राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर गरम बहस: जे.पी. नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे आमने-सामने
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच गरमागरम बहस देखने को मिली। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा तथा विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। यह टकराव उस वक्त शुरू हुआ जब खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कुछ तीखी टिप्पणियां कीं, जिन पर जे.पी. नड्डा ने कड़ा एतराज जताया और जवाबी टिप्पणी में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग कर दिया, जिसे विपक्ष ने आपत्तिजनक और असंसदीय करार देते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
#WATCH | Discussion on Operation Sindoor | Leader of House in Rajya Sabha JP Nadda says, "He (RS LoP Mallikarjun Kharge) is a very senior leader but the way in which he had commented on the PM…I can understand his pain. He (PM Modi) has been there since 11 years now. He happens… pic.twitter.com/xqS4qLOOTt
मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर तंज कसा, जिससे सत्ता पक्ष खासा आक्रोशित हो गया। जे.पी. नड्डा ने जवाबी वक्तव्य में कहा,
“नेता प्रतिपक्ष ने लंबा भाषण दिया, लेकिन उनके कद के हिसाब से जिन शब्दों का चयन किया गया, वे उनके स्तर के नहीं थे। जिस प्रकार की टिप्पणियां प्रधानमंत्री को लेकर की गईं, वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण हैं, बल्कि देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक पद का भी अपमान है।”
नड्डा ने आगे कहा कि वह समझ सकते हैं कि खरगे की परेशानी क्या है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“आपकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं कि प्रधानमंत्री ने आपको 11 साल से विपक्ष में बैठा रखा है। लेकिन आपको देश से ज्यादा पार्टी की चिंता है, और इसी भावावेश में आप प्रधानमंत्री जैसे पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखते।”
नड्डा के शब्दों पर विपक्ष का विरोध, कार्यवाही बाधित
नड्डा के बयान के दौरान विपक्षी सांसदों ने खड़े होकर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि उन्होंने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है। विपक्ष की ओर से यह मांग उठी कि नड्डा अपने शब्द वापस लें और माफी मांगें। कुछ समय के लिए सदन की कार्यवाही भी बाधित हो गई।
स्थिति को संभालते हुए जे.पी. नड्डा ने कहा,
“अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं खेद प्रकट करता हूं। मेरे शब्दों को भावावेश में कहा गया मान लिया जाए। मैं अपने शब्द वापस लेता हूं, लेकिन यह भी कहना चाहता हूं कि जो भाषा खरगे जी जैसे वरिष्ठ नेता ने इस्तेमाल की, वह भी मर्यादा के अनुरूप नहीं थी।”
खरगे की प्रतिक्रिया: माफी पर्याप्त नहीं
विपक्ष के नेता खरगे ने नड्डा के वक्तव्य को “अस्वीकार्य” बताया और कहा कि केवल शब्द वापस लेने से बात खत्म नहीं होती। उन्होंने जोर देते हुए कहा,
“नड्डा जी को साफतौर पर माफी मांगनी चाहिए और यह स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना को व्यक्तिगत हमले के रूप में देखा, जबकि लोकतंत्र में प्रधानमंत्री की नीतियों की आलोचना करना विपक्ष का कर्तव्य है।”
#WATCH | Discussion on Operation Sindoor | Rajya Sabha LoP Mallikarjun Kharge says, "On 14th July 2025, J&K LG Manoj Sinha admitted that the Pahalgam terror attack was undoubtedly a security failure…"I take full responsibility for the incident which was undoubtedly a security… pic.twitter.com/DvjpM7dDt3
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर इस बात को रेखांकित कर दिया कि संसद में स्वस्थ बहस और गरिमा बनाए रखना कितना आवश्यक है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे संवेदनशील विषय पर चर्चा के दौरान राजनीतिक बयानबाजी ने मुद्दे की गंभीरता को पीछे छोड़ दिया और बहस व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में तब्दील हो गई।
सत्ता पक्ष का कहना था कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और वैश्विक छवि पर विपक्ष की टिप्पणियां दुर्भावनापूर्ण हैं, जबकि विपक्ष का तर्क है कि प्रधानमंत्री की कार्यशैली और नीतियों की आलोचना लोकतांत्रिक अधिकार है, न कि अपमान।
राज्यसभा जैसे उच्च सदन में नेताओं की भाषा, संयम और गरिमा लोकतंत्र की पहचान होती है। इस घटना ने यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि जब अनुभवी और वरिष्ठ नेता भी भावनाओं में बहकर मर्यादा की सीमाएं लांघते हैं, तो क्या लोकतंत्र की साख को चोट नहीं पहुंचती? सदन में असहमति हो सकती है, लेकिन असंवेदनशीलता और असंसदीयता नहीं होनी चाहिए।
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