July 12, 2025 9:47 PM

एक चुनाव’ के मसौदे में कुछ बिंदुओं को और स्पष्ट किया जाए- पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने समिति के समक्ष रखा अपना पक्ष

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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर समिति की बैठक, पूर्व CJI चंद्रचूड़ और खेहर ने रखे सुझाव

नई दिल्ली। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक शुक्रवार को संसद भवन एनेक्सी में आयोजित हुई। बैठक का मुख्य विषय ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव पर विस्तृत विचार-विमर्श रहा। इस दौरान पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने समिति के समक्ष अपने कानूनी और संवैधानिक विचार रखे।

सूत्रों के अनुसार, बंद कमरे में हुई इस अहम बैठक में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने विधेयक में मौजूद कुछ गंभीर संवैधानिक अस्पष्टताओं की ओर समिति का ध्यान आकर्षित किया। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रस्तावित विधेयक संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता, लेकिन इसकी कुछ धाराएं स्पष्ट नहीं हैं और उन्हें संसद द्वारा परिभाषित किया जाना आवश्यक है।

वहीं, न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने भी ऐसे ही कुछ बिंदुओं को चिन्हित करते हुए विधेयक की वैधानिकता का समर्थन किया, परंतु इसके मसौदे में स्पष्टता और पर्याप्त सुरक्षा प्रावधानों की जरूरत बताई। दोनों पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने विधेयक को सैद्धांतिक रूप से सही ठहराया, पर इसकी भाषा और क्रियान्वयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने की सिफारिश की।

दलगत भावना से ऊपर उठकर हो रहा विचार-विमर्श

समिति की इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के कुल 38 सांसद उपस्थित रहे। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने बताया कि सभी सदस्य दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य एक संतुलित, व्यावहारिक और कानूनी रूप से मजबूत ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक तैयार करना है। इसी उद्देश्य से हमने निष्पक्ष और अनुभवी न्यायविदों को आमंत्रित किया है, ताकि विधेयक की वैधानिकता और व्यावहारिकता दोनों सुनिश्चित हो सकें।”

सभी पहलुओं पर विचार कर रही समिति

जेपीसी समिति विधेयक पर अंतिम रिपोर्ट तैयार करने से पहले इसके सभी संवैधानिक, प्रशासनिक और सामाजिक पहलुओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण कर रही है। समिति अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया कि “जनता की राय, विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएं और विधिक विशेषज्ञों की सलाह इस प्रक्रिया में सम्मिलित की जा रही हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह राजनीति से परे है और केवल राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर की जा रही है।”

समिति आने वाले महीनों में अपनी विस्तृत सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसकी मदद से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर संसद में निर्णय लिया जा सकेगा।


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