July 12, 2025 10:06 PM

ई-कॉमर्स, डिजिटल पेमेंट और सोशल मीडिया के ज़रिए आतंक की नई फंडिंग: FATF रिपोर्ट में भारत के दो मामलों का हवाला

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FATF रिपोर्ट में खुलासा: आतंक के लिए ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल पेमेंट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल

दुनिया की सबसे बड़ी टेरर फंडिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक अब आतंकी संगठन पारंपरिक तरीकों की बजाय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम, सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल फंड जुटाने, हथियार खरीदने और हमलों की प्लानिंग के लिए कर रहे हैं।

रिपोर्ट का नाम है — “कॉम्प्रिहेंसिव अपडेट ऑन टेररिस्ट फाइनेंसिंग रिस्क”। यह 131 पेज की विस्तृत रिपोर्ट बताती है कि बीते दशक में टेरर फाइनेंसिंग के तौर-तरीकों में किस तरह बड़ा बदलाव आया है।


पुलवामा और गोरखनाथ हमलों के उदाहरण

FATF ने अपनी रिपोर्ट में भारत में हुए दो हमलों—फरवरी 2019 का पुलवामा हमला और अप्रैल 2022 का गोरखनाथ मंदिर हमला—का खास ज़िक्र किया है।

  • पुलवामा हमला: इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। FATF की रिपोर्ट में बताया गया कि हमले में जिस एल्यूमिनियम पाउडर का इस्तेमाल हुआ, वह ई-कॉमर्स साइट Amazon से खरीदा गया था। यह पाउडर IED की ताकत बढ़ाने में उपयोग किया गया था, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आतंकी अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए संवेदनशील सामग्री की खरीद कर रहे हैं। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि 2019 में पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल हुआ विस्फोटक अमेजन से ऑनलाइन खरीदा गया था, जिससे आतंकी संगठनों के डिजिटल माध्यमों की ओर झुकाव की पुष्टि होती है।
  • गोरखनाथ हमला: रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी मुर्तजा अब्बासी ने PayPal के ज़रिए 6.69 लाख रुपए की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग ISIS के लिए की थी। उसने VPN का इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन छिपाई और लगभग 44 अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन किए। PayPal ने जब संदिग्ध गतिविधियां देखीं, तो उसका अकाउंट सस्पेंड कर दिया। हमले के बाद उसके पास से कट्टरपंथी सामग्री और आईएसआईएस से जुड़े डिजिटल सबूत बरामद हुए थे। FATF का कहना है कि गोरखपुर हमले में आतंकी को डिजिटल मनी ट्रांसफर प्लेटफॉर्म के ज़रिए फंड भेजा गया, जो डिजिटल पेमेंट्स के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण है।

इन दोनों मामलों को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए संगठन ने आगाह किया है कि यदि ई-कॉमर्स और डिजिटल भुगतान सेवाएं गलत हाथों में चली जाएं, तो वे आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रमुख माध्यम बन सकती हैं।


ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स बना आतंक का नया ज़रिया

FATF ने चेतावनी दी है कि डिजिटल पेमेंट सिस्टम का दुरुपयोग आज आतंकवाद के लिए नया खतरा बन गया है।

  • आतंकी अब फर्जी नामों और अकाउंट्स का इस्तेमाल कर पर्सन-टू-पर्सन ट्रांसफर करते हैं, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अब वे सिर्फ सामान नहीं खरीद रहे, बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खुद भी सामान बेचकर पैसा जुटा रहे हैं
  • कम दाम के उत्पाद बेचकर वे फंडिंग जुटाते हैं ताकि शक भी न हो और पैसा भी आता रहे।

ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग से आतंक को फंड

FATF ने रिपोर्ट में बताया कि आतंकियों ने व्यापार की आड़ में भी पैसा ट्रांसफर करने के नए तरीके इजाद किए हैं।

  • उदाहरण के लिए, एक आतंकी एक देश से कोई सामान खरीदता है और अपने साथी को दूसरे देश में भेजता है।
  • दूसरा साथी उसे स्थानीय बाजार में बेचता है और उससे जो पैसा आता है, उसे आतंकी गतिविधियों में लगा देता है।
  • यह लेन-देन देखने में वैध लगता है, लेकिन इसका मकसद फंड ट्रांसफर होता है।

सोशल मीडिया बना प्रचार और फंडिंग का प्लेटफॉर्म

FATF रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठन अब सोशल मीडिया पर:

  • डोनेशन की अपील करते हैं
  • फिर उसी प्लेटफॉर्म पर पेमेंट लिंक शेयर करके पैसा इकट्ठा करते हैं
  • ये तरीका तेज़, आसान और लगभग अनट्रेसेबल होता है

छोटे-छोटे सेल्स, खुद जुटा रहे फंड

FATF ने यह भी कहा है कि आतंकी संगठन अब छोटे-छोटे “सेल्स” में बंट गए हैं जो:

  • माइक्रो ट्रांजैक्शन्स (जैसे गेमिंग ऐप्स से)
  • वैध कमाई या
  • छोटे अपराधों के ज़रिए खुद ही फंड जुटाते हैं।

इनका नेटवर्क बेहद फैला हुआ और कठिनाई से पकड़ में आने वाला है।


कुछ सरकारें दे रही हैं मदद, भारत ने पाकिस्तान पर उठाई उंगली

FATF की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि कुछ देश आज भी आतंकियों को:

  • वित्तीय सहायता
  • हथियार
  • ट्रेनिंग और
  • लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहे हैं।

भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर ऐसे ही आरोप लगाए हैं। हाल ही में जून 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने FATF से पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की है।


डिजिटल सिस्टम की कमजोरियां आतंक के लिए अवसर

FATF की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि:

  • कई देशों की टेक्निकल और लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों में आतंक फंडिंग को समझने और रोकने की क्षमता की कमी है।
  • आतंकी संगठन इन कमजोरियों का फायदा उठाकर अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।

क्या होना चाहिए अगला कदम?

FATF ने दुनियाभर की सरकारों और डिजिटल कंपनियों से अपील की है कि वे:

  • कानूनों को सख्त करें
  • डिजिटल ट्रांजैक्शन की ट्रैकिंग मजबूत करें
  • ई-कॉमर्स और पेमेंट प्लेटफॉर्म पर निगरानी बढ़ाएं

FATF ने यह भी कहा है कि आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।



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