July 13, 2025 9:24 AM

मध्यप्रदेश के 40 हजार बैंककर्मी आज हड़ताल पर: 8500 शाखाओं में कामकाज प्रभावित, 17 सूत्रीय मांगों को लेकर देशव्यापी बैंक हड़ताल

mp-bank-strike-17-demands

मध्यप्रदेश में 40 हजार बैंककर्मी हड़ताल पर, बैंकिंग सेवाएं ठप

मध्यप्रदेश के 40 हजार बैंककर्मी आज हड़ताल पर: 8500 शाखाओं में कामकाज प्रभावित, 17 सूत्रीय मांगों को लेकर देशव्यापी बैंक हड़ताल

भोपाल। मध्यप्रदेश में आज बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं, क्योंकि प्रदेश के करीब 40 हजार बैंककर्मी अपनी 17 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल पर चले गए। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने किया है।

हड़ताल का असर प्रदेशभर की लगभग 8500 बैंक शाखाओं में देखा गया, जहां सामान्य लेनदेन से लेकर ग्राहक सेवा तक बाधित रही। भोपाल जिले में भी इस हड़ताल का बड़ा असर रहा, जहां विभिन्न बैंकों की सैकड़ों शाखाओं में करीब 5000 बैंक अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।

क्या हैं बैंककर्मियों की 17 सूत्रीय मुख्य मांगें?

यह हड़ताल केवल बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी समस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें केंद्रीय श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों को भी शामिल किया गया है। मांगों की प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  1. केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांगों का शीघ्र निराकरण किया जाए।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को मजबूत किया जाए।
  3. बैंकों और एलआईसी में निजीकरण एवं विनिवेश की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
  4. बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति को रद्द किया जाए।
  5. सार्वजनिक बीमा कंपनियों को एकीकृत कर एक इकाई बनाया जाए।
  6. बैंकों में पर्याप्त स्थायी भर्ती सुनिश्चित की जाए।
  7. ठेका प्रथा और आउटसोर्सिंग की नीति पर रोक लगे।
  8. एनपीएस (नई पेंशन योजना) को समाप्त कर ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) बहाल की जाए।
  9. कॉर्पोरेट्स द्वारा लिए गए डूबत ऋणों की सख्ती से वसूली की जाए।
  10. सामान्य ग्राहकों पर लगाए जाने वाले सेवा शुल्कों को कम किया जाए।
  11. बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को वापस लिया जाए।
  12. प्रतिगामी श्रम संहिताओं को लागू न किया जाए।
  13. ट्रेड यूनियन अधिकारों का हनन न हो।
  14. बैंक कर्मचारियों की लंबित मांगों का शीघ्र समाधान किया जाए।
    15-17. अन्य संगठित एवं असंगठित क्षेत्र की श्रमिक मांगों का समाधान भी प्राथमिकता से किया जाए।

क्यों जरूरी मानी जा रही है यह हड़ताल?

ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता वीके शर्मा ने बताया कि यह हड़ताल केंद्र सरकार की जनविरोधी और श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार निजीकरण, एफडीआई और श्रम सुधारों के नाम पर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन बंद नहीं करती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

ग्राहकों को हो रही परेशानी

हड़ताल की वजह से चेक क्लियरिंग, नकद निकासी, पासबुक प्रिंटिंग, लोन प्रक्रिया, ड्राफ्ट जारी करने जैसी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की स्थिति और भी खराब रही, जहां डिजिटल लेनदेन की पहुँच सीमित है।

आगे क्या?

अगर सरकार इन मांगों पर चर्चा और समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाती है, तो यूनियनों ने भविष्य में और भी बड़े स्तर की हड़ताल की चेतावनी दी है। हड़ताल के बाद बैंककर्मी दिल्ली में प्रदर्शन कर सकते हैं और संसद सत्र के दौरान अपनी आवाज बुलंद करेंगे।



Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram