलेक्टर की होगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन से प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों और अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

किसान संगठनों से सतत संपर्क रखने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला प्रशासन उर्वरक वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से निरंतर संवाद और संपर्क में रहे। किसानों को जिले में उपलब्ध उर्वरक की वास्तविक स्थिति से अवगत कराना अनिवार्य है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों से भी स्टॉक की जानकारी साझा की जाए ताकि किसी प्रकार की अफवाह या गलत जानकारी न फैले।
अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री को बैठक में बताया गया कि उर्वरक की कालाबाजारी, अवैध भंडारण, परिवहन और नकली खाद के मामलों पर अब तक 53 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसके अलावा 88 लाइसेंस निरस्त, 102 लाइसेंस निलंबित और 406 विक्रेताओं पर बिक्री प्रतिबंध की कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
नवाचारों को अपनाने पर जोर
बैठक में दमोह और जबलपुर जिले में खाद वितरण की पारदर्शी व्यवस्था को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया। दमोह कलेक्टर ने बताया कि टोकन वितरण तहसील कार्यालय से किया जा रहा है जबकि खाद का वितरण विक्रय केंद्रों से होता है। वहीं जबलपुर कलेक्टर ने जानकारी दी कि किसानों को फोन कॉल से टोकन दिए जा रहे हैं और वितरण केन्द्रों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं, जहां उपलब्ध खाद की मात्रा और टोकन नंबर प्रदर्शित होते हैं। मुख्यमंत्री ने अन्य जिलों को भी ऐसे नवाचार अपनाने के निर्देश दिए।

बाढ़ और अतिवृष्टि पर राहत कार्यों की समीक्षा
बैठक में मुख्यमंत्री ने बाढ़ और अतिवृष्टि से प्रभावित जिलों की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन क्षेत्रों में जनहानि या पशुहानि हुई है, वहां 24 घंटे के भीतर राहत पहुंचाई जाए। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अस्थाई कैंप, भोजन और राशन की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए। पुलिस और प्रशासन को पुल-पुलिया पर बैरिकेडिंग और चेतावनी बोर्ड लगाने के आदेश दिए गए, ताकि दुर्घटनाएं रोकी जा सकें।
औसत से अधिक वर्षा और क्षति का आकलन
बैठक में बताया गया कि इस वर्ष 1 जून से 2 सितंबर तक प्रदेश में 971.5 मिमी यानी 38.24 इंच वर्षा दर्ज हुई है, जो औसत से 21 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 21 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, जिनमें गुना, मण्डला, श्योपुर, रायसेन और अशोकनगर सबसे आगे रहे।
अब तक बाढ़ और अतिवृष्टि से 394 लोगों की मौत, 5 हजार से अधिक मकानों को नुकसान और 1814 पशुओं की हानि दर्ज की गई है। 12 हजार हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि प्रभावित हुई है। प्रभावित 17,500 किसानों के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक की राहत राशि स्वीकृत की गई है।
सरकार का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने दोहराया कि खाद वितरण को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही होने पर कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने प्रशासन से कहा कि किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करें और उन्हें समय पर खाद उपलब्ध कराएं।
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