October 20, 2025 12:26 AM

धराली त्रासदी: सड़क मार्ग खुला, लेकिन 11 जवानों समेत 70 लोग अब भी लापता; युद्ध स्तर पर राहत कार्य जारी

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में बादल फटने और सैलाब के बाद हालात अब भी बेहद गंभीर बने हुए हैं। धराली, हर्षिल और सुखी टॉप जैसे क्षेत्रों में भारी तबाही के बाद राहत और बचाव अभियान पूरी ताकत से जारी है। प्रशासनिक टीमों, भारतीय सेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों के सहयोग से अब तक 190 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन 11 सैनिकों समेत 70 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं, जिनकी खोजबीन जारी है।

भटवाड़ी में टूटी सड़क को जोड़ा गया, धराली तक अब संभव हुई ज़मीनी पहुँच

धराली पहुंचने वाले मुख्य राजमार्ग को भटवाड़ी में हुई टूट-फूट के कारण बंद कर दिया गया था, जिससे राहत कार्य पूरी तरह हवाई मार्ग पर निर्भर था। अब BRO और GREF की टीमों ने कड़ी मेहनत के बाद सड़क का एक हिस्सा फिर से चालू कर दिया है, जिससे सड़क मार्ग से धराली और हर्षिल तक पहुंचना संभव हो सका है। भटवाड़ी में पहली दरार को भरने में बड़ी सफलता मिली है और दो स्थानों पर पहाड़ काटकर वैकल्पिक मार्ग बनाने का कार्य जारी है।

हेलिकॉप्टर बना जीवन रेखा, राहत सामग्री और घायल लोगों की हो रही आवाजाही

जब तक सड़क बंद थी, तब तक राहत कार्य पूरी तरह हेलिकॉप्टरों पर निर्भर रहा। वायुसेना के चिनूक, एमआई-17 और ALH जैसे हेलिकॉप्टरों को स्टैंडबाय में रखा गया है, जबकि 3 सिविल हेलिकॉप्टरों के माध्यम से राहत सामग्री धराली और हर्षिल पहुंचाई जा रही है। घायल लोगों को हेलिकॉप्टरों के जरिए ही अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। हर्षिल का मिलिट्री हेलीपैड अब पूरी तरह चालू कर दिया गया है, जिससे ऑपरेशन में गति आई है।

देखते ही देखते तबाह हुआ पूरा इलाका, लोगों ने बताया भयावह दृश्य

धराली में जिन इलाकों में सबसे ज़्यादा तबाही हुई, वहां के स्थानीय निवासी अभी भी सदमे में हैं। एक मंदिर के पुजारी ने बताया, “सिर्फ चंद सेकंड में पूरा इलाका सैलाब में समा गया।” कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में इतनी भीषण तबाही पहले कभी नहीं देखी। कई घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए, बाजार और होटल की इमारतें बह गईं, और सैकड़ों घरों में पानी घुस गया।

तीन स्थानों पर एक साथ राहत कार्य, बारिश बनी सबसे बड़ी चुनौती

धराली, हर्षिल और सुखी टॉप — इन तीनों जगहों पर सैलाब के बाद रेस्क्यू कार्य चल रहा है, लेकिन लगातार बारिश और भूस्खलन ने अभियान में बाधा डाल रखी है। रास्ते बार-बार बंद हो जाते हैं और कई क्षेत्रों में कंपनियां बिजली और नेटवर्क से कट गई हैं, जिससे संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो गया है। कम्युनिकेशन की व्यवस्था अभी तक पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकी है।

225 से अधिक जवान तैनात, 7 टीमें कर रहीं रेस्क्यू कार्य

भारतीय सेना की 7 टीमें लगातार मोर्चे पर डटी हुई हैं, जिसमें 225 से अधिक जवान शामिल हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद राहत कार्य तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। भूस्खलन और बारिश के बीच भी जवानों की हिम्मत कम नहीं हुई है। हेलिकॉप्टरों की लैंडिंग के लिए अस्थायी हेलीपैड तैयार किए जा रहे हैं ताकि ज़रूरतमंदों तक समय पर मदद पहुंचाई जा सके।

केरल के पर्यटकों का समूह भी लापता, चिंता और गहरी

धराली में तबाही के बाद से केरल से आए 28 पर्यटकों का एक समूह लापता बताया जा रहा है। प्रशासन को आशंका है कि वे भी आपदा की चपेट में आ सकते हैं। फिलहाल उनकी तलाश की जा रही है, लेकिन इलाके की दुर्गमता और नेटवर्क की समस्या के कारण जानकारी मिलना कठिन हो गया है।

अब भी जारी है ज़िंदगी की तलाश, प्रशासन पूरी ताकत से जुटा

धराली और उसके आसपास के क्षेत्रों में अब भी लापता लोगों की तलाश युद्ध स्तर पर जारी है। राहत बचाव दल न केवल लोगों को निकाल रहे हैं, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। घायल और बेसहारा लोगों के लिए अस्थायी शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

अंतिम बात: कुदरत के सामने बेबस मानवता, लेकिन उम्मीदें ज़िंदा

इस भीषण आपदा ने दिखा दिया कि कुदरत के सामने इंसान कितना लाचार हो सकता है, लेकिन संघर्ष और सहयोग की भावना से ही संकट को पार किया जा सकता है। धराली की त्रासदी में जिनका सब कुछ उजड़ गया है, उनके लिए यह एक लंबी लड़ाई है, लेकिन राहत और बचाव में लगी टीमें उम्मीद की एक किरण लेकर आगे बढ़ रही हैं।

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