जरूरी दवाओं की कीमतों में कटौती: पेरासिटामोल, शुगर और हार्ट की दवाएं हुईं सस्ती
नई दिल्ली। आम आदमी के इलाज पर होने वाला खर्च अब कुछ हद तक कम होने जा रहा है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने देशभर में उपयोग की जाने वाली 37 आवश्यक दवाओं की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत तक की कटौती की है। इनमें बुखार, दर्द, हृदय रोग, मधुमेह और संक्रमण से संबंधित दवाएं शामिल हैं। यह फैसला उन करोड़ों मरीजों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो लंबे समय से महंगी दवाओं के बोझ से परेशान थे।

शनिवार को केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO), 2013 के अंतर्गत इस फैसले की अधिसूचना जारी की। इसके तहत 35 अलग-अलग दवा फॉर्मूलों पर नई कीमतें लागू की जाएंगी। इन दवाओं का निर्माण देश की नामी दवा कंपनियां करती हैं और ये बाजार में बड़े पैमाने पर उपलब्ध रहती हैं।
किन दवाओं के दाम घटाए गए?
1. बुखार और दर्द की दवाएं:
बुखार और सूजन में इस्तेमाल होने वाली पेरासिटामोल, एक्लोफेन्स और ट्रिप्सिन-चाइमोट्रिप्सिन जैसी कॉम्बिनेशन दवाओं के दाम घटाए गए हैं।
- डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज द्वारा बनाई जा रही टैबलेट की कीमत अब ₹13 होगी
- कैडिला फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई वही दवा ₹15.01 में उपलब्ध होगी।

2. हृदय रोग की दवाएं:
दिल के रोगियों के इलाज में उपयोगी एटोरवास्टेटिन 40 मिलीग्राम और क्लोपिडोग्रेल 75 मिलीग्राम के संयोजन वाली दवा की नई कीमत ₹25.61 प्रति टैबलेट तय की गई है। यह दवा हृदय की धमनियों में रुकावट और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए दी जाती है।
3. मधुमेह (शुगर) की दवाएं:
टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए एम्पाग्लिफ्लोजिन, सिटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन का संयोजन आवश्यक है।
- इनकी कीमत अब ₹16.50 प्रति टैबलेट निर्धारित की गई है, जिससे लाखों मधुमेह रोगियों को राहत मिलेगी।
4. विटामिन और इंजेक्शन:
विटामिन डी (कोलीकाल्सीफेरोल) की बूंदों और डाइक्लोफेनेक इंजेक्शन की कीमत ₹31.77 प्रति मिलीलीटर तय की गई है। इसके अलावा एलर्जी, अस्थमा और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण की दवाओं के मूल्य भी सीमित कर दिए गए हैं।

क्यों उठाया गया यह कदम?
बीते वर्षों में आवश्यक दवाओं के दामों में लगातार वृद्धि देखने को मिली है। इससे आम जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था। इलाज का खर्च बढ़ने से निम्न और मध्यम वर्ग विशेष रूप से प्रभावित हो रहा था। मरीजों और स्वास्थ्य संगठनों की ओर से समय-समय पर महंगी दवाओं को लेकर शिकायतें भी आती रही हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार ने मरीजों की आर्थिक परेशानी को समझते हुए NPPA के माध्यम से मूल्य नियंत्रण का कदम उठाया है। इस फैसले से लाखों लोगों को सस्ती और जरूरी दवाएं सुलभ होंगी।
पहले दवाएं महंगी हुई थीं
गौरतलब है कि मई 2024 में सरकार ने 8 शेड्यूल दवाओं के 11 फार्मूलेशन की अधिकतम कीमतों में 50% तक की बढ़ोतरी की थी। ये दवाएं अस्थमा, टीबी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों में उपयोग की जाती हैं। उस समय सरकार का तर्क था कि इन दवाओं की उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जिससे दाम बढ़ाना जरूरी था।
लेकिन इन दवाओं के महंगे होने के बाद से ही लगातार मांग उठ रही थी कि जरूरी दवाओं को कम दामों पर उपलब्ध कराया जाए। अब सरकार ने उसी दिशा में ठोस कदम उठाते हुए नई अधिसूचना जारी की है।
दवाओं की कीमत नियंत्रण क्यों जरूरी?
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच अब भी असमान है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति और निजी अस्पतालों की महंगाई दोनों ने आम लोगों की चिंता बढ़ाई है। ऐसे में जरूरी दवाओं की कीमत नियंत्रित करना सरकार की अहम जिम्मेदारी है।
NPPA का उद्देश्य यही है कि जीवनरक्षक और रोजाना इस्तेमाल में आने वाली दवाएं सस्ती रहें और हर नागरिक तक पहुंच सकें। इससे इलाज अधूरा छोड़ने जैसी समस्याएं भी कम होंगी और स्वास्थ्य सेवाओं में विश्वास बढ़ेगा।
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