डीआरआई की बड़ी कार्रवाई, तुर्की से संचालित हो रहा था नशे का धंधा
भोपाल में मेफेड्रोन फैक्टरी का खुलासा | दाऊद गिरोह और तुर्की से जुड़ा नेटवर्क
भोपाल। राजधानी भोपाल की हुजूर तहसील में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की मुंबई इकाई ने मेफेड्रोन बनाने की अवैध फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है। इस छापेमारी में दाऊद इब्राहिम गिरोह से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के तार सामने आए हैं।

पाँच महीने में 400 किलो कच्चा माल पहुँचा भोपाल
जांच में खुलासा हुआ कि फैक्टरी को नशीला पदार्थ बनाने के लिए आवश्यक रसायन भिवंडी से सप्लाई किया जाता था। यह नेटवर्क सीधे तुर्की में बैठे कुख्यात ड्रग माफिया सलीम इस्माइल डोला के निर्देश पर संचालित हो रहा था।
मार्च से जुलाई 2025 के बीच भोपाल में कुल 400 किलो कच्चा माल भेजा गया।
महीना | मात्रा (किग्रा) |
---|---|
मार्च | 50 |
अप्रैल | 100 |
मई | 50 |
जून | 100 |
जुलाई | 100 |
इन खेपों में ‘2-ब्रोमो-4 मिथाइल प्रोपियोफेनोन’ जैसे केमिकल शामिल थे, जिनसे मेफेड्रोन तैयार किया जाता था।
स्थानीय नेटवर्क और सप्लाई चेन
- सप्लाई चेन का जिम्मा महाराष्ट्र के भिवंडी और ठाणे के स्थानीय नेटवर्क के पास था।
- आपूर्तिकर्ता वीरेन शाह का नाम सामने आया है, जो हर महीने बड़ी मात्रा में रसायन भेजता था।
- पूरा कारोबार बिना बिल और नकली दस्तावेज़ों के चलाया जाता था।
- हर किलो पर बाज़ार भाव से लगभग ₹2000 अतिरिक्त कमीशन रखा जाता था।
पूछताछ में अजहरुद्दीन इदरीसी ने कबूल किया कि उसे अशरफ रेन ने पैसे का लालच देकर भिवंडी से भोपाल तक रसायन पहुँचाने का काम सौंपा था। खेपें मिनी ट्रकों से लाई जाती थीं।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
DRI अधिकारियों ने बताया कि सलीम डोला का नेटवर्क भारत से लेकर तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको तक फैला हुआ है। यही वजह है कि भारतीय एजेंसियों के लिए यह सिंडिकेट लगातार चुनौती बना हुआ है।

सलीम डोला का आपराधिक इतिहास
- जुलाई 2025 में एनसीबी ने डोला की जानकारी देने पर ₹1 लाख का इनाम घोषित किया था।
- 1998 में वह मुंबई एयरपोर्ट पर 40 किलो मैंड्रेक्स के साथ पकड़ा गया था।
- इसके बाद उसने दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क के लिए काम शुरू किया।
- माना जा रहा है कि वह अब सलीम मिर्ची की जगह डी कंपनी का नशे का कारोबार संभाल रहा है।
- फिलहाल वह तुर्की में छिपा है, जबकि उसके बेटे ताहिर और भतीजे मुस्तफा को हाल ही में यूएई से भारत प्रत्यर्पित किया गया है।
भोपाल और मध्यप्रदेश बन रहे हैं ड्रग नेटवर्क का ठिकाना
अधिकारियों का कहना है कि यह भोपाल में पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी मंदसौर और बगरोदा इलाके में नशे की फैक्ट्रियां पकड़ी जा चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि
- मध्यप्रदेश का भौगोलिक स्थान,
- सड़क और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की आसान उपलब्धता,
ड्रग माफिया को यहां सक्रिय होने में मदद करता है।
एजेंसियों की चुनौती
अधिकारियों ने माना कि केवल छापेमारी और गिरफ्तारियाँ पर्याप्त नहीं हैं। नशे के इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए
- मजबूत कानूनी ढांचा,
- अंतरराज्यीय समन्वय, और
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
जरूरी है।
फिलहाल भोपाल की इस फैक्टरी का खुलासा भारतीय एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
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