- नई दिल्ली में हुई सीमा परामर्श समिति की बैठक, द्विपक्षीय वार्ता के लिए तैयारियां शुरू
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों से चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों में अब धीरे-धीरे सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। दोनों देशों ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की समग्र स्थिति की समीक्षा की और सीमा विवादों को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के आगामी दौर की तैयारी शुरू कर दी है। इस उद्देश्य से भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए गठित कार्य तंत्र की 34वीं बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि इस बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में बनी सामान्य स्थिति और शांति को लेकर संतोष व्यक्त किया। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संवाद जारी रखते हुए आगे की प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा।
वांग यी कर सकते हैं भारत का दौरा
सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष के अंत में विशेष प्रतिनिधियों की जो वार्ता भारत में प्रस्तावित है, उसमें भाग लेने के लिए चीन के विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे की संभावना प्रबल है। वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल इस प्रक्रिया में अपने-अपने देश के विशेष प्रतिनिधि हैं। यह वार्ता सीमा विवाद के समाधान और तनाव कम करने के प्रयासों का अहम हिस्सा मानी जा रही है।
सीमा क्षेत्रों की समीक्षा में मिली सहमति
बैठक के दौरान दोनों देशों ने एलएसी के साथ लगते क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति की गहन समीक्षा की। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि सीमा पर सामान्य स्थिति और शांति को लेकर दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देश अब टकराव की बजाय समाधान की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हैं। मंत्रालय के अनुसार, “दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि वे सीमा से संबंधित मुद्दों पर कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिए संवाद बनाए रखेंगे। इसके लिए स्थापित तंत्र के तहत नियमित आदान-प्रदान और संपर्क भी बनाए रखा जाएगा।”
गत वर्ष चीन में हुई थी पिछली वार्ता
विशेष प्रतिनिधियों के स्तर की पिछली बैठक दिसंबर 2023 में चीन में आयोजित की गई थी। उसमें भी सीमा विवाद को सुलझाने और शांति बनाए रखने पर जोर दिया गया था। नई दिल्ली में हुई ताज़ा बैठक उसी प्रक्रिया का अगला चरण है, जो दर्शाता है कि दोनों देश द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव को पीछे छोड़ने की दिशा में प्रयासरत हैं।
संबंधों में सामान्य स्थिति की ओर वापसी
पिछले कुछ वर्षों में गलवान जैसी घटनाओं और लगातार सैन्य गतिरोध के कारण भारत-चीन संबंधों में तीव्र तनाव देखने को मिला था। लेकिन अब जब दोनों देश नियमित संवाद की दिशा में लौट रहे हैं, तो यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसे संवाद सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में मील का पत्थर बन सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर स्थिरता और शांति बनाए रखना ही भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने की कुंजी है। वांग यी की संभावित भारत यात्रा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत मानी जा रही है।