शुभमन गिल का ऐतिहासिक प्रदर्शन: इंग्लैंड में बनाए 754 रन, कप्तानी में दिलाई 2-2 की बराबरी
इंग्लैंड की धरती पर वर्ष 2025 की टेस्ट सीरीज़ भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ बनकर सामने आई। इस श्रृंखला ने न केवल भारत को विदेशी ज़मीन पर सम्मान दिलाया, बल्कि एक युवा कप्तान शुभमन गिल को भारतीय क्रिकेट के भविष्य के नायक के रूप में स्थापित कर दिया। गिल ने बल्ले और दिमाग़ दोनों से ऐसा प्रदर्शन किया, जिसे भारतीय क्रिकेट इतिहास में वर्षों तक याद रखा जाएगा।

7⃣5⃣4⃣ runs in 5 matches
— BCCI (@BCCI) August 4, 2025
4⃣ Hundreds 💯
Shubman Gill led from the front and had an incredible series with the bat 🙌
The #TeamIndia Captain is India's Player of the Series 👏👏
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754 रन, 4 शतक, एक कप्तान – इतिहास रचने की दस्तक
शुभमन गिल ने इस सीरीज में कुल 754 रन बनाकर न केवल बल्लेबाजी के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त किए, बल्कि विदेशी सरज़मीं पर बतौर कप्तान सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी भी बन गए। यही नहीं, इंग्लैंड में एक ही टेस्ट सीरीज में चार शतक लगाने वाले वे पहले विदेशी कप्तान बने। भारत के लिए एक ही टेस्ट श्रृंखला में चार शतक जमाने वाले वे सिर्फ तीसरे बल्लेबाज़ हैं।

बर्मिंघम टेस्ट में तो उन्होंने दो पारियों में क्रमश: 269 और 161 रन ठोक दिए — कुल 430 रन। यह एक ही टेस्ट में किसी भी बल्लेबाज़ द्वारा किया गया अब तक का दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। इस मैच में उन्होंने एक ऐसा अद्वितीय रिकॉर्ड भी बनाया, जो अब तक क्रिकेट इतिहास में दर्ज नहीं था — एक ही मैच में दोहरा शतक और दूसरी पारी में 150+ स्कोर।

गिल का ये कारनामा इसलिए भी खास रहा क्योंकि उन्होंने बिना अर्धशतक बनाए 700+ रन पूरे किए — यानी हर बार जब उन्होंने शुरुआत की, उसे शतक में बदला। कप्तान के तौर पर 269 का उनका स्कोर भारत के किसी भी कप्तान का सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन है।

SENA देशों में भी बना रिकॉर्ड
गिल ने SENA (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) देशों में किसी भारतीय बल्लेबाज़ द्वारा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर भी बना डाला। चौथे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए उनका 269 रन का योगदान न केवल टीम को संबल देने वाला था, बल्कि भारतीय मध्यक्रम की ताकत का भी प्रतीक बन गया।
कप्तानी में ठहराव और रणनीति में धार
इस सीरीज में शुभमन गिल की कप्तानी में एक खास बात थी – वह घबराए नहीं। मैदान पर शांत चेहरा और भीतर तेज़ सोच – यही गिल की पहचान रही। जब अंतिम टेस्ट के आखिरी दिन इंग्लैंड को 35 रन और भारत को 4 विकेट की दरकार थी, तब गिल ने अपनी रणनीति को धैर्य और भरोसे से निभाया।

मैच के बाद उन्होंने तेज़ गेंदबाज मोहम्मद सिराज की तारीफ करते हुए कहा – “सिराज किसी भी कप्तान का सपना होते हैं। उन्होंने हर स्पैल में खुद को झोंक दिया।”
उन्होंने प्रसिद्ध कृष्णा की भी प्रशंसा की, जिनके आठ विकेट भले ही थोड़े महंगे साबित हुए, लेकिन समय पर विकेट लेकर उन्होंने मैच भारत के पक्ष में मोड़ दिया।
मज़बूत नेतृत्व और बल्लेबाज़ी का मेल
गिल का यह प्रदर्शन केवल उनके बल्ले की चमक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारतीय टीम के आत्मविश्वास, नवाचार और समर्पण का परिचायक बन गया। उनकी कप्तानी में युवा खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया और टीम ने सीरीज को 2-2 की बराबरी तक पहुंचाकर आलोचकों को चुप करा दिया।
गिल ने कहा – “हम कभी हार नहीं मानते। हमें विश्वास था कि दबाव इंग्लैंड पर है और हम उसे बनाए रख सकते हैं। मेरी बल्लेबाज़ी संतोषजनक रही। लक्ष्य था कि सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बनूं, और वो हासिल हुआ। यह मानसिक और तकनीकी दोनों चुनौतियों से जूझने का सफर रहा।”
हैरी ब्रुक की स्वीकारोक्ति और सिराज की धाक
इंग्लैंड के बल्लेबाज हैरी ब्रुक को गिल के साथ संयुक्त रूप से प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। ब्रुक ने माना कि अंतिम दिन वे जीत के काफी करीब थे, लेकिन सिराज की धारदार गेंदबाजी ने सब कुछ बदल दिया।
उन्होंने कहा – “मुझे लगा था हम आसानी से मैच जीत लेंगे, लेकिन सिराज ने कमाल कर दिया। उन्होंने पूरे जोश और सटीकता से गेंदबाज़ी की और हमें टिकने नहीं दिया।”

ब्रुक ने ये भी स्वीकार किया कि जब वे और जो रूट बल्लेबाजी कर रहे थे, तब इंग्लैंड की जीत लगभग तय लग रही थी। लेकिन क्रिकेट की अनिश्चितता और भारत के जज़्बे ने मुकाबले का रंग पलट दिया।
भारतीय क्रिकेट के लिए एक संकेत
शुभमन गिल की यह सीरीज महज आंकड़ों की श्रृंखला नहीं थी। यह एक संकेत थी – भविष्य आ चुका है। भारतीय क्रिकेट को अब एक ऐसा कप्तान मिल चुका है, जो बल्ले से मोर्चा ले सकता है, मैदान पर शांत रह सकता है, और मुश्किल परिस्थितियों में अपनी टीम को जीत दिला सकता है।
यह श्रृंखला बताती है कि गिल न केवल एक शानदार बल्लेबाज हैं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के नेतृत्व के भविष्य के मजबूत स्तंभ भी हैं।
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