पीएम मोदी का चीन दौरा: शी जिनपिंग से मुलाकात, एससीओ शिखर सम्मेलन और पुतिन से वार्ता पर वैश्विक नजरें
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भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद के कारण पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय चीन के दौरे पर हैं। जापान की सफल यात्रा पूरी करने के बाद पीएम मोदी रविवार को चीन के तियानजिन पहुंचे, जहां उनकी भेंट राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। सात साल बाद मोदी का यह चीन दौरा दोनों देशों के रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इस मुलाकात को लेकर न केवल भारत और चीन बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थीं।

पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच तियानजिन में हुई बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देने की आवश्यकता जताई। बातचीत में सीमा विवाद, व्यापार संतुलन, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति और सीमा-पार नदियों पर सहयोग जैसे विषय प्रमुख रहे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भारत-चीन संबंधों की प्रगति के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता अनिवार्य शर्त है।

शी जिनपिंग के चार सुझाव
बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संबंधों को मजबूत करने के लिए चार ठोस सुझाव दिए:
- रणनीतिक संवाद और आपसी विश्वास को बढ़ाना।
- सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का विस्तार करना।
- एक-दूसरे की संवेदनाओं और चिंताओं का सम्मान करना।
- बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करना।
प्रधानमंत्री मोदी ने इन सुझावों का स्वागत किया और कहा कि भारत भी द्विपक्षीय रिश्तों को सकारात्मक दिशा देने के लिए तैयार है।

पीएम मोदी का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का निमंत्रण
प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया। शी ने इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए भारत की अध्यक्षता को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया।
एससीओ शिखर सम्मेलन की शुरुआत
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानजिन में शानदार भोज का आयोजन कर 25वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई वैश्विक नेता मौजूद रहे।
इस सम्मेलन को अब तक का सबसे बड़ा आयोजन माना जा रहा है। इसमें 10 सदस्य देशों के अलावा 20 विदेशी नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख, जिनमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी शामिल हैं, भाग ले रहे हैं। सोमवार को विशेष कन्वेंशन सेंटर में औपचारिक बैठक होगी, जिसमें अगले दशक की विकास रणनीति और अहम दस्तावेज अपनाए जाएंगे।

पीएम मोदी का संबोधन और पुतिन से मुलाकात
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे और भारत की दृष्टि क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित होगी। इसके बाद उनकी मुलाकात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा प्रमुख रहेगा। पीएम मोदी युद्धविराम और बातचीत की आवश्यकता पर जोर देंगे और पुतिन तथा यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच संवाद की जरूरत को सामने रखेंगे।
अन्य नेताओं से मुलाकातें
एससीओ सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से भी मुलाकात की। मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि नेपाल भारत का घनिष्ठ और विशेष साझेदार है और दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक आधार पर गहरे जुड़े हुए हैं। वहीं मालदीव के राष्ट्रपति से बातचीत में मोदी ने द्विपक्षीय सहयोग को दोनों देशों की जनता के लिए लाभकारी बताया।


वैश्विक नेताओं के साथ ग्रुप फोटो
एससीओ के स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग, पुतिन समेत कई शीर्ष नेताओं ने ग्रुप फोटो सेशन में हिस्सा लिया। यह तस्वीर दुनिया के लिए एक संकेत थी कि वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण होती जा रही है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का यह चीन दौरा भारत-चीन संबंधों के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। एक ओर दोनों देशों ने सीमा विवाद और व्यापार असंतुलन जैसे जटिल मुद्दों पर बातचीत की, वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर सहयोग को गहराने की प्रतिबद्धता दिखाई। अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद और यूक्रेन युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संकटों के बीच भारत की यह कूटनीतिक पहल वैश्विक संतुलन साधने का प्रयास भी मानी जा रही है।
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