October 15, 2025 11:01 PM

राजस्थान के मुख्यमंत्री के विमान से टला बड़ा हादसा: फलोदी में पायलट की चूक से गलत रनवे पर उतरा जहाज, DGCA ने शुरू की जांच

  • फलोदी एयरफोर्स स्टेशन की बजाय गलती से 5 किलोमीटर दूर स्थित सिविल हवाई पट्टी पर उतर गया

फलोदी (राजस्थान)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ले जा रहा एक चार्टर विमान गुरुवार, 31 जुलाई को एक गंभीर लापरवाही का शिकार होते-होते बचा। दिल्ली से फलोदी रवाना हुआ यह चार्टर विमान फाल्कन-2000 निर्धारित फलोदी एयरफोर्स स्टेशन की बजाय गलती से 5 किलोमीटर दूर स्थित सिविल हवाई पट्टी पर उतर गया। गनीमत रही कि इस भूल का समय रहते एहसास हुआ और पायलटों ने तुरंत विमान को दोबारा उड़ाकर उसे वायुसेना के रनवे पर सुरक्षित उतार दिया। इस घटना ने देश में वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था और विमानन मानकों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

लैंडिंग में चूक, बड़ा हादसा टला

यह चार्टर विमान दिल्ली से फलोदी के लिए उड़ान पर था और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उसमें सवार थे। विमान को फलोदी के वायुसेना स्टेशन पर उतरना था, लेकिन पायलटों ने गलती से फलोदी की सिविल हवाई पट्टी पर लैंडिंग कर दी, जो कि निर्धारित रनवे नहीं था। जानकारों के अनुसार, दोनों हवाई पट्टियों की बनावट और स्थान में समानता होने से यह भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।

DGCA ने की तत्काल जांच शुरू

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। चार्टर कंपनी ने स्वयं DGCA को गलत लैंडिंग की जानकारी दी। फिलहाल दोनों पायलटों को ड्यूटी से हटाकर जांच पूरी होने तक उड़ान भरने से रोक दिया गया है। DGCA यह जानने का प्रयास कर रहा है कि उड़ान से पहले की ब्रीफिंग में इस संभावित भ्रम की संभावना क्यों नहीं चिन्हित की गई थी।

करीब 5 किलोमीटर की दूरी, पर बड़ी समानता

सूत्रों के अनुसार, फलोदी की सिविल हवाई पट्टी और वायुसेना स्टेशन के रनवे के बीच मात्र 5 किलोमीटर का फासला है। इन दोनों की बनावट और भौगोलिक स्थिति लगभग समान है। विशेषज्ञों का मानना है कि पायलटों ने उड़ान से पहले की ब्रीफिंग में इन दोनों रनवे की विशेष पहचान पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। इसी कारण सिविल हवाई पट्टी को ही निर्धारित एअरस्ट्रीप समझ लिया गया।

वीआईपी सुरक्षा और पायलट ट्रेनिंग पर सवाल

इस घटना ने पायलटों की ट्रेनिंग, रनवे की स्पष्ट पहचान और वीआईपी मूवमेंट में सावधानी जैसे कई पहलुओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक भविष्य में किसी अनहोनी का कारण बन सकती थी? क्या विमान संचालन से जुड़े अधिकारियों ने इस क्षेत्र की विशेष परिस्थिति को लेकर समुचित तैयारी की थी?

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