विधानसभा में मंत्री विजय शाह के इस्तीफे की मांग पर हंगामा, ऑपरेशन सिंदूर बना राजनीतिक टकराव का मुद्दा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार का दिन भारी हंगामे के नाम रहा। कांग्रेस ने वन मंत्री विजय शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर सदन में जमकर प्रदर्शन किया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि प्रश्नकाल को बाधित करते हुए विपक्षी विधायक वेल में उतर आए और ‘विजय शाह इस्तीफा दो’ के नारे लगाने लगे। सत्ता पक्ष की ओर से भी जवाबी नारेबाजी हुई, जिसके चलते विधानसभा की कार्रवाई दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
प्रश्नकाल के दौरान शुरू हुआ हंगामा
पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए मंत्री विजय शाह खड़े हुए। उसी क्षण कांग्रेस विधायकों ने शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस विधायक वेल में आ गए और “शर्म करो, इस्तीफा दो” जैसे नारे लगाने लगे।

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने बार-बार विपक्षी विधायकों से अनुरोध किया कि प्रश्नकाल जनहित से जुड़ा होता है, उसे बाधित न किया जाए। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर अड़ा रहा।
भाजपा का भी पलटवार, कार्रवाई स्थगित
कांग्रेस की ओर से हो रही लगातार नारेबाजी के बीच सत्ता पक्ष भी आक्रामक हो गया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अगुवाई में भाजपा विधायकों ने भी नारेबाजी शुरू कर दी। हालात बेकाबू होते देख विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई को 1 बजे तक स्थगित कर दिया।
बैठक स्थगित होने के बावजूद कांग्रेस विधायक करीब 20 मिनट तक वेल में बैठकर नारेबाजी करते रहे, फिर सदन के बाहर जाकर विजय शाह के खिलाफ प्रदर्शन किया।
ऑपरेशन सिंदूर बना राजनीतिक जंग का केंद्र
इस हंगामे के केंद्र में ऑपरेशन सिंदूर है। इस ऑपरेशन और उसमें कर्नल सोफिया कुरैशी की भूमिका को लेकर कांग्रेस ने विजय शाह को निशाने पर लिया। कांग्रेस का आरोप है कि इस ऑपरेशन में संवैधानिक प्रक्रियाओं की अनदेखी हुई है और शाह की भूमिका संदिग्ध रही है।
जवाब में भाजपा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस को “चीन और पाकिस्तान का दलाल” कह डाला। इसके बाद दोनों ओर से ‘शर्म करो’ और ‘देश विरोधी पार्टी शर्म करो’ जैसे नारों की गूंज सुनाई देती रही।
खाद की कमी को लेकर कांग्रेस का प्रतीकात्मक प्रदर्शन
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही कांग्रेस ने खाद की कमी को लेकर प्रदर्शन किया। खाद की बोरियां लेकर पहुंचे कांग्रेस विधायक किसानों को समय पर खाद नहीं मिलने का मुद्दा उठा रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मीडिया से कहा, “प्रदेश में किसान परेशान हैं, खाद के लिए लाइनें लग रही हैं। जबकि कृषि मंत्री कह रहे हैं कि कहीं कोई कमी नहीं है।” उधर, कृषि मंत्री कंषाना ने विपक्ष के आरोपों को राजनीतिक ड्रामा बताया।

गैस पीड़ितों की स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य प्रश्न हुए प्रभावित
हंगामे का असर प्रश्नकाल की कार्यवाही पर भी पड़ा। गैस राहत अस्पतालों में डॉक्टरों की भर्ती का मुद्दा उठाया गया, लेकिन मंत्री विजय शाह हंगामे के चलते उत्तर नहीं दे सके। बाद में लिखित उत्तर में बताया गया कि संविदा आधार पर डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है और उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत व्यवस्थाएं संचालित हैं।
विधायक नीरज सिंह ठाकुर ने दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दा उठाया, जबकि सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा ने विदिशा में जंगलों की अवैध कटाई और खेती को लेकर सवाल किया।
भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का पहला प्रश्न
नवनियुक्त भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बतौर अध्यक्ष अपना पहला सवाल विधानसभा में किया। उन्होंने बैतूल जिले में जल संसाधन विभाग में खाली सब इंजीनियर पदों को लेकर जानकारी मांगी। इसके अतिरिक्त विधायक रामश्री भारत ने बड़ामलहरा में जंगल विकास के लिए खर्च की गई राशि की जानकारी चाही।
विधानसभा का शुक्रवार का सत्र विपक्ष और सत्ता पक्ष की तीखी भिड़ंत का गवाह बना। जहां विपक्ष विजय शाह के इस्तीफे की मांग पर अड़ा रहा, वहीं भाजपा ने भी जवाबी हमला किया। ऑपरेशन सिंदूर, खाद संकट और गैस पीड़ितों की चिकित्सा सुविधाएं जैसे मुद्दों पर राजनीति और भी गरमाई दिखी। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव कितना और तेज होता है।
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