- निक्की का गुम मोबाइल इस केस की सबसे अहम कड़ी बनकर सामने आया
ग्रेटर नोएडा। निक्की हत्याकांड अब एक रहस्यमयी पहेली बन गया है, जिसने न केवल पुलिस बल्कि समाज को भी झकझोर दिया है। मामला जितना आगे बढ़ रहा है, उतने ही नए सवाल खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो, मायके और ससुराल पक्ष के आरोप-प्रत्यारोप और गांव के लोगों की चर्चाओं ने इस वारदात को और पेचीदा बना दिया है। इस बीच, निक्की का गुम मोबाइल इस केस की सबसे अहम कड़ी बनकर सामने आया है, जिसे ढूंढना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है।
निक्की के मोबाइल ने बढ़ाई जांच की पेचीदगी
घटना के बाद से निक्की का मोबाइल फोन कहीं नहीं मिल रहा है। पुलिस को शक है कि इस मोबाइल में ऐसे सुराग हो सकते हैं, जो घटना की सच्चाई सामने ला सकते हैं। निक्की की बहन कंचन का कहना है कि घटना के बाद वह बेहोश हो गई थी और उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि निक्की का मोबाइल कहां गया। यह स्थिति पुलिस की जांच को और मुश्किल बना रही है, क्योंकि मोबाइल की लोकेशन और उसमें मौजूद कॉल डिटेल्स या मैसेज पूरे मामले की दिशा बदल सकते हैं।
आरोपित जेल में, लेकिन सवाल अभी बाकी
निक्की की हत्या के मामले में उसका पति और तीन अन्य आरोपित जेल में हैं। फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। आरोपित पक्ष का दावा है कि घटना के समय परिवार के लोग निक्की को बचाने और अस्पताल ले जाने में लगे थे। इस दौरान घर पर निक्की की बहन कंचन अकेली थी। उनका कहना है कि इस हड़बड़ी में मोबाइल फोन कहां गया, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

जेठ रोहित की लोकेशन पर उठे सवाल
आरोपित पक्ष का एक और दावा है कि घटना के वक्त निक्की का जेठ रोहित गांव में मौजूद ही नहीं था। उनका कहना है कि रोहित उस समय ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के सिरसा टोल प्लाजा पर था। इसकी पुष्टि के लिए आरोपित पक्ष ने टोल कर्मियों से जानकारी जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अब बचाव पक्ष न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित करने और उसे साक्ष्य के रूप में पेश करने की तैयारी कर रहा है।
न्यायालय में होगी अहम बहस
आरोपितों के अधिवक्ता और पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष मनोज भाटी ने बताया कि सबसे पहले रोहित की जमानत के लिए अर्जी दाखिल की जाएगी। इसी दौरान टोल प्लाजा की फुटेज सुरक्षित कराने के लिए भी न्यायालय में आवेदन किया जाएगा। अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस द्वारा न्यायिक हिरासत के दौरान जो पर्चा दाखिल किया गया था, उसकी प्रति भी प्राप्त की जाएगी। उसके बाद जमानत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
बचाव पक्ष का दावा- हमारे पास मजबूत साक्ष्य
अधिवक्ता मनोज भाटी का कहना है कि उनके पास कई महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं, जो न्यायालय में आरोपितों को जमानत दिलाने में निर्णायक साबित होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस की जांच अभी अधूरी है और जल्दबाजी में लगाए गए आरोप अदालत में टिक नहीं पाएंगे।
पुलिस के सामने बड़ी चुनौती
पुलिस का कहना है कि मामले के हर पहलू की गहन जांच की जा रही है। निक्की का मोबाइल फिलहाल जांच का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु बन गया है। पुलिस के अनुसार, यह फोन अगर मिल जाता है तो कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। वहीं, सोशल मीडिया पर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप भी जांच को प्रभावित कर रहे हैं।
परिवार और समाज की निगाहें पुलिस पर
निक्की हत्याकांड अब केवल एक परिवार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह समाज में महिला सुरक्षा, पारिवारिक विवादों और न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। मायके पक्ष लगातार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है, जबकि ससुराल पक्ष खुद को निर्दोष बताते हुए न्यायालय से राहत की कोशिश में है।