रियायतें घटीं, दबाव बढ़ा; अब मध्य एशिया और अफ्रीका से आयात की तैयारी
भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना किया बंद, ट्रंप की चेतावनी का असर
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त चेतावनी के बाद भारत की चार प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चे तेल की खरीद पूरी तरह बंद कर दी है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है और रूस से सबसे अधिक तेल मंगवाता रहा है, अब पश्चिम एशिया और अफ्रीकी देशों की ओर रुख कर रहा है।

अमेरिकी दबाव और रियायतों में कटौती बनी वजह
सूत्रों के मुताबिक, इस निर्णय के पीछे दो अहम कारण हैं— पहला, रूस की ओर से दी जा रही छूट में इस महीने कमी आना और दूसरा, अमेरिका की नई चेतावनी, जिसमें भारत से रूस से तेल आयात बंद करने को लेकर कड़ा रुख अपनाया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में स्पष्ट किया कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों को अमेरिका के साथ आर्थिक संबंधों पर असर झेलना पड़ सकता है।

किन कंपनियों ने रोकी खरीद?
भारत की जिन सरकारी कंपनियों ने रूस से तेल आयात फिलहाल रोक दिया है, वे हैं:
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC)
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL)
- भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL)
- मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL)
सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों ने पिछले एक सप्ताह में रूस से कोई नई मांग नहीं भेजी है, जबकि सामान्य दिनों में ये रिफाइनरियां नियमित रूप से रूस से आपूर्ति मंगवाती थीं।
नए विकल्प की तलाश में भारत
रूस से आयात पर रोक लगाने के साथ ही अब भारत की सरकारी रिफाइनरियां वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश में जुट गई हैं। पश्चिम एशिया, विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, के अलावा अफ्रीकी देशों जैसे नाइजीरिया और अंगोला से तेल आयात बढ़ाया जा रहा है। यह रणनीति तेल की कीमतों और आपूर्ति की स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनाई जा रही है।

निजी कंपनियां अब भी खरीद रहीं तेल
हालांकि सरकारी कंपनियों ने रूसी तेल से किनारा कर लिया है, लेकिन देश की दो प्रमुख निजी कंपनियां— रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी— अब भी रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए हैं। इन दोनों कंपनियों के मॉस्को के साथ वार्षिक समझौते हैं, जिसके तहत वे नियमित रूप से आपूर्ति लेते हैं। इनका भारतीय तेल आयात में अब भी महत्वपूर्ण योगदान बना हुआ है।

रूस के लिए बड़ा झटका
भारत, जो 2022 से रूस के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा बाजार बन गया था, अब अगर आयात पूरी तरह बंद कर देता है तो यह मॉस्को की तेल निर्यात नीति के लिए बड़ा झटका होगा। भारत से राजस्व का यह स्रोत कटने पर रूस को चीन, तुर्की और अन्य बाजारों पर निर्भर होना पड़ेगा।

विश्लेषण: भारत की कूटनीतिक संतुलन की रणनीति
इस घटनाक्रम को वैश्विक कूटनीतिक दबाव और आर्थिक विवेक के बीच भारत की संतुलनकारी नीति के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर, भारत रूस के साथ अपने पुराने संबंध बनाए रखना चाहता है, वहीं अमेरिका जैसे महाशक्ति देश की चेतावनियों और संभावित प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ करना भी जोखिमपूर्ण हो सकता है। ऐसे में भारत के नीति-निर्माता तेल की आपूर्ति में विविधता लाकर कूटनीतिक और आर्थिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं।
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