July 12, 2025 10:31 PM

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’– तीन वर्षों में 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग का खुलासा

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मौलाना छांगुर का धर्मांतरण रैकेट: तीन साल में 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग

लखनऊ। कभी गांव-गांव घूमकर भीख मांगने वाला और कपड़े बेचने वाला मौलाना छांगुर उर्फ जलालुद्दीन, अब अवैध धर्मांतरण रैकेट का सबसे बड़ा चेहरा बनकर सामने आया है। उत्तर प्रदेश के गरीबपुर में जन्मा छांगुर, पहले मुंबई के हाजी अली दरगाह में अंगूठी और नग बेचता था। फिर नग और अंगूठी के जरिए प्रभाव जमाकर लोगों को प्रभावित करने लगा और पत्नी कुतबुनिशा को प्रधानी का चुनाव भी जितवा दिया।

बाद में खुद को ‘पीर’ बताकर लोगों के बीच चमत्कारी छवि बनाने लगा और हिंदू धर्म के लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट कराने का सिलसिला शुरू किया। मुंबई से लौटकर बलरामपुर पहुंचा, जहां उसने एक आलीशान कोठी खड़ी की और कन्वर्जन का गढ़ बना लिया।

नेपाल बॉर्डर का फायदा उठाकर फैलाया नेटवर्क
बलरामपुर की नेपाल सीमा से सटे इलाकों में गरीब और असहाय हिंदू परिवारों को लालच देकर धर्मांतरण कराया जाने लगा। छांगुर लोगों को नग देता और उनके काम बनवाकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता। इस दौरान मुंबई के नवीन और नीतू रोहरा भी उसकी चपेट में आ गए। नीतू ने बाद में नसरीन बनकर छांगुर का साथ देना शुरू कर दिया।

15 वर्षों से चल रहा था धर्मांतरण रैकेट
जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर और नसरीन ने स्वीकार किया है कि यह नेटवर्क पिछले 15 वर्षों से संचालित हो रहा था। तीन सालों में करीब 500 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग छांगुर को प्राप्त हुई, जिसमें से 200 करोड़ की पुष्टि हो चुकी है और बाकी 300 करोड़ नेपाल के रास्ते आए होने की आशंका है।

जनसंख्या संतुलन बिगाड़ने की साजिश
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, छांगुर भारत में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाकर जनसांख्यकीय बदलाव (Demographic Change) की साजिश रच रहा था। उसने 1500 हिंदू युवतियों का कन्वर्जन कराया और उसके पास मिली डायरी में 100 ऐसे नाम भी मिले जिन्हें अगला लक्ष्य बनाया जाना था। इस पूरे नेटवर्क को पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की की संस्थाओं से फंडिंग मिलती थी।

बलरामपुर पहुंची एटीएस, कोठी में की छानबीन
शुक्रवार को यूपी एटीएस की टीम छांगुर और नसरीन को बलरामपुर स्थित उनकी कोठी पर लेकर पहुंची। यहां लगभग 40 मिनट तक पूछताछ और तलाशी की गई। कोठी के आसपास एटीएस कमांडो तैनात रहे। पूछताछ के बाद छांगुर और उसकी सहयोगी को वापस लखनऊ ले जाया गया। कोठी की जर्जर हालत देखकर छांगुर भावुक भी हो गया।


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