क्यूबा की मंत्री को गरीबों पर बयान देना पड़ा भारी, जनता के दबाव में दिया इस्तीफा
हवाना। गहराते आर्थिक संकट से जूझ रहे क्यूबा में सरकार की एक वरिष्ठ मंत्री को अपने विवादित बयान की भारी कीमत चुकानी पड़ी। श्रम मंत्री मार्ता एलेना फेतो कैबरेरा ने संसद में कहा कि क्यूबा में भिखारी नहीं हैं, लोग सिर्फ गरीबी का नाटक करते हैं। उनके इस बयान के बाद जनता में जबरदस्त नाराजगी फैल गई और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

मंत्री के बयान ने भड़काया जनाक्रोश
सोमवार को संसद में मंत्री कैबरेरा ने कहा कि उन्होंने सड़कों पर कुछ ऐसे लोगों को देखा है जो भिखारी जैसे लगते हैं, लेकिन असल में वे सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई लोग कूड़ा बीनने या गाड़ियों के शीशे साफ करने जैसे काम कर के टैक्स चोरी कर रहे हैं और अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते हैं।
उन्होंने कहा:
“इनमें से कई लोग मेहनत करना नहीं चाहते, बल्कि आसान पैसा कमाने के लिए खुद को गरीब दिखाते हैं।”
आम लोगों और बुद्धिजीवियों का जोरदार विरोध
कैबरेरा के इस बयान के बाद जनता में आक्रोश फैल गया। आम लोग, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और यहां तक कि कई सरकारी कर्मचारियों ने भी मंत्री के रवैये की आलोचना की। क्यूबा जैसे देश में, जहां सरकार की आलोचना सामान्यतः स्वीकार नहीं की जाती, वहां इतने व्यापक विरोध ने सरकार को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।
लोगों का कहना था कि मंत्री ने गरीबों के संघर्ष का मजाक उड़ाया है और सरकार को उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो वाकई कठिन हालात में जी रहे हैं।
राष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद मंत्री का इस्तीफा
मंत्री की आलोचना क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज़-कैनेल तक भी पहुंची। उन्होंने संसद में बिना नाम लिए कैबरेरा की आलोचना करते हुए कहा:
“सरकार को संवेदनशील और ज़मीन से जुड़ा हुआ होना चाहिए। उसे जनता की तकलीफें समझनी चाहिए और सच्चाई से आंखें नहीं मूंदनी चाहिए।”
राष्ट्रपति की इस टिप्पणी के तुरंत बाद कैबरेरा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे पार्टी ने स्वीकार भी कर लिया।

क्यूबा की बिगड़ती अर्थव्यवस्था की सच्चाई
क्यूबा इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश में रोजमर्रा की चीज़ें जैसे खाना, दवा और ईंधन तक मिलना मुश्किल हो गया है।
- एक रिटायर्ड नागरिक को हर महीने करीब 2,000 क्यूबाई पेसो पेंशन मिलती है, जो भारतीय रुपये में केवल ₹430 के बराबर है।
- इस रकम से एक अंडे का डिब्बा खरीदना भी मुश्किल हो गया है।
- देश की अर्थव्यवस्था बीते 5 सालों में करीब 11% गिर चुकी है।
- जिनके परिवार वाले विदेशों में हैं, वही किसी तरह जी पा रहे हैं, बाकी लोग भूखे सोने को मजबूर हैं।
ऐसे हालात में मंत्री के बयान को लोगों ने सरकारी संवेदनहीनता के रूप में देखा और खुलकर विरोध किया।

जनता की आवाज ने दिलाया न्याय
क्यूबा में मंत्री का यह इस्तीफा एक बड़ा प्रतीकात्मक घटनाक्रम बन गया है। यह दिखाता है कि अब जनता सवाल पूछने लगी है, भले ही कानूनी तौर पर विरोध प्रदर्शन कठिन हो। सोशल मीडिया और सामाजिक हलकों में यह संदेश तेजी से फैला कि सरकार को अपनी नीतियों और नेताओं के बयानों को लेकर जवाबदेह होना पड़ेगा।
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