मध्यप्रदेश में अब तक 711 मिमी बारिश, औसत से 59% अधिक वर्षा दर्ज
ग्वालियर सहित 10 जिलों में तय बारिश का कोटा पूरा, इंदौर-उज्जैन संभाग पीछे
भोपाल। मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून ने अपने आगमन के बाद से ही असर दिखाना शुरू कर दिया था। मौसम विभाग द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 1 जून से 31 जुलाई तक कुल औसतन 711 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य औसत की तुलना में 59 प्रतिशत अधिक है। खास बात यह है कि ग्वालियर सहित 10 जिलों में वार्षिक औसत बारिश का कोटा पहले ही पूरा हो चुका है, जबकि कई अन्य जिलों में यह आंकड़ा तेजी से पार होने की ओर बढ़ रहा है।
जुलाई में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा
मौसम विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई माह में औसतन 317 मिमी वर्षा होती है, लेकिन इस बार 533 मिमी पानी गिरा, जो औसत से 216 मिमी अधिक है। इस वृद्धि का मुख्य कारण जुलाई के दौरान दो डिप्रेशन सिस्टम का सक्रिय होना और साथ ही मॉनसून ट्रफ व साइक्लोनिक सर्कुलेशन की तीव्र गतिविधि रही।
इन्हीं मौसमी बदलावों के चलते जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल, भोपाल, नर्मदापुरम और ग्वालियर-चंबल जैसे पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। हालांकि, इंदौर और उज्जैन संभागों में बारिश का स्तर औसत से कम रहा है।

बाढ़ की स्थिति और बांधों की भराव क्षमता
बारिश का यह असमान वितरण प्रदेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात भी लेकर आया। कई छोटे-बड़े बांधों और जलाशयों में जलस्तर तेजी से बढ़ा, जिससे आसपास के इलाकों में जलभराव की स्थिति बनी। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में पानी भर जाने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा, वहीं शहरों में जल निकासी की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे।
पूर्वी हिस्से में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी
वर्षा वितरण का आकलन करने पर सामने आया है कि प्रदेश के पूर्वी हिस्से में सामान्य से 62 प्रतिशत अधिक वर्षा, जबकि पश्चिमी हिस्से में 55 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। इस असंतुलन का कारण हवाओं की दिशा, समुद्र तल पर दवाब में परिवर्तन और ट्रफ लाइन की स्थिति को बताया गया है।
अगस्त में भी अच्छी वर्षा की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, अगस्त माह में भी वर्षा का स्तर अच्छा रहने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि इस माह के दौरान औसतन 508 मिमी या उससे अधिक वर्षा दर्ज की जा सकती है। हालांकि, अगले एक सप्ताह तक भारी वर्षा की संभावना कम जताई गई है, जिससे राहत की उम्मीद की जा सकती है।

किसानों और आमजन के लिए क्या है असर?
लगातार हो रही बारिश ने जहां किसानों को खरीफ फसल की बुवाई में मदद दी, वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण कई स्थानों पर फसलों को नुकसान भी पहुंचा है। जिन जिलों में पानी अधिक गिरा है, वहां खेतों में जलभराव के चलते सोयाबीन और धान जैसी फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
वहीं, शहरों में लगातार वर्षा से सड़कें जर्जर, नालियों में अवरोध, और जलजमाव की शिकायतें बढ़ी हैं। कई स्थानों पर प्रशासन को बाढ़ नियंत्रण और राहत कार्यों में दखल देना पड़ा है।

कहां कितनी वर्षा?
- जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल, भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर-चंबल: सामान्य से अधिक बारिश
- इंदौर और उज्जैन संभाग: औसत से कम बारिश
- ग्वालियर सहित 10 जिले: वार्षिक औसत कोटा पूरा
विशेषज्ञों की सलाह
मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि अगले सप्ताह मौसम में कोई विशेष बदलाव नहीं होने की संभावना है, अतः जो खेत जलभराव से प्रभावित हैं, वहां जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। वहीं, शहरी क्षेत्रों में प्रशासन को बारिश के दौरान संभावित जलभराव की स्थिति के मद्देनजर सतर्क रहने और पूर्व तैयारी रखने को कहा गया है।
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