July 5, 2025 12:10 AM

हमें आपातकाल को याद रखना चाहिए, इससे संविधान को बचाए रखने की ऊर्जा मिलती है

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प्रधानमंत्री ने मन की बात में इमरजेंसी को याद किया

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 123वें एपिसोड में 25 जून 1975 को देश में लगाए गए आपातकाल को याद किया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों पर अत्याचार हुए, लेकिन भारत की जनता ने हार नहीं मानी। इमरजेंसी खत्म होने के बाद जनता ने वोट के माध्यम से इसे लगाने वालों को सत्ता से बाहर कर दिया।

पीएम मोदी ने कहा, “हमें आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों को याद रखना चाहिए। इससे हमें अपने संविधान को बचाए रखने की ऊर्जा मिलती है।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि 1975 में आपातकाल लगाने वालों ने सिर्फ संविधान का उल्लंघन नहीं किया, बल्कि न्यायपालिका को भी अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की। इस दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन ली गई थी और असंख्य लोगों को प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।

योग दिवस पर बोले पीएम – “शांति, स्थिरता और संतुलन का संदेश”

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने 21 जून को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इस बार भी करोड़ों लोगों ने पूरी दुनिया में योग दिवस में हिस्सा लिया। दस वर्षों में यह आयोजन हर साल अधिक भव्य बनता जा रहा है। ये इस बात का संकेत है कि योग अब लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।”

विशाखापत्तनम में तीन लाख लोगों ने समुद्र तट पर एक साथ योग किया। वहीं दो हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए। हिमालय की बर्फीली चोटियों पर ITBP के जवानों से लेकर वडनगर में एक साथ 2121 लोगों द्वारा किए गए भुजंगासन तक, योग दिवस की कई ऐतिहासिक झलकियां सामने आईं। न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो और पेरिस जैसे शहरों से भी योग की तस्वीरें आईं, जिनमें शांति, स्थिरता और संतुलन का भाव दिखा।

तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांगों ने एक साथ योग कर सशक्तिकरण का संदेश दिया। प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना के जहाजों पर योग की झलक का भी जिक्र किया।

धार्मिक यात्राओं और बोरोलैंड पर भी दिया संदेश

प्रधानमंत्री ने देशभर में चल रही धार्मिक यात्राओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है तो एक ही भाव आता है—‘चलो बुलावा आया है’। ये यात्राएं केवल आध्यात्मिक ही नहीं, सेवा का भी महाअभियान होती हैं, जहाँ लाखों लोग तीर्थयात्रियों की सेवा में जुट जाते हैं।”

अपने संदेश के अंत में प्रधानमंत्री ने बोरोलैंड क्षेत्र का भी उल्लेख किया, जहाँ हजारों टीमें एक फुटबॉल टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने कहा कि बोरोलैंड अब शांति और खेल की दिशा में आगे बढ़ रहा है और यह दर्शाता है कि यह इलाका मुख्यधारा में मजबूती से शामिल हो चुका है।



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