नई दिल्ली / वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही ट्रेड डील की बातचीत निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि 9 जुलाई से पहले दोनों देश एक अंतरिम व्यापार समझौते (Interim Trade Agreement) की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, डेयरी और कृषि क्षेत्र जैसे संवेदनशील मुद्दों पर मतभेदों के चलते यह डील अंतिम रूप तक नहीं पहुंच पा रही है।
🇮🇳 भारत ने डेयरी पर रियायत देने से किया इनकार
वार्ता से जुड़े वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि वह डेयरी सेक्टर में कोई भी रियायत नहीं देगा। एक अधिकारी ने कहा, “डेयरी पर कोई समझौता नहीं होगा, यह हमारी रेड लाइन है।” भारत का मानना है कि देश के 8 करोड़ से अधिक छोटे डेयरी किसान इस क्षेत्र पर निर्भर हैं और किसी भी प्रकार की विदेशी प्रतिस्पर्धा से उनकी आजीविका को खतरा हो सकता है।
भारत की ओर से यह रुख साफ कर दिया गया है कि व्यापारिक लाभ के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दांव पर नहीं लगाया जा सकता।

🇺🇸 अमेरिका की क्या हैं मांगें?
अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को कुछ विशेष कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए खोले। इसमें शामिल हैं:
- डेयरी उत्पाद
- जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों (GM Crops)
- वाइन, सेब, मेवे
- इलेक्ट्रिक वाहन
- पेट्रोकेमिकल्स और इंडस्ट्रियल गुड्स
अमेरिका इन उत्पादों पर भारत की ओर से टैरिफ रियायत की उम्मीद कर रहा है ताकि अमेरिकी निर्यातकों को अधिक बाजार पहुंच मिल सके।
🤝 बातचीत का वर्तमान हाल
दोनों देशों के बीच यह ट्रेड वार्ता वॉशिंगटन डीसी में पिछले छह दिनों से जारी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। उन्होंने रुकावटों को दूर करने के लिए अपनी यात्रा एक दिन और बढ़ा दी है।
सूत्रों के अनुसार, बुधवार को भी वार्ता जारी रहेगी, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से मुलाकात भी शामिल है। माना जा रहा है कि यह बातचीत सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसमें रणनीतिक सहयोग पर भी चर्चा होगी।
🇮🇳 भारत की मांगें क्या हैं?
भारत अमेरिका से श्रम प्रधान (labour-intensive) उत्पादों पर शुल्क में रियायत चाहता है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिल सके। इनमें ये प्रमुख सेक्टर शामिल हैं:
- वस्त्र (फैब्रिक) और परिधान (अपेरल)
- रत्न और आभूषण (जेम्स एंड ज्वेलरी)
- चमड़ा, प्लास्टिक और रसायन (केमिकल्स)
- झींगा मछली, तिलहन, अंगूर और केले जैसे कृषि उत्पाद
भारत का मानना है कि इन सेक्टरों में अमेरिकी रियायत से उसे निर्यात में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी, जबकि अमेरिका के घरेलू बाजार को अधिक नुकसान नहीं पहुंचेगा।
📉 डील में देरी की वजह
हालांकि दोनों देश समझौते के करीब हैं, लेकिन डेयरी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सहमति न बन पाना डील की गति को धीमा कर रहा है। भारत किसी भी ऐसी डील के पक्ष में नहीं है, जो स्थानीय किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था या खाद्य सुरक्षा पर नकारात्मक असर डाले।
🔍 सामरिक साझेदारी का पक्ष
इस बीच व्हाइट हाउस ने एक बयान में भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार (Strategic Partner) बताया और यह भी संकेत दिया कि ट्रेड डील अब घोषणा के बेहद करीब है। हालांकि, अंतिम समझौता किन शर्तों पर होता है, यह आने वाले कुछ दिनों में स्पष्ट हो पाएगा।
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