टैरिफ विवाद के बीच अमेरिकी राजनीति में भारत को लेकर दो राय, हेली ने चीन को मिली छूट पर भी उठाए सवाल
निक्की हेली ने ट्रंप को दी सलाह: भारत से रिश्ते न बिगाड़ें, चीन को क्यों छूट?
वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने डोनाल्ड ट्रंप को भारत के साथ संबंध न बिगाड़ने की सलाह दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि टैरिफ बढ़ाने का निर्णय भारत-अमेरिका के दीर्घकालिक रणनीतिक रिश्तों पर असर डाल सकता है और चीन को छूट देकर भारत को निशाना बनाना गलत संकेत देगा।

🗣️ निक्की हेली का तीखा बयान: “भारत जैसे मित्र से दूरी न बनाएं”
निक्की हेली ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में कहा:
“भारत को रूस से तेल नहीं खरीदने की सलाह दी जा रही है, लेकिन रूस और ईरान के सबसे बड़े तेल खरीदार चीन को 90 दिनों की टैरिफ छूट दे दी गई। यह दोहरा रवैया भारत जैसे मजबूत सहयोगी के साथ अन्याय है।”
उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसे फैसलों से अमेरिका की वैश्विक रणनीति कमजोर हो सकती है।

💥 ट्रंप का पलटवार: “भारत अगर नहीं मानेगा तो टैरिफ बढ़ेगा”
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दोहराया था कि वे भारत पर अगले 24 घंटों में टैरिफ बढ़ाएंगे, यदि भारत ने रूस से तेल खरीदना नहीं रोका। उन्होंने कहा:
“मैं भारत से उम्मीद करता हूं कि वह अमेरिका के साथ खड़ा होगा। यदि भारत रूस को सपोर्ट करता है, तो यह हमारे रिश्तों को प्रभावित करेगा।”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत ने यह तथ्य रखा है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। लेकिन ट्रंप ने उस पर टिप्पणी करने से परहेज किया।
📉 रिश्तों में आ सकती है दरार?
निक्की हेली की चेतावनी इस ओर इशारा करती है कि टैरिफ विवाद केवल आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह रणनीतिक और कूटनीतिक संबंधों की दिशा भी तय कर सकता है।
- भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, तकनीक, ऊर्जा और सामरिक सहयोग पिछले एक दशक में बहुत मजबूत हुआ है।
- इंडो-पैसिफिक रणनीति, QUAD, और साझा सैन्य अभ्यासों में दोनों देशों की अहम भूमिका है।
- ऐसे में टैरिफ बढ़ाना या मित्रवत बयानबाज़ी से पीछे हटना, इन सभी प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया: “दोगली नीति से आहत”
भारत सरकार के सूत्रों ने ट्रंप के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि:
- अमेरिका और यूरोप खुद रूस से व्यापारिक संबंध बनाए रखे हुए हैं, तो भारत को एकतरफा दबाव में लाना उचित नहीं।
- भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कीमत स्थिरता के लिए रूस से तेल खरीदना ज़रूरी है।
- भारत, किसी भी वैश्विक साझेदारी में, स्वतंत्र और संतुलित कूटनीति की नीति पर कायम है।
🇨🇳 चीन को टैरिफ में छूट, भारत पर सख्ती?
निक्की हेली ने अपने बयान में यह भी कहा कि:
“जब चीन को 90 दिनों की छूट दी जा सकती है, तो भारत को क्यों नहीं?”
उनका इशारा ट्रंप प्रशासन के उस निर्णय की ओर था, जिसमें चीन को रूस-ईरान से तेल आयात पर अस्थायी छूट दी गई थी, ताकि वैश्विक बाजार में अस्थिरता से बचा जा सके।
🔎 विश्लेषण: हेली की नसीहत ट्रंप के लिए चेतावनी
निक्की हेली खुद भारतीय मूल की हैं और ट्रंप प्रशासन में संयुक्त राष्ट्र की राजदूत रह चुकी हैं। उनका यह बयान बताता है कि अमेरिका के भीतर भी भारत को लेकर मतभेद मौजूद हैं।
- अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारत-अमेरिका संबंधों में कैसी दिशा होगी, इसका अनुमान इसी बयान से लगाया जा सकता है।
- भारत अब केवल रणनीतिक साझेदार नहीं, वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है, और उस पर टैरिफ जैसी धमकियां असरकारी नहीं हो सकतीं।

🔚 निष्कर्ष
निक्की हेली की सलाह न केवल एक राजनयिक टिप्पणी है, बल्कि अमेरिका को उसकी वैश्विक रणनीतिक प्राथमिकताओं की याद दिलाने वाली चेतावनी भी है। भारत को लेकर लिया गया कोई भी कठोर निर्णय भविष्य में अमेरिका की इंडो-पैसिफिक नीति और चीन से संतुलन के प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
भारत को अब वैश्विक राजनीति में केवल ‘सहयोगी’ नहीं, बल्कि ‘स्वतंत्र शक्ति’ के रूप में देखा जाना होगा।
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